प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा कर्नाटक के कलबुरगी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक किसान को “पब्लिसिटी के लिए मत आओ” कहकर डांटने का मामला सुर्खियों में है। यह घटना 7 सितंबर को हुई, जब खड़गे अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान एक किसान ने बाढ़ और बारिश के कारण फसल नुकसान, खासकर तुअर दाल और अन्य फसलों के मुद्दे को उठाने की कोशिश की।
किसान की शिकायत और खड़गे का जवाब
एक किसान ने खड़गे के सामने फसल नुकसान की समस्या रखी और बताया कि उनकी चार एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। खड़गे ने सख्त लहजे में जवाब दिया, “तुम्हारी चार एकड़ फसल खराब हुई होगी, लेकिन मेरी तो 40 एकड़ बर्बाद हो गई है। सिर्फ तुअर दाल ही नहीं, बल्कि मूंग, उड़द, कपास और सूरजमुखी की फसलें भी बर्बाद हो चुकी हैं। पब्लिसिटी के लिए यहां मत आओ।” उन्होंने आगे कहा, “कहावत है कि तीन पसलियों वाला छह पसलियों वाले को उपदेश देता है। जाकर मोदी और शाह से कहो कि तुअर दाल खराब हो गई है।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी ने खड़गे के इस बयान को “किसान विरोधी” करार देते हुए तीखी आलोचना की। बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा “खड़गे का व्यवहार “अन्नदाता का अपमान” है। कांग्रेस ने हमेशा किसानों, सैनिकों और संविधान का अपमान किया है।
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के दौरान हजारों किसानों ने आत्महत्या की, और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को 8 साल तक लागू नहीं किया गया। उन्होंने एक पुरानी घटना का जिक्र किया, जहां कांग्रेस सांसद तारिक अनवर को बाढ़ प्रभावित इलाके में एक व्यक्ति की पीठ पर बैठकर ले जाया गया था, जिसे भी किसान अपमान का उदाहरण बताया।
कांग्रेस का पक्ष
कांग्रेस की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, खड़गे ने अपनी बात में यह स्पष्ट करने की कोशिश की थी कि वह स्वयं एक किसान हैं और फसल नुकसान की समस्या को समझते हैं, क्योंकि उनकी 40 एकड़ फसल भी बर्बाद हुई है।
कांग्रेस की “किसान विरोधी” छवि: बीजेपी
कर्नाटक में हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ ने कई जिलों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। खड़गे, जो कलबुरगी से हैं, ने इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन उनकी टिप्पणी को असंवेदनशील माना गया।
यह घटना बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का मौका दे रही है, खासकर तब जब किसान मुद्दे देश में संवेदनशील बने हुए हैं। बीजेपी इसे कांग्रेस की “किसान विरोधी” छवि को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर रही है। खड़गे स्वयं एक किसान परिवार से आते हैं और कर्नाटक में उनकी अपनी जमीन है। उनकी टिप्पणी को कुछ लोग व्यक्तिगत नुकसान से उपजी निराशा के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनके लहजे को असंवेदनशील माना गया।
“अन्नदाता का अपमान”
यह घटना एक स्थानीय प्रेस कॉन्फ्रेंस से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक विवाद बन गई है। खड़गे का किसान को “पब्लिसिटी” के लिए टोकना और बीजेपी का इसे “अन्नदाता का अपमान” करार देना, दोनों ही पक्षों की राजनीतिक रणनीति को दर्शाता है। जहां खड़गे ने फसल नुकसान की गंभीरता को स्वीकार किया, वहीं उनका लहजा और शब्दों का चयन विवादास्पद बन गया।
बीजेपी ने इसे कांग्रेस की किसान विरोधी छवि को उजागर करने के लिए भुनाया। इस घटना का वास्तविक प्रभाव किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय राजनीतिक बहस में सिमटता दिख रहा है।