- वन खंड की जमीनों पर चलते अस्पताल
- मूल निवासियों को मुफ्त इलाज का वादा रहा अधूरा
सतीश मुखिया
मथुरा: केंद्र सरकार द्वारा सभी देशवासियों को उचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अस्पतालों को 99 साल के लिए पट्टे पर जमीने आवंटित की। जिसका फायदा समाज के सरमायदार लोगों ने उठाया और उस समय के वर्चस्व वाले नागरिकों से सामंजस्य बिठाकर गरीबों, दलितों वंचितों और भूमिहीनों के लिए सरकार द्वारा छोडी गई जमीनों के पट्टे अपने व अपने रिश्तेदारों के नाम करा लिए जबकि उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था नियमावली 1952 के नियम 115 ड में अन्य आबादी स्थल आवंटन हेतु निम्न वत व्यवस्था वर्णित है: नियम 115ड अन्य आबादी स्थल नियम 115 ट में निर्दिष्ट आबादी स्थलों को छोड़कर जो ग्राम सभा में निहित है वे निवास के प्रयोजनार्थ तथा चैरिटेबल उद्देश्य या कुटीर उद्योग के गृह निर्माण के लिए निम्नलिखित वरीयता क्रम में आवंटित किए जा सकते हैं।
भूमिहीन खेतिहर मजदूर या ग्रामीण कारीगर जो इस गांव में रहता हो, भूमि धर या आसामी जो गांव में रहता हो और जिसके पास 3.125 एकड़ से कम भूमि हो, गांव में रहने वाला कोई अन्य व्यक्ति, इस नियम के अंदर आने वाले प्रत्येक आवंटी को भूमि के मोरूसी दर से लगान का 40 गुना धनराशि जमा करना होगा जो धनराशि गांव के निधि के लेखा में जाएगी परंतु दान उत्तर( दान) उद्देश्य के लिए आवंटित स्थल के संबंध में कोई प्रीमियम नहीं लिया जाएगा।
उक्त प्रावधान में निर्धारित तीनों वरीयता क्रम में संबंधित गांव का निवासी होना प्रथम शर्त है लेकिन खसरा संख्या 19 ग जिसका कुल क्षेत्रफल 6.80 एकड़ वन खंड खाते में दर्ज था जिसमें से 01 एकड़ डॉ शीला शर्मा मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट मथुरा को आवंटित हुई और बाकी जमीन मूल निवासियों को आवंटित कर दी गई और उस समय डॉ शिव कुमार शर्मा, 03 आर्मी गार्डन, कृष्णा नगर , मथुरा में रहते थे। इस जमीन पर वर्तमान में डॉ शीला शर्मा मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा कैंसर अस्पताल का संचालन किया जा रहा है जैसा कि दावा किया गया है लेकिन ट्रस्ट में डॉ एस के शर्मा, रानी मंडी, मथुरा का पता अंकित है जिससे यह पता लगता है कि डॉक्टर एस के शर्मा ग्राम:सराय आजमाबाद ,तहसील व जिला मथुरा उस समय के मूल निवासी नहीं थे।
जमीन आवंटन के वरीयता क्रम में कहीं पर भी किसी ट्रस्ट को भूमि आवंटित करने हेतु व्यवस्था नहीं है बल्कि भूमिहीन, खेतिहर, मजदूर कारीगर, भूमिधर या असामी गांव में रहने वाला कौन अन्य व्यक्ति को ही दानोत्तर प्रयोजन या कुटीर उद्योग हेतु पात्र माना गया है लेकिन किस तरह डॉ शीला शर्मा मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट को तत्कालीन परगना अधिकारी मथुरा द्वारा जमीन आवंटित कर दी गई यह समझ से बाहर है।
इसके बायलॉज में यह उल्लेखित है कि ट्रस्ट की कमेटी में दो स्थानीय नागरिक रहेंगे और आजीवन उक्त ग्राम के समस्त मूल निवासियों को मुफ्त इलाज दिया जाएगा लेकिन जब हम लोगों ने सराय आजमाबाद के स्थानीय नागरिकों से बात की तब उन लोगों ने बताया कि हम लोग तो हमेशा से इस अस्पताल में फीस देकर ही इलाज करवाते हैं, हम लोगों को तो आज तक कोई मुफ्त में इलाज की सुविधा नहीं मिली है इससे यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल चैरिटेबल ना होकर व्यावसायिक रूप से चल रहा है और जमीन आवंटन से संबंधित पत्रावली का तहसील अभिलेखागार से गायब होना भी अपने आप में इस आवंटन को संदिग्ध बनाता है।
उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 122 ग के अधीन आवास स्थल हेतु आवंटित भूमि का केवल प्रपत्र 49 च में पट्टा विलेख दिए जाने का प्रावधान है राजस्व अभिलेखों में पट्टेदार का नाम अंकित की जाने की कोई व्यवस्था नहीं है इसके विपरीत प्रश्नगत आवंटी डॉ शीला शर्मा मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट का नाम खतौनी अभिलेख में अंकित किया जाना अपने आप में नियम विरुद्ध है। मूल सवाल यह है कि जब यह जमीन वन खंड की थी और पट्टे के रूप में वंचित वर्ग के लोगों को आवंटित की जानी थी तब कैसे इस गांव के निवासियों को जमीन आवंटित न करके मथुरा शहर के अंदर रहने वाले व्यक्ति को यह जमीन आवंटित कर दी गई।
भारत में कुछ चले ना चले जुगाड़ जरूर चलता है और यह शायद भ्रष्टाचार, नौकरशाही और नेता नगरी का कॉकटेल ही है कि वंचित, दलितों के लिए आरक्षित जमीन को सामान्य वर्ग के नागरिक को आवंटित कर दिया गया, क्या जमीन का प्रारूप बदला गया, यह जांच का विषय है। क्या अस्पताल गरीब लोगों की सेवा कर रहा है और अब तक इस अस्पताल के द्वारा कितने गरीब लोगों का इलाज मुफ्त में किया गया उसकी जांच की आवश्यकता है या दान के रूप में प्राप्त की गई जमीन पर निजी अस्पताल का संचालन किया जा रहा है।
सराय आजमाबाद के स्थानीय नागरिकों ने बताया कि इस अस्पताल में गरीब व्यक्ति तो घुस ही नहीं सकता, अस्पताल वाले मुफ्त में जमीन ले लेते हैं और जब गरीबों का इलाज करने की बारी आती है तब ना नुकर करते है। क्या ऐसे होगा समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े हुए व्यक्ति का विकास, हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य व उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से मांग करते हैं कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए जिससे कि वंचित वर्ग के लोगों को उनका हक और हकूक मिल सके।