Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

मानसून का रहस्य सुलझाने में नाकाम हो रहे हैं मौसम विज्ञानी

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
May 28, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
heavy rain
26
SHARES
856
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

हैदराबाद के बाहरी इलाके में एक छोटी सी प्रयोगशाला में प्रोफेसर कीर्ति साहू बारिश की बूंदों का अध्ययन कर रहे हैं. उनके पास एक मशीन है जो बादल जैसी स्थिति पैदा करती है. इसका इस्तेमाल कर उन जैसे कुछ वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण कैसे मानसून की बारिश को बदल रहे हैं जो देश की कृषि पर निर्भर अर्थव्यवस्था की जान है.

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी आईआईटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में रिसर्च कर रहे साहू बताते हैं, “भारत का मानसून रहस्यों से भरा है. अगर हम बारिश की भविष्यवाणी कर सकें तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात होगी.” मानसून भारत कr 3,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए जीवनरेखा है. भारत को अपने खेतों, तालाबों और कुओं को जिंदा रखने के लिए जो पानी चाहिए उसका 70 फीसदी मानसून से आता है. 140 करोड़ की आबादी वाला भारत इस मौसमी बरसात के आधार पर ही खेती से लेकर शादी तक की तारीखें तय करता है.

इन्हें भी पढ़े

nisar satellite launch

NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

July 30, 2025
भारत का व्यापार

ट्रंप का 20-25% टैरिफ: भारत के कपड़ा, जूता, ज्वेलरी उद्योग पर असर, निर्यात घटने का खतरा!

July 30, 2025
parliament

ऑपरेशन सिंदूर: संसद में तीखी बहस, सरकार की जीत या विपक्ष के सवाल? 7 प्रमुख हाई पॉइंट्स

July 30, 2025
UNSC

पहलगाम हमला : UNSC ने खोली पाकिस्तान की पोल, लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता उजागर, भारत की कूटनीतिक जीत !

July 30, 2025
Load More

कठिन हुआ मानसून का पूर्वानुमान

हालांकि जलवायु को बदलने वाले जीवाश्म ईंधनों को ऊर्जा के लिए जलाना और प्रदूषण मानसून को बदल रहा है. इसका असर खेती पर हुआ है और बारिश का पूर्वानुमान लगाना कठिन होता जा रहा है. जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में कई तरह के चरम मौसम को जन्म दे रहा है. गीले इलाके और ज्यादा बारिश के कारण डूबने लग रहे हैं, तो सूखे इलाके और ज्यादा पानी की कमी से हलकान हो रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज यानी आईपीसीसी ने ध्यान दिलाया है कि भले ही जलवायु परिवर्तन की वजह से एशिया में बारिश बढ़ सकती है लेकिन दक्षिण एशिया में 20वीं शताब्दी के दूसरे आधे हिस्से में मानसून कमजोर हुआ है. मानसून में इस बदलाव को एरोसॉल के बढ़ने से जोड़ा जा रहा है. यह एक रसायन है जिसके छोटे कण या बूंदें हवा में तैरती रहती हैं. यह इंसानी गतिविधियों के कारण बढ़ता है. जीवाश्म ईंधनों को जलाना, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और समुद्री नमक ये सब वातावरण में एरोसॉल को बढ़ाते हैं. भारत लंबे समय से वायु प्रदूषण से जूझ रहा है जो बड़े शहरों में जब तक स्मॉग की चादर फैला देते हैं.

हाल के वर्षों में भारत का मानसून छोटा मगर तीव्र होता गया है. मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी कंपनी स्काइमेट के प्रमुख मौसम विज्ञानी जीपी शर्मा का कहना है कि मानसून का यह रूप कुछ इलाकों में बाढ़ तो कहीं सूखे की स्थिति पैदा कर देता है. उन्होंने यह भी कहा कि साल 2000 के बाद से अब तक छह बड़े सूखे की स्थिति आ चुकी है लेकिन पूर्वानुमान लगाने वाले उनके बारे में जानकारी नहीं दे सके.

फसलों का नुकसान

पुराने समय में भी भारत के राजा बारिश का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करते रहे हैं. आज भी सरकार किसानों को सलाह देती है कि वो कब बुआई कर सकते हैं. यह सलाह इतनी अहम है कि 2020 में मध्यप्रदेश के किसानों ने मीडिया से कहा कि वो सरकार के मौसम विभाग के खिलाफ गलत पूर्वानुमान के लिए मुकदमा दायर करेंगे. मानसून की सही भविष्यवाणी के लिए सरकार ने सेटेलाइट, सुपरकंप्यूटर और खास तरह के वेदर रडार स्टेशनों का नेटवर्क बनाया है. इसका नाम इंद्र रखा गया है जो हिंदू मान्यता के मुताबिक बारिश के देवता हैं. हालांकि इन सबके नतीजे में मामूली बेहतरी ही आई है.

ब्राउन यूनिवर्सिटी में पृथ्वी, पर्यावरण और ग्रहीय विज्ञान के प्रोफेसर स्टीवन क्लेमेंस का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और एरोसॉल का असर भारत में मौसम का सही पूर्वानुमान लगाने में मुश्किल पैदा कर रहा है. उनका रिसर्च मुख्य रूप से एशियाई और भारतीय मानसून पर केंद्रित है. भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से जुड़े वैज्ञानिक माधवन राजीवन का कहना है कि हाल के वर्षों में मानसून की बारिश और ज्यादा अनियमित हुई है. उन्होंने कहा, “बारिश थोड़े दिनों के लिए हो रही है लेकिन जब बारिश होती है तो भारी बारिश होती है.”

साहू का कहना है कि मानसून के बादलों ने अपना रास्ता भी बदला है और अब वो देश के पूरे मध्य भाग को काट कर निकल जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “मानसून के दौर में कई राज्यों में बहुत ज्यादा बारिश हो रही है जबकि दूसरे राज्य जहां कम बारिश होती थी वहां इसकी और कमी हो जा रही है.” दिल्ली के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करने वाली अंशु ओगरा का कहना है, “कुल मिला कर कहें तो बारिश नाकाम नहीं हुई है, वो आई है लेकिन भारी बरसात के रूप में. इसका मतलब है कि पौधों के पास उन्हें अशोषित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है. फूल को फल बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे में आपको फसल का नुकसान होगा.”

फ्लाइंग लेबोरेट्री

मौसम का बेहतर पूर्वानुमान अधिकारियों को चरम मौसम की तैयारी में मदद दे सकता है. राजीवन का कहना है कि बाढ़ जैसी स्थितियों के लिए लोगों को पहले से तैयार किया जा सकता है दूसरी तरफ बारिश में गिरे पानी को जमा करके सूखे इलाकों तक पहुंचाया जा सकता है. हैदराबाद के वर्कशॉप में साहू एरोसॉल, नमी, हवा का बहाव, तापमान और दूसरे कारकों में बदलाव से पानी की बूंदों पर और बूंदों के बनने पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कर रहे हैं.

इसी बीच तारा प्रभाकरन बादलों के भीतर तापमान, दबाव और एरोसॉल की मौजूदगी से जुड़े आंकड़े एक विमान में बैठ कर फ्लाइंग लैबोरेट्री के सहारे जमा कर रही हैं. दोनों वैज्ञानिक अपनी खोजों को साथ लाकर पूर्वानुमानों को बेहतर करना चाहते हैं. इसका मकसद ये जानना है कि बदलती परिस्थितियां कैसे मानसून पर असर डाल रही हैं.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
दुकान

कैसा ये सरकारी फ़रमान…नाम बताओ दुकान लगाओ!

July 19, 2024

असली भारत गांव में बसता है : सतीश मुखिया

January 19, 2024
भारत मंडपम

23-24 मई को दिल्ली में आयोजित होगा पहला ‘उभरता पूर्वोत्तर निवेशक सम्मेलन’

May 22, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • सीएम नीतीश ने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप वैशाली का किया उद्घाटन
  • कलियुग में कब और कहां जन्म लेंगे भगवान कल्कि? जानिए पूरा रहस्य
  • NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.