स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की 3 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हुई मुलाकात ने सियासी हलचल को जन्म दिया है। इस मुलाकात को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, विशेष रूप से इसे 5 अगस्त की तारीख से जोड़कर देखा जा रहा है। आइए, इस मामले को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
3 अगस्त को, पहले प्रधानमंत्री मोदी और फिर कुछ देर बाद अमित शाह ने राष्ट्रपति भवन में द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। यह बैक-टू-बैक मुलाकातें असामान्य मानी जा रही हैं, जिसके कारण सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, 1 अगस्त को चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, जिसमें 9 सितंबर 2025 को मतदान होना है। इस मुलाकात को उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति से जोड़ा जा रहा है।
बिहार में SIR का मुद्दा
विपक्ष बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सवाल उठा रहा है। संसद के मॉनसून सत्र में इस मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है, और विपक्ष इसे लेकर चर्चा की मांग कर रहा है। इस संदर्भ में भी मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुलाकात का समय अमेरिका द्वारा भारत पर 25% आयात शुल्क और रूस से तेल व सैन्य खरीद के लिए दंडात्मक शुल्क की घोषणा के बाद आया है। यह भी संभव है कि मोदी ने राष्ट्रपति को इन मुद्दों पर जानकारी दी हो।
5 अगस्त का कनेक्शन
5 अगस्त की तारीख भारत के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है, क्योंकि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का फैसला लिया गया था, और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था। इस कारण, सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात को किसी बड़े संवैधानिक या राजनीतिक फैसले से जोड़ा जा रहा है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि “सरकार कोई बड़ा संवैधानिक फैसला, जैसे महत्वपूर्ण नियुक्ति या नया विधेयक, लाने की तैयारी में हो सकती है। 5 अगस्त की तारीख की संवेदनशीलता के कारण, इस मुलाकात को उससे जोड़कर देखा जा रहा है। उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के साथ, यह संभव है कि मुलाकात में उम्मीदवारों के चयन या रणनीति पर चर्चा हुई हो। हालांकि, इसका 5 अगस्त से सीधा संबंध स्पष्ट नहीं है।
सियासी मायने संसद का मॉनसून सत्र
मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन SIR पर अभी तक कोई सहमति नहीं बनी। विपक्ष इसे लेकर सरकार पर दबाव बना रहा है, और इस मुलाकात को विपक्ष के सवालों का जवाब देने की रणनीति से भी जोड़ा जा रहा है। पहले भी, जैसे 2019 में पुलवामा हमले के बाद या 2024 में पहलगाम हमले के बाद, ऐसी उच्च-स्तरीय मुलाकातें बड़े फैसलों (जैसे बालाकोट स्ट्राइक) से पहले हुई थीं। इस बार भी, कुछ लोग इसे किसी बड़े कदम की तैयारी के रूप में देख रहे हैं।
आधिकारिक जानकारी का अभाव
राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुलाकात के एजेंडे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। राष्ट्रपति भवन ने केवल यह पुष्टि की कि दोनों नेताओं ने अलग-अलग मुलाकात की। इस सूचना के अभाव में, अटकलें और कयास तेज हो गए हैं।
मोदी और शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात का 5 अगस्त से सीधा कनेक्शन साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। हालांकि, यह मुलाकात उपराष्ट्रपति चुनाव, बिहार में SIR विवाद, या अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक तनाव जैसे मुद्दों से जुड़ी हो सकती है। 5 अगस्त की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण, इसे लेकर सियासी और सोशल मीडिया में चर्चाएं तेज हैं, लेकिन वास्तविक कारण स्पष्ट होने के लिए और जानकारी की प्रतीक्षा करनी होगी।