प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमला और भारत-पाकिस्तान एशिया कप 2025 मैच के बीच का तनाव एक ऐसा मुद्दा बन गया, जो खेल से कहीं आगे राष्ट्रीय सुरक्षा, भावनाओं और राजनीति की सीमाओं को छू गया। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू परिवार शामिल थे। भारत ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित बताया, जबकि पाकिस्तान ने इनकार किया। इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की, जिससे सीमा पर तनाव बढ़ गया। 14 सितंबर को दुबई में हुए एशिया कप ग्रुप स्टेज मैच पर इस हमले का साया ऐसा छाया कि यह सामान्य क्रिकेट मुकाबले से कहीं ज्यादा राजनीतिक रंग ले लिया।
पहलगाम हमले की घटना
22 अप्रैल को पहलगाम के पर्यटन स्थल बैसारन में आतंकियों ने गोलीबारी की। 26 लोग मारे गए, ज्यादातर पर्यटक। हमले की जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जाता है। भारतीय एजेंसियों ने हमले को पाकिस्तान से जोड़ा। डिजिटल ट्रेस मुजफ्फराबाद और कराची तक पहुंचे। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे, उनके पास पाकिस्तानी वोटर आईडी और हथियार मिले।”
7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान और PoK में आतंकी कैंपों पर मिसाइल स्ट्राइक। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन 10 मई को सीजफायर हो गया। इससे पहले हमले के एक हफ्ते में ‘ऑपरेशन महादेव’ भी चला। कानपुर के शुभम द्विवेदी (नवविवाहित) समेत कई परिवार बर्बाद हुए। हमले में मारे गए पर्यटक परिवारों के साथ 11 रिश्तेदार थे, जो कश्मीर घूमने गए थे।
मैच पर विवाद बहिष्कार की मांग क्यों ?
एशिया कप 2025 (9 सितंबर से शुरू) का भारत-पाकिस्तान ग्रुप ए मुकाबला 14 सितंबर को दुबई में हुआ। यह पहला बड़ा द्विपक्षीय मुकाबला था, लेकिन हमले के 5 महीने बाद होने से विवाद भड़क गया। बीसीसीआई ने बहिष्कार से इनकार किया, कहा कि “यह मल्टीनेशनल टूर्नामेंट है, इसलिए अनिवार्य। लेकिन पीड़ित परिवारों, विपक्ष और सोशल मीडिया पर बहिष्कार की लहर उठी।”
पीड़ित परिवारों का गुस्सा
हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने बीसीसीआई, खिलाड़ियों, स्पॉन्सरों और दर्शकों से अपील की: “मैच न खेलें, न देखें। पाकिस्तान टेरर फंडिंग के लिए पैसे इस्तेमाल करेगा।” उन्होंने कहा, “बीसीसीआई ने 26 परिवारों को भुला दिया। खिलाड़ी देश के लिए खड़े नहीं हो रहे।” शुभम के पिता संजय द्विवेदी बोले, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” ऐशान्या का इमोशनल वीडियो वायरल, जिसमें उन्होंने टीवी न चालू करने की अपील की।
आतंक रुके बिना पाक से रिश्ते न रखें
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में ‘सिंदूर’ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए “आतंक रुके बिना पाक से रिश्ते न रखें।” कांग्रेस के सूरेंद्र राजपूत ने कहा, “सिंदूर उजाड़ने वाले पाक से मैच खेलना गद्दारी है।” क्वार्की विजय दिवस पर शेड्यूल रिलीज ने आग में घी डाला।
#BoycottINDvPAK ट्रेंड। पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने पूरा एशिया कप बॉयकॉट किया “पुलवामा से पहलगाम तक, हम भूलते नहीं।” कई यूजर्स ने कहा, “मैच न देखा, पहलगाम का दर्द भुलाया नहीं।” X पर हजारों पोस्ट, स्टेडियम खाली रहा—इतिहास में पहली बार।
बीसीसीआई का बचाव
“मल्टीनेशनल इवेंट है, बॉयकॉट मुश्किल।” कप्तान सूर्यकुमार यादव “हम पीड़ितों के साथ खड़े हैं, जीत सशस्त्र बलों को समर्पित।” भारत ने मैच जीता, लेकिन हैंडशेक से इनकार किया।
मैच का परिणाम और खिलाड़ियों का रुख
भारत ने पाकिस्तान को हराया। सूर्यकुमार यादव ने कहा, “यह जीत हमारे सैनिकों की बहादुरी को समर्पित। पहलगाम पीड़ितों के लिए प्रार्थना।” मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी टीम से हाथ न मिलाया—यह टीम का जानबूझकर फैसला था, पहलगाम के विरोध और श्रद्धांजलि के रूप में। पाकिस्तानी कप्तान सलमान आगा ने प्रेजेंटेशन से बहिष्कार किया। एक यूजर ने लिखा, “हैंडशेक न मिलाना सही, लेकिन मैदान पर उतरना शर्मनाक।”
खिलाड़ियों का ‘दिल न मिलना’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, खिलाड़ी भावनात्मक रूप से प्रभावित थे। कुछ ने सोशल मीडिया पर पहलगाम का जिक्र किया, लेकिन ज्यादातर चुप रहे, जिससे परिवारों का गुस्सा बढ़ा। हमले के बाद SCO समिट में भारत ने पाक को ब्लेम करने की कोशिश की, लेकिन जॉइंट स्टेटमेंट में पाक का नाम न आने से भारत को झटका। पाक ने इसे अपनी ‘जीत’ बताया।
सोशल मीडिया रिएक्शन
X पर बहिष्कार की अपीलें वायरल। एक यूजर ने लिखा “पाक क्रिकेटर फहीम अशरफ की स्टोरी देखो—फिर मैच मत देखो।” स्टेडियम खाली होने से आय प्रभावित। अगर दोनों टीमें सुपर फोर्स में पहुंचीं, तो फिर मुकाबला हो सकता है। लेकिन पहलगाम का जख्म ताजा है, कई फैंस ने कहा, “खेल देशभक्ति से बड़ा नहीं।”
यह मैच न सिर्फ क्रिकेट था, बल्कि एक राष्ट्र का गुस्सा और दर्द। पीड़ित परिवारों की अपील—”मैच न देखें”—ने लाखों को सोचने पर मजबूर किया। जय हिंद !