नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दुष्प्रचार का आरोप लगाया। इसने दावा किया कि शीर्ष अदालत ने यह नहीं कहा कि सिर्फ आधार ही मतदान का अधिकार पाने के लिए वैध दस्तावेज हो सकता है। एससी ने अपने आदेश में कहा था कि बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बाहर किए गए मतदाता अन्य दस्तावेजों के साथ आधार जमा कर सकते हैं।
भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि आधार केवल पहचान और निवास का प्रमाण है, परंतु यह नागरिकता स्थापित नहीं करता। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा कि इसे एसआईआर के लिए वैध दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जाए। विपक्ष इस मुद्दे पर दुष्प्रचार कर रहा है।
अमित मालवीय ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, किसी सक्षम न्यायालय की ओर से उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त घोषित किया गया है, चुनाव में भ्रष्ट आचरण या अपराधों से संबंधित कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है, तो उसे मतदाता सूची में पंजीकरण से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आधार अधिनियम कहता है कि यह केवल पहचान और निवास का प्रमाण है, न कि यह नागरिकता स्थापित करता।
आधार और नागरिकता पर क्या कहा
मालवीय ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग से आधार को स्वचालित मतदाता नामांकन के लिए दस्तावेज के रूप में शामिल करने का अनुरोध करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 16 और आधार अधिनियम को निरर्थक बनाता है। असल में इसी पीठ ने 12 अगस्त को यह व्यवस्था दी थी कि आधार नागरिकता साबित करने के लिए कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है।’
उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो नहीं कहा है उसे उसके की ओर से कही गई बात बताना अवमानना है। उन्होंने कहा, ‘सच्चाई स्पष्ट है। एसआईआर बरकरार है। केवल आधार ही आपका नाम सूची में शामिल नहीं करवा सकता। फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों के साथ मृतकों के नाम हटा दिए जाएंगे। अगली सरकार केवल भारतीय नागरिक ही चुनेंगे, विदेशी नहीं।’
मसौदा मतदाता सूची से हटाए 65 लाख नाम
अमित मालवीय ने यह भी दावा किया कि बिहार में मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों में फर्जी, मृत, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नाम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हटाए गए नामों की सूची प्रकाशित करने को कहा ताकि प्रभावित व्यक्ति फिर से आवेदन कर सकें, लेकिन अब तक केवल 84305 आपत्तियां दर्ज की गई हैं जो कुल हटाए गए नामों का मुश्किल से 1.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह त्रुटि की सीमा के निर्धारित मानक से काफी कम है। भाजपा नेता ने कहा, ‘स्पष्ट रूप से वोट चोरी का रोना मनगढ़ंत है।’