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Home राज्य

हिमाचल : जनता ने तय किया 45 साल पुरानी परंपरा का भविष्य

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
November 12, 2022
in राज्य, विशेष
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Himachal Pradesh Election
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हिमाचल के लगभग 40 लाख मतदाताओं ने अपना वोट रिवाज बदलने के लिए डाला है या फिर रिवाज को बनाए रखने के लिए मतदान किया है, इसका खुलासा अब 28 दिनों के बाद ही होगा. यूं पहली बार हिमाचल में मतदान को लेकर जो उदासी देखी गई उससे जहां उम्मीदवारों की टेंशन बढ़ गई है वहीं कयासों के दौर भी शुरू हो गए हैं. अब प्रदेश के गली मुहल्लों, चौराहों, चौपालों में जहां गुजरात चुनावों को लेकर चर्चा चलती रहेगी वहीं जमा जोड़ के कयास भी चलेंगे.

सबसे बड़ा सवाल इस बार यही है कि क्या भाजपा का नारा, ‘इस बार रिवाज बदलेगा और फिर से सरकार बनेगी’ सच साबित होगा या फिर कांग्रेस का नारा कि ‘रिवाज नहीं ताज बदलेगा’. हिमाचल प्रदेश में पिछले 45 सालों से यही परंपरा चली आ रही है कि हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है. अकेले डॉ यशवंत सिंह परमार ही एक ऐसे मुख्यमंत्री हुए हैं जो लगातार 14 साल तक मुख्यमंत्री रहे वह तीन बार कांग्रेस की सरकार जीत हासिल करती रही.

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ये है इतिहास

हिमाचल गठन के बाद 8 मार्च 1952 को सिरमौर जिले से संबंधित डॉ यशवंत सिंह परमार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 31 अक्तूबर 1956 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे. इसके बाद प्रदेश में टैरोटोरियल काउंसिल का गठन हुआ जिसके चेयरमैन मंडी के चच्योट जो आज सराज के नाम से है व जहां से मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर विधायक हैं, से जीत हासिल करने वाले ठाकुर कर्म सिंह इसके चेयरमैन बने. 1963 में फिर से प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए और 1 जुलाई 1963 को फिर से डॉ परमार मुख्यमंत्री बने जो मंडी के नेताओं ठाकुर कर्म सिंह व पंडित सुख राम की आपसी टांग खिंचाई के चलते 1967 व 1972 में फिर मुख्यमंत्री बन गए. डॉ परमार 28 जनवरी 1977 तक मुख्यमंत्री रहे.

1977 में जनता पार्टी की लहर चली और जनता पार्टी भारी बहुमत से सता में आई तो सुलह से जीते शांता कुमार मुख्यमंत्री बने. 1980 में उनकी सत्ता को अपनों ने ही दलबदल करके पलट दिया और जुब्बल कोटखाई से जीते ठाकुर राम लाल कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री बन गए. चुनाव नहीं हुए मगर दलबदल के सहारे से ही कांग्रेस ने सरकार बना ली. ठाकुर राम लाल ने 14 फरवरी 1980 को मुख्यमंत्री पद संभाला और वह 7 अप्रैल 1983 तक इस पद पर रहे.

जब वीरभद्र सिंह बने सीएम

1982 में चुनाव हुए और फिर से कांग्रेस की सरकार बनी. भले ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार दोबारा बन गई मगर पांच साल पहले जनता ने जनता पार्टी के पक्ष में ही वोट किया था. अप्रैल 1983 में वीरभद्र सिंह को केंद्र से लाकर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और 1985 में उन्होंने विधानसभा के चुनाव करवाए व जीते और सरकार बनाई. 1990 में पहली बार जनता दल के साथ गठजोड़ में भाजपा ने चुनाव जीता व सरकार बनाई और शांता कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. शांता कुमार की सरकार बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद गिरा दी गई और फिर से चुनाव हुए और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने.

राज बदलेगा या रिवाज ?

1998 में प्रेम कुमार धूमल की अगुवाई में भाजपा हिविकां सरकार बनी जो पूरे पांच साल चली मगर इससे पहले एक नाटकीय घटनाक्रम में वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस के बहुमत में न होते हुए भी रमेश ध्वाला आजाद को अपने साथ मिलाया और सरकार बना ली जो महज 28 दिन चली थी. 2003 में फिर से कांग्रेस सत्ता में आई व वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने. 2007 में पहली बार प्रदेश में विशुद्ध भाजपा की सरकार बनी व प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने. 2012 में फिर से प्रदेश में कांग्रेस सता में आई और वीरभद्र सिंह छठी बार मुख्यमंत्री बने. 2017 में फिर से भाजपा सत्ता में आई और जय राम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पद संभाला क्योंकि भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर से अपना चुनाव हार गए थे. विधानसभा का यह चुनाव रिवाज बदलने या ताज बदलने के नाम पर हुए हैं अब देखना यही होगा कि मतदाताओं ने रिवाज बदलने के लिए वोट किया है या ताज बदलने के लिए। परंपरा टूटेगी या बनी रहेगी, इसी सवाल को लेकर अब चर्चाएं रहेंगी.

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