- कार्य योजना में सभी कार्य पूर्ण, धरातल पर सिफर “ZERO”।
- परफॉर्मेंस ग्रांट की धनराशि बंदरबांट होने की आशंका, ग्रामीणों ने लगाया आरोप।
सतीश मुखिया
मथुरा: उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं को किस तरह उनके ही अधीनस्थ पलीता लगा रहे हैं इसका जीता जागता प्रमाण हमें परफॉर्मेंस ग्रांट के तहत चयनित ग्राम पंचायत: ततरोता, विकासखंड: बल्देव, तहसील: महावन, जनपद : मथुरा उत्तर प्रदेश में देखने को मिला।
इस पंचायत की वर्तमान प्रधान सरोज देवी हैं और यह (SC ) वर्ग के लिए आरक्षित है तथा इसकी आबादी लगभग 3000 के आसपास है इसमें नगला अर्जुन, नगला भाल आदि सहित कई छोटे मजरे शामिल हैं। यह जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या : 19 से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी किनारे स्थित है। हमारी टीम ने जमीनी धरातल पर पंचायत के अंतर्गत हुए विकास कार्यों का जायजा लिया तब यह देखने को मिला कि पंचायत द्वारा जो कार्य योजना पेश की गई और वास्तविक धरातल पर जो कार्य हुए हैं उनमें जमीन आसमान का अंतर है।
जब हम लोगों ने प्रधान को फोन लगाया तब फोन उनके पति दिनेश कुमार ( बंटी बोहरे ) ने उठाया और बातचीत के दौरान बताया कि हम लोग गांव में नहीं रहते हैं, आगरा रहते हैं रोज गांव आ जाते हैं, पंचायत में सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं और जगह की उपलब्धता न होने के कारण बारात घर का काम अभी रूका हुआ है जैसे ही जगह मिलेगी इसका निर्माण करवा दिया जाएगा, हमने उनसे मिलने की इच्छा जान जाहिर की तब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
जिस पर हम लोगों ने ग्राम विकास अधिकारी सुरेश कुमार को दूरभाष पर संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि आज तो मेरी घरवाली का ऑपरेशन है, आज नहीं मिल सकता और कार्य योजना में आपको घर पहुंच कर भिजवा दूंगा। इसके बाद कई बार सुरेश कुमार से फोन पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कार्य योजना ना तो भिजवाई, ना ही मना किया और वह लगातार गुमराह करते रहे।
मनरेगा के अंतर्गत कुल 1217 जॉब कार्ड बने हैं जिसमें (एससी) वर्ग के 478, एसटी(03) व 736 अन्य वर्ग के हैं। मनरेगा के अंतर्गत हुए कार्यों की जांच भी स्थानीय लोगों ने की। इस पंचायत को वर्ष 2021-22 के अंतर्गत कुल Rs 16 करोड़ की धनराशि परफॉर्मेंस ग्रांट अन्य मिलने वाले फंड के अलावा आवंटित हुई। जिसको प्रधान प्रतिनिधि द्वारा विभिन्न कार्यों पर दिल खोलकर खर्च किया। ई ग्राम स्वराज पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार अंत्येष्टि स्थल पर Rs 25.54 लाख, पानी के संरक्षण Rs13.54, TTSP कंस्ट्रक्शन Rs 27 लाख, RO वाटर एटीएम Rs13.80 ,सोलर प्लांट Rs 46 लाख (नगला अर्जुन और तत्त्रोता), सांस्कृतिक कार्यक्रमों Rs 14.22 लाख, एमआरएफ सेंटर Rs 16.24 लाख, गौशाला में टीन शेड शेड Rs 29.66 लाख, पंचायत भवन निर्माण Rs 26.67 लाख, शिक्षा का प्रचार प्रसार Rs 55 लाख और पंचायत में सीसी रोड बनवाने पर करोड़ों की धनराशि इन्होंने खर्च की।
वर्ष 2021-22 में पंचायत के प्रबंधन पर खर्च किए 01 करोड़ 61 लाख रुपए
इन्होंने वर्ष 2021-22 में एडमिनिस्ट्रेशन खर्चे के रूप में Rs1,60,96,300/ धनराशि दिखाई जो कि स्वराज पोर्टल पर कार्य योजना में दर्ज बिल क्रमांक 07(Rs42,000), 75 (Rs9,000), 79 (Rs1,59,90,300), 83 (Rs15,000), 100 (Rs 10,000), 101 (Rs 15,000) और 113 (Rs15,000) में दर्ज हैं। एडमिनिस्ट्रेशन एक्सपेंस में यह खर्चा पंचायत को अगले 4 वर्ष में प्राप्त हुई धनराशि से Rs 36 लाख अधिक रहा। ग्राम पंचायत ततरोता को पंचायत राज विभाग, मथुरा द्वारा वर्ष 2022 में Rs 26,48,660/-, 2023 Rs 22, 22, 759/-, 2024 Rs 36,99,143/-, 2025 Rs 38, 54,391/- की कुल धनराशि प्राप्त हुई जो कि Rs1.25 करोड़ है और इन्होंने वर्ष 2021-22 में Rs1.60 करोड़ सिर्फ एडमिनिस्ट्रेशन एक्सपेंस पर ही खर्च कर दिए जो कि अगले 4 वर्षों में मिलने वाले फंड से 36 लाख ज्यादा रहे जो कि कई पंचायत को इस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत मिलने वाले फंड से कई गुना ज्यादा रहा।
इस पंचायत द्वारा अगले 4 वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रचार प्रसार पर Rs2.70 लाख, सामुदायिक शौचालय के निर्माण पर Rs 8 लाख, आंगनबाड़ी के निर्माण पर Rs4.50 लाख, जन जागरण Rs 8 लाख और एडमिनिस्ट्रेशन एक्सपेंस पर भी Rs 10 लाख सहित अन्य कार्यों पर खर्च किए गए। अब सवाल यह उठता है कि प्रधान द्वारा पंचायत के प्रबंधन में ऐसा कौन सा कार्य किया गया जिस में वर्ष 2021-22 एक करोड़ 61 लाख की धनराशि खर्च हो गई और अगले 4 वर्षों में यह मात्र Rs10 लाख के आसपास, कही यह कोकस के बीच धनराशि के बंटवारे का नतीजा तो नहीं जिसको एडमिनिस्ट्रेशन एक्सपेंस के रूप में दर्शा दिया गया।
प्रधान के परिवारजन पहले भी रहे हैं ग्राम प्रधान
ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान के पिता गुलजारी लाल, पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी रहे हैं और इनके भाई भी पहले एक बार प्रधानी कर चुके हैं। हम लोगों के द्वारा बड़ी उम्मीद से इनको प्रधान का चुनाव जितवाया था लेकिन जब स्वयं के लोग ही दलित, वंचित और शोषित लोगों का हक मार लेंगे तब हम किस से उम्मीद करें, कोई भी काम तरीके से नहीं हुआ है। सभी ग्रामीण जन को पता है कि पंचायत को बड़ी धनराशि आवंटित हुई लेकिन वह धनराशि कहां खर्च कर दी गई इसकी जिला पंचायत राज अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी मथुरा, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार द्वारा जांच कराई जानी चाहिए लेकिन आप कितनी भी खबर कर लीजिए कोई फायदा होने वाला नहीं है और ना ही कोई जांच होगी क्यों कि इनके रिश्तेदार प्रशासन में उच्च पदों पर आसीन है और यह लोग दबंग प्रवृति के लोग हैं और यह गरीब लोगो को डरा धमका कर चुप करा देते हैं। हम लोगों का तो शोषण होना ही है पहले पूर्व प्रधान द्वारा किया गया और अब वर्तमान प्रधान प्रतिनिधि द्वारा किया जा रहा है।
काहे का मॉडल और काहे का आदर्श पंचायत…
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबका साथ, सबका विकास का वादा कर रहे है और डबल इंजन की सरकार होने का दम भरते हैं लेकिन यहां ना डबल, ना ट्रिपल, ना सिंगल, यहां कोई इंजन ही नहीं है। आज भी इस ग्राम पंचायत को आजादी के 75 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। पोखर में गंदगी जमी हुई है, नालियां भरी पड़ी है, तालाब आधा खुदा हुआ पड़ा है और विभिन्न कार्य योजना में लीपापोती करके उनको पूरा कर दिया गया है, कई कार्य अधूरे दिखाई पड़ते हैं और बच्चों की शिक्षा का क्या कहना आप स्वयं जाकर प्राथमिक विद्यालय में देख लीजिए। हम लोगो को इस पंचायत में हुए विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की बू आ रही है ,”का ऐसी मॉडल पंचायत होबत है तो हमें ना चाहे भैया, हमाई तो पहले वारी ही ठीक थी।
श्मशान, सोलर प्लांट और वाटर एटीएम हुए लापता…
सचिव द्वारा कार्य योजना में अंकित अंत्येष्टि स्थल, वाटर एटीएम, सौर ऊर्जा प्लांट मौके से लापता नजर आए, ग्रामीणों ने पूछने पर बताया कि भैया जन्हा पे कोई शमशान ,फमशान नाय बनो, यन्हा तो मुर्दाए जमुना पे जराय आवे और अब जी तो सरकार ही जाने कि कहां बनायो है श्मशान और कहां लगाई है पाईं की मशीन (RO वाटर ATM) हां, इन खम्मन पर रात में बिजली की जरूरत है, सौर ऊर्जा, फुर्जा तो हमने देको नाय। सब पीछे बात बनावे, प्रधान ते सामने तो कोई बोले नाय, पहले प्रधान ने हाथी बारे कू जे जमुना की जमीन बेच दई और जेयू बेच रो है, सबन ने ऊपर बारे कू हिसाब देनो परेगो। हम तो जेई कहवे जोगी ते एक बार आके देखे तो सही कौन का काम कर रो है।
धनराशि मिलने पर भी विकास कार्यों में लापरवाही क्यों?
अब मूल सवाल यही है कि जब पंचायती राज विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार पंचायतो के विकास के लिए भारी भरकम धनराशि आवंटित कर रही है तब यह धनराशि विकास कार्यों में इस्तेमाल न होकर कहां पर इस्तेमाल की जा रही है यह जांच का विषय है, क्या इन योजनाओं की सही तरीके से निगरानी करने की आवश्यकता है, यह प्रश्न हमेशा विचारणीय बना रहेगा और क्या ऐसे होगा सबका साथ, सबका विकास!