प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज हो चुकी है, और मुस्लिम वोटों (लगभग 17-18% आबादी) का बंटवारा इस बार एक बड़ा फैक्टर बन सकता है। प्रशांत किशोर (PK) की जन सुराज पार्टी (JSP) ने मुस्लिम समुदाय को सीधे निशाना बनाने की बजाय, विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर फोकस किया है, लेकिन उनका दांव मुस्लिम वोटों को ‘एंटी-बीजेपी’ सेंटिमेंट से जोड़कर महागठबंधन (RJD-कांग्रेस) से तोड़ना है। दूसरी ओर, RJD, कांग्रेस और AIMIM (ओवैसी) पहले से ही मुस्लिम वोटों पर दांव खेल रहे हैं, लेकिन उनके बीच तालमेल की कमी से वोट बंटवारा हो सकता है।
मुस्लिम वोटों को ‘विकास’ और ‘बदलाव’ से लुभाना
PK ने जुलाई 2025 में पूर्णिया (सीमांचल क्षेत्र, मुस्लिम बहुल) में एक रैली के दौरान साफ कहा कि “RJD को वोट इसलिए मिलता है क्योंकि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं दे सकता। कांग्रेस का यहां कोई वजूद नहीं है, कांग्रेस RJD की पिछलग्गू पार्टी है। MIM हैदराबाद की पार्टी है, उसके लिए बिहार में कोई जगह नहीं।” यह बयान मुस्लिम वोटरों को RJD-कांग्रेस गठबंधन से नाराज करने का सीधा प्रयास था। PK का दावा है कि बिहार के 60% से ज्यादा लोग बदलाव चाहते हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय भी शामिल है।
शिक्षा, रोजगार और सिस्टम चेंज
PK मुस्लिम बहुल इलाकों (जैसे किशनगंज, सीमांचल) में BJP-JDU के ‘माफिया’ (जैसे दिलीप जायसवाल) पर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि “BJP चुप्पी साधे हुए है, जबकि मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। JSP मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है, लेकिन फोकस ‘जन सुराज’ (लोकतंत्र) पर है – शिक्षा, रोजगार और सिस्टम चेंज।
PK का दांव कामयाब हो सकता है अगर मुस्लिम वोटर RJD की ‘जंगलराज’ वाली इमेज से तंग आ चुके हैं। 2020 में AIMIM ने सीमांचल में RJD-कांग्रेस के वोट काटे थे, लेकिन PK का फोकस ब्रॉडर है। अगर JSP 5-10% मुस्लिम वोट ले ले, तो महागठबंधन को 20-30 सीटों का नुकसान हो सकता है।
मुस्लिम वोटों को ‘एंटी-बीजेपी’ यूनिटी से बांधना
RJD (लालू-तेजस्वी यादव) ने हमेशा मुस्लिम-Yadav (MY) फॉर्मूला पर निर्भर किया है। 2020 चुनाव में मुसलमानों ने RJD को 50-60% वोट दिए, लेकिन AIMIM ने सीमांचल में 5 सीटें जीतकर वोट बांट दिया। कांग्रेस RJD की ‘पिछलग्गू’ है, जैसा PK कहते हैं – 2020 में कांग्रेस को मुस्लिम बहुल सीटों पर सिर्फ 11-19% वोट मिले। अब 2025 में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ मुजफ्फरपुर जैसे इलाकों में पहुंची, जहां उन्होंने EVM और वोट चोरी का आरोप लगाया।
‘बिहारियों का अपमान’
महागठबंधन मुस्लिम वोटरों को ‘बीजेपी के खिलाफ एकजुट’ रहने का संदेश दे रहा है। तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना और विकास पर जोर दिया, लेकिन कांग्रेस के कमजोर संगठन (5% से कम वोट) से नुकसान हो रहा। X पर RJD प्रवक्ता कांचना यादव ने PK को ‘BJP का एजेंट’ बताया, लेकिन मुस्लिम वोटरों में यह संदेश काम नहीं कर रहा क्योंकि PK ने AIMIM को भी निशाना बनाया। 2020 जैसा वोट बंटवारा फिर हो सकता है। अगर कांग्रेस के बाहरी नेता (जैसे तमिलनाडु के स्टालिन) बिहार आकर वोट मांगेंगे, तो PK इसे ‘बिहारियों का अपमान’ बता चुके हैं।
ओवैसी (AIMIM) का दांव
मुस्लिम वोटों को ‘अलग पहचान’ देनाAIMIM ने 2020 में बिहार में 5 सीटें जीतीं (सीमांचल में), जहां मुसलमानों ने ‘बदलाव और विकास’ की मांग की। ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम वोट बैंक ‘न कभी था, न है’, लेकिन उनकी रणनीति मुस्लिमों को ‘वोट बैंक’ से ऊपर उठाकर ‘अलग आवाज’ देना है। 2025 में AIMIM फिर सीमांचल (अमौर, बहादुरगंज) पर फोकस करेगी, जहां पुराने RJD-कांग्रेस उम्मीदवारों को हराने का दावा है। ओवैसी विवादित चेहरों (जैसे दिल्ली में ताहिर हुसैन) पर दांव खेलते हैं, लेकिन बिहार में ‘मुस्लिम पहचान’ पर।
अगर AIMIM 10-15% मुस्लिम वोट ले ले, तो RJD को सीमांचल में भारी नुकसान। लेकिन ओवैसी का ‘पैन-इंडिया’ एजेंडा (जैसे J&K विधेयक पर विरोध) मुस्लिमों को लुभा सकता है। X पर बहस है कि AIMIM ‘मुस्लिम लीग’ जैसी हो रही है, जो वोट बांटती है।
वोट बंटवारा और NDA का फायदा
मुस्लिम वोटों का अनुमानित बंटवारा (2020 के आधार पर, CSDS सर्वे से)
क्यों लग रहा है RJD-कांग्रेस-ओवैसी का ‘दम’?
तीनों पहले से मुस्लिम वोटों पर दांव खेल रहे हैं, लेकिन PK का नया एंगल (BJP के माफिया पर हमला) और ‘बदलाव’ का नैरेटिव उन्हें चुनौती दे रहा है। X पर चर्चा है कि PK ‘RSS एजेंट’ हैं, लेकिन मुस्लिम वोटर ‘विकास’ पर फोकस कर सकते हैं। 2020 में AIMIM ने RJD को नुकसान पहुंचाया था; 2025 में PK+AIMIM से 20-30 सीटें प्रभावित हो सकती हैं। वोट बंटवारे से BJP-JDU मजबूत। नीतीश कुमार ने जातीय गणना पर क्रेडिट लिया, लेकिन विपक्ष को ‘क्रेडिट चोर’ कहा।
मुस्लिम वोटर अब ‘वोट बैंक’
PK का दांव ‘मुस्लिम वोटों को RJD से तोड़ना’ है, जो सफल हो सकता है अगर JSP मुस्लिम बहुल 20-25 सीटों पर मजबूत कैंडिडेट उतारे। RJD-कांग्रेस को एकजुट रहना होगा, वरना ओवैसी और PK मिलकर उनका ‘दम’ निकाल देंगे। बिहार के मुस्लिम वोटर अब ‘वोट बैंक’ से ऊपर ‘विकास और पहचान’ चाहते हैं – 2025 का चुनाव इसी पर टिका है। अगर महागठबंधन वोट एकजुट रखे, तो 100+ सीटें संभव; बंटवारे से NDA 150+ सीटें ले सकता है।