प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण अब लगभग पूर्ण हो चुका है। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह मंदिर करोड़ों हिंदू भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है। अब, मंदिर निर्माण के समापन का प्रतीक बनेगा एक भव्य ध्वजारोहण समारोह, जिसमें पीएम मोदी स्वयं मंदिर के शिखर पर 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा भगवा ‘धर्म ध्वज’ फहराएंगे। यह कार्यक्रम 25 नवंबर को विवाह पंचमी के पावन अवसर पर आयोजित होगा। यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सदियों पुराने राम मंदिर आंदोलन का एक विजयी समापन भी माना जा रहा है।
कार्यक्रम का अवलोकन और अवसर
25 नवंबर (विवाह पंचमी)। यह दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह का प्रतीक है, जो त्रेता युग की स्मृति को जीवंत करेगा। पीएम मोदी मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर ध्वज फहराएंगे।ध्वजारोहण के साथ ही मंदिर निर्माण के पूर्ण होने की आधिकारिक घोषणा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत भी मुख्य अतिथि होंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, अयोध्या। मंदिर की कुल ऊंचाई ध्वज दंड सहित 203 फीट होगी।
यह समारोह प्राण प्रतिष्ठा जितना ही भव्य होगा, जिसमें 3,000 से अधिक मेहमान शामिल होंगे। कार्यक्रम से पहले 21 से 25 नवंबर तक पांच दिवसीय वैदिक अनुष्ठान चलेंगे, जिसमें अयोध्या और काशी के विद्वान संत-पुरोहित भाग लेंगे।
धर्म ध्वज प्रतीक और डिजाइन
‘धर्म ध्वज’ हिंदू धर्म के प्रतीक के रूप में जाना जाएगा। यह त्याग, वीरता और धर्म का प्रतीक होगा। इसके त्रिकोणाकार, 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा। जिसका रंग भगवा (केसरिया), जो सनातन धर्म की ऊर्जा और बलिदान का प्रतीक है। सूर्यवंशी प्रतीक (सूर्य का चिह्न)। त्रेता युग का प्रतीक। अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के राजध्वज पर अंकित वृक्ष कोविदार का राज्य चिह्न। सनातन के प्रतीक ‘ॐ’।
ध्वज की विशेषता ध्वज फहराने के लिए 42 फीट ऊंचा पीतल का दंड (वजन 5.5 टन) पहले ही स्थापित हो चुका है, जिसे 60 कारीगरों ने 7 महीनों में तैयार किया। यह ध्वज मुख्य मंदिर के अलावा परिसर के सात अन्य पूरक मंदिरों (जैसे शेषावतार मंदिर, सप्त मंडपम) के शिखरों पर भी फहराया जाएगा।
कार्यक्रम की तैयारियां और धार्मिक अनुष्ठान
ध्वजारोहण से पूर्व विशेष पूजा-अर्चना, हवन और पंचायतन पद्धति के अनुसार अनुष्ठान। राम मंदिर समेत सभी आठ मंदिरों में ये रस्में होंगी। ध्वजारोहण के दिन अयोध्या में दिवाली जैसा माहौल होगा। राम मंदिर परिसर और आसपास की सड़कों पर 2 लाख से अधिक दीपक जलाए जाएंगे। परिसर को 500 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा। रामकोट क्षेत्र में हर मंदिर में दीपोत्सव मनाया जाएगा। अयोध्या में कड़े सुरक्षा इंतजाम। दर्शन की नई व्यवस्था भी लागू हो सकती है, जिसमें रामलला के गर्भगृह दर्शन आसान होंगे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ध्वज के डिजाइन को अंतिम रूप दिया। ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और धार्मिक समिति अध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि ने तैयारियों की पुष्टि की।
इसका ऐतिहासिक महत्व
- यह ध्वजारोहण राम मंदिर आंदोलन की यात्रा का चरम होगा।
- 5 अगस्त 2020: पीएम मोदी द्वारा भूमि पूजन।
- 22 जनवरी 2024: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा।
- 5 जून 2025: राजा राम के दरबार की प्राण प्रतिष्ठा (योगी आदित्यनाथ द्वारा)।
- 25 नवंबर 2025: ध्वजारोहण के साथ निर्माण पूर्ण।
ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, “यह समारोह सदियों पुराने आस्था के स्वप्न का साकार होना है।” पीएम मोदी का यह छठा अयोध्या दौरा होगा, जो उनके संकल्प (मंदिर निर्माण तक अयोध्या न आने का) को पूरा करेगा। यह न केवल भारत बल्कि विश्व के लिए सनातन धर्म का संदेश होगा। करोड़ों भक्तों के लिए उत्सव का अवसर। विवाह पंचमी पर राम-सीता विवाह की स्मृति ताजा होगी।
मंदिर परिसर में पुष्करिणी (पवित्र सरोवर) और अन्य सुविधाएं पूर्ण होने से पर्यटन बढ़ेगा। राम मंदिर को ‘राष्ट्र मंदिर’ बनाने का पीएम का सपना साकार। अयोध्या एक बार फिर विश्व पटल पर छाई होगी।







