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Home दिल्ली

CAQM : दिल्ली में प्रदूषण से लड़ने का सशक्त हथियार, फ्यूल बैन से लेकर GRAP तक !

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
July 4, 2025
in दिल्ली
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caqm delhi
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प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर


नई दिल्ली: CAQM का पूर्ण रूप CAQM का पूर्ण रूप है Commission for Air Quality Management in National Capital Region and Adjoining Areas (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग)। इसे अगस्त 2021 में Commission for Air Quality Management in NCR and Adjoining Areas Act, 2021 के तहत स्थापित किया गया था।

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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण

CAQM का मुख्य उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर और इसके आसपास के क्षेत्रों (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों) में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं का बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान करना है। यह आयोग दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक और समयबद्ध दृष्टिकोण अपनाने के लिए बनाया गया है।

CAQM के कार्य

CAQM के प्रमुख कार्य दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए समन्वय स्थापित करना।वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए योजनाएं तैयार करना और लागू करना। प्रदूषण के स्रोतों की पहचान के लिए ढांचा तैयार करना। तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के माध्यम से अनुसंधान करना। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विशेष कार्यबल तैयार करना। पराली जलाने, वृक्षारोपण बढ़ाने, और अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लिए योजनाएं बनाना।

CAQM की शक्तियां

CAQM को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए व्यापक शक्तियां दी गई हैं:निर्देश जारी करना: यह आयोग प्रदूषण नियंत्रण के लिए बाध्यकारी निर्देश जारी कर सकता है, जो संबंधित व्यक्तियों या प्राधिकरणों पर लागू होते हैं। वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति।

प्रदूषण से संबंधित अनुसंधान और निरीक्षण करने का अधिकार। गैर-अनुपालन की स्थिति में उद्योगों को बंद करने, पानी या बिजली आपूर्ति काटने, या जुर्माना लगाने की शक्ति। CAQM के पास उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने की शक्ति है, जो इसे देश का सबसे शक्तिशाली प्रदूषण नियंत्रण निकाय बनाता है। CAQM के निर्देश अन्य कानूनों पर प्राथमिकता रखते हैं।

CAQM की संरचना अध्यक्ष

15 वर्षों से अधिक पर्यावरण संरक्षण/प्रदूषण नियंत्रण के अनुभव या 25 वर्षों के प्रशासनिक अनुभव वाला व्यक्ति। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव/सचिव, तीन स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञ, CPCB और ISRO के तकनीकी सदस्य, NITI Aayog का प्रतिनिधि, और तीन गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य। निगरानी और पहचान, अनुसंधान और विकास, और संरक्षण और प्रवर्तन के लिए कम से कम तीन उप-समितियां।

दिल्ली में फ्यूल बैन का फैसला

CAQM ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) वाहनों (10 साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल/CNG वाहन) को ईंधन आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश (Direction No. 89) जारी किया था। यह नीति 1 जुलाई 2025 से दिल्ली में लागू होनी थी और बाद में गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, और सोनीपत में 1 नवंबर 2025 से, जबकि पूरे एनसीआर में 1 अप्रैल 2026 से लागू होनी थी।

फ्यूल बैन का उद्देश्य प्रदूषण में कमी

पुराने वाहन, विशेष रूप से BS-VI उत्सर्जन मानकों से नीचे के वाहन, PM2.5 और अन्य प्रदूषकों का प्रमुख स्रोत हैं। दिल्ली में वाहनों से होने वाला प्रदूषण PM2.5 स्तरों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
तकनीकी प्रवर्तन: स्वचालित नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरों का उपयोग करके वाहनों की उम्र की पहचान करना और ईंधन आपूर्ति रोकना।

फ्यूल बैन पर विवाद और स्थगन !

दिल्ली सरकार ने 3 जुलाई को CAQM को पत्र लिखकर इस नीति को स्थगित करने का अनुरोध किया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने तकनीकी और परिचालन चुनौतियों का हवाला दिया, जैसे: ANPR सिस्टम में खामियां (कैमरा प्लेसमेंट, सेंसर और स्पीकर की खराबी, HSRP के बिना वाहनों की पहचान में कठिनाई)।

एनसीआर के अन्य राज्यों में ANPR सिस्टम का एकीकरण न होना, जिसके कारण वाहन मालिक दिल्ली के बाहर ईंधन ले सकते हैं। जनता में असंतोष और आजीविका पर प्रभाव। सरकार ने कहा कि “वह पुराने वाहनों को हटाने के CAQM के उद्देश्य के साथ है, लेकिन नीति को लागू करने के लिए बेहतर सिस्टम और एनसीआर राज्यों के साथ समन्वय की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार के अनुरोध के बाद, फ्यूल बैन को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है, जब तक कि ANPR सिस्टम पूरी तरह कार्यात्मक और एनसीआर में एकीकृत नहीं हो जाता।

CAQM की अन्य प्रमुख पहल Graded Response Action Plan (GRAP)

CAQM ने दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आधार पर चार चरणों में उपाय लागू किए चरण I (खराब, AQI 201-300): सामान्य उपाय। चरण II (बहुत खराब, AQI 301-400): निर्माण और ट्रक प्रवेश पर कुछ प्रतिबंध। चरण III (गंभीर, AQI 401-450): निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध, BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल वाहनों पर रोक। चरण IV (गंभीर+, AQI 450 से अधिक): ट्रक और हल्के वाणिज्यिक वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध।

1 जनवरी 2023 से दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक, घरेलू और अन्य उपयोगों में कोयले पर प्रतिबंध।आपातकालीन उपयोग को छोड़कर डीजल जेनरेटर पर प्रतिबंध। पंजाब और हरियाणा में पराली के औद्योगिक उपयोग और बायो-डीकंपोजर सॉल्यूशन को बढ़ावा देना। 1 जनवरी 2023 से बिना वैध PUC प्रमाणपत्र वाले वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा।

केंद्र सरकार पर शक्ति का केंद्रीकरण

कुछ पर्यावरणविदों का मानना है कि “CAQM में केंद्रीय सरकार का प्रतिनिधित्व अधिक है, जबकि राज्यों और गैर-सरकारी संगठनों का प्रतिनिधित्व सीमित है।” पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) को भंग करने से प्रदूषण का मुद्दा न्यायिक दायरे से बाहर हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में CAQM की आलोचना की थी कि वह अपने निर्देशों के कार्यान्वयन में सक्रियता नहीं दिखा रहा। डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) में पुराने प्रदूषण सूची डेटा और गलत पूर्वानुमान की समस्याएं।

CAQM दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक शक्तिशाली और केंद्रीकृत निकाय है, जिसे CPCB, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और EPCA जैसे निकायों को एकीकृत करने के लिए बनाया गया है। फ्यूल बैन नीति इसका एक महत्वाकांक्षी कदम था, लेकिन तकनीकी और परिचालन चुनौतियों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया है। CAQM की सफलता इसके निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन, राज्यों के साथ समन्वय, और तकनीकी बुनियादी ढांचे के विकास पर निर्भर करती है।

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