प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : 9 जुलाई को दिल्ली में हुई भारी बारिश ने राजधानी की सड़कों पर गंभीर जलभराव की स्थिति पैदा कर दी, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। मयूर विहार, सिविल लाइंस, कश्मीरी गेट और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे इलाकों में सड़कों पर तीन फीट तक पानी भर गया, जिसके कारण ट्रैफिक जाम और वाहनों के फंसने की घटनाएं सामने आईं। इस स्थिति ने दिल्ली नगर निगम (MCD), लोक निर्माण विभाग (PWD), दिल्ली जल बोर्ड (DJB), और अन्य संबंधित एजेंसियों की तैयारियों की पोल खोल दी।
जिम्मेदार एजेंसियां और उनकी भूमिकाएं !
MCD दिल्ली में छोटे नालों (चार फीट से कम) की सफाई और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। यह स्थानीय स्तर पर जल निकासी व्यवस्था को सुनिश्चित करने और जलभराव को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।MCD ने दावा किया था कि उसने मानसून से पहले चार फीट से छोटे नालों से 37,000 मीट्रिक टन गाद निकाली थी। इसके बावजूद, सिविल लाइंस, बुराड़ी, और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में नालों के बैकफ्लो के कारण जलभराव हुआ।
MCD के नियंत्रण कक्ष में जलभराव और पेड़ गिरने की शिकायतें दर्ज की गईं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि नालों की सफाई अपर्याप्त थी। बुलेवार्ड रोड जैसे क्षेत्रों में MCD ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि कुछ नाले उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। MCD की ओर से नालों की नियमित डी-सिल्टिंग और रखरखाव में कमी, साथ ही अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय की कमी, जलभराव का प्रमुख कारण रही।
लोक निर्माण विभाग (PWD)
PWD बड़े नालों (चार फीट से अधिक) और प्रमुख सड़कों के जल निकासी सिस्टम के रखरखाव और निर्माण के लिए जिम्मेदार है। दिल्ली सरकार ने PWD को 445 जलभराव बिंदुओं में से 335 की जिम्मेदारी दी थी, जहां मानसून Ascending_1st_nightmare_in_the_last_lane_on_the_left: नालों की सफाई और जल निकासी व्यवस्था की देखरेख के लिए दिल्ली नगर निगम (MCD) और लोक निर्माण विभाग (PWD) जिम्मेदार हैं। 9 जुलाई को दिल्ली में भारी बारिश के बाद हुए जलभराव ने इन एजेंसियों की तैयारियों की कमियों को उजागर किया।
क्या है दिल्ली नगर निगम (MCD) भूमिका
MCD चार फीट से छोटे नालों की सफाई और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। यह स्थानीय स्तर पर जल निकासी व्यवस्था को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। MCD ने दावा किया था कि उसने मानसून से पहले छोटे नालों से 37,000 मीट्रिक टन गाद निकाली थी। हालांकि, सिविल लाइंस, बुराड़ी, और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में नालों के बैकफ्लो के कारण जलभराव हुआ।
MCD के नियंत्रण कक्ष में जलभराव और पेड़ गिरने की शिकायतें दर्ज की गईं, जो अपर्याप्त सफाई और रखरखाव की ओर इशारा करती हैं। कुछ क्षेत्रों, जैसे बुलेवार्ड रोड, में MCD ने जिम्मेदारी से इनकार किया, यह कहते हुए कि कुछ नाले उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। नालों की नियमित डी-सिल्टिंग और रखरखाव में कमी, साथ ही अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय की कमी, जलभराव का प्रमुख कारण रही।
सड़कों के जल निकासी सिस्टम के रखरखाव
PWD बड़े नालों (चार फीट से अधिक) और प्रमुख सड़कों के जल निकासी सिस्टम के रखरखाव और निर्माण के लिए जिम्मेदार है। दिल्ली सरकार ने PWD को 445 जलभराव बिंदुओं में से 335 की जिम्मेदारी दी थी, जहां इंजीनियरों की जवाबदेही तय की गई थी। PWD ने दावा किया कि उसने 1,56,000 मीट्रिक टन गाद बड़े नालों से निकाली थी। इसके बावजूद, मयूर विहार के पास NH-24, कश्मीरी गेट, और सिविल लाइंस जैसे क्षेत्रों में भारी जलभराव देखा गया। मिंटो ब्रिज जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर जलजमाव ने PWD की तैयारियों पर सवाल उठाए।
अपर्याप्त डी-सिल्टिंग, नालों की डिजाइन में खामियां, और जलभराव बिंदुओं पर प्रभावी निगरानी की कमी। PWD की ओर से 71 जलभराव बिंदुओं पर कार्य प्रगति पर था, लेकिन समय पर पूरा नहीं हुआ।
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) भूमिका
DJB सीवेज और जल निकासी सिस्टम के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, जो जलभराव को रोकने में महत्वपूर्ण है। कई क्षेत्रों में सीवेज सिस्टम के बैकफ्लो के कारण जलभराव की स्थिति और गंभीर हुई। DJB की ओर से नालों की सफाई और सीवेज प्रबंधन में कमी देखी गई। पुराने सीवेज सिस्टम का अपग्रेडेशन नहीं होना और अपर्याप्त रखरखाव।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA)
DDA कुछ क्षेत्रों में जल निकासी सिस्टम और नालों के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है, विशेष रूप से नए विकसित क्षेत्रों में। DDA की ओर से जल निकासी के लिए दीर्घकालिक बुनियादी ढांचे के विकास में कमी देखी गई। कुछ क्षेत्रों में अपर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम ने जलभराव को बढ़ावा दिया। नए क्षेत्रों में ड्रेनेज सिस्टम की अपर्याप्त योजना और कार्यान्वयन।
एजेंसियां (NHAI, DSIIDC, ट्रैफिक पुलिस, आदि)
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) राष्ट्रीय राजमार्गों पर जल निकासी के लिए जिम्मेदार है, जबकि DSIIDC औद्योगिक क्षेत्रों में ड्रेनेज सिस्टम का प्रबंधन करता है। ट्रैफिक पुलिस जलभराव के दौरान यातायात प्रबंधन में सहायता करती है। NH-24 जैसे राजमार्गों पर जलभराव ने NHAI की तैयारियों की कमी को उजागर किया। ट्रैफिक पुलिस ने जाम की स्थिति में कुछ हद तक प्रबंधन किया, लेकिन समन्वय की कमी के कारण प्रभाव सीमित रहा। समन्वय की कमी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचा।
जलभराव के कारण नालों की अपर्याप्त सफाई
MCD और PWD द्वारा दावा की गई डी-सिल्टिंग अपर्याप्त थी, जिसके कारण नाले चोक हो गए और बैकफ्लो की स्थिति बनी। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पुराना है और बढ़ते शहरीकरण की जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त है। MCD, PWD, DJB, और DDA के बीच जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा और समन्वय न होने से समस्या बढ़ी। अनियोजित निर्माण और प्राकृतिक जल निकासी मार्गों का अतिक्रमण जलभराव का प्रमुख कारण रहा। भारी और अनियमित बारिश ने मौजूदा बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त दबाव डाला।
दिल्ली सरकार का जलभराव पर सख्त रुख
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और जल मंत्री परवेश वर्मा ने जलभराव को लेकर सख्त रुख अपनाया। मिंटो ब्रिज पर जलजमाव के लिए एक जूनियर इंजीनियर को निलंबित किया गया और सहायक अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 410 जलभराव बिंदुओं पर समीक्षा के लिए बैठक बुलाई गई, जिसमें 71 बिंदुओं पर कार्य की प्रगति की समीक्षा की जानी थी। सरकार ने 24×7 पंप ऑपरेटर तैनात करने और 1400 किमी नालों की डी-सिल्टिंग की योजना बनाई है।
9 जुलाई को दिल्ली में जलभराव ने MCD, PWD, DJB, और DDA जैसे संगठनों की तैयारियों की कमियों को उजागर किया। अपर्याप्त डी-सिल्टिंग, पुराने ड्रेनेज सिस्टम, और समन्वय की कमी प्रमुख कारण रहे। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, जैसे अधिकारियों पर कार्रवाई और समीक्षा बैठकों का आयोजन, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार, बेहतर समन्वय, और रेनवाटर हार्वेस्टिंग जैसे उपायों की आवश्यकता है।