प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरकर भारत के लिए इतिहास रच दिया। यह मिशन नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट “ग्रेस” के जरिए दोपहर 12:01 बजे (IST) लॉन्च हुआ। इस यान ने लगभग 7,500 किमी/सेकंड (27,000 किमी/घंटा) की गति से पृथ्वी के वायुमंडल को पार किया और 10 मिनट में पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया।
41 साल बाद भारत का कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में गया। 1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु पहले भारतीय हैं जो ISS पर पहुंचे। यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम की तैयारी में महत्वपूर्ण कदम है, जो 2026-27 में भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा।
लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से उड़ान
फाल्कन-9 रॉकेट ने लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से उड़ान भरी, जो अपोलो 11 मिशन के लिए भी प्रसिद्ध है। 28 घंटे 50 मिनट की यात्रा के बाद, ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 26 जून को शाम 4:30 बजे (IST) ISS से डॉक हुआ। लॉन्च से पहले कई बार देरी हुई, जिसमें मौसम, रॉकेट में तकनीकी खराबी, और ISS के रूसी मॉड्यूल में लीक जैसे मुद्दे शामिल थे।
शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट थे, साथ में कमांडर पेगी व्हिट्सन (पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री, USA), स्लावोस उज़्नांस्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) थे। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान में नया अध्याय खोलता है।
14 दिन के मिशन में शुभांशु ने 60 से अधिक माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए, जिनमें 7 भारतीय प्रयोग शामिल थे। ये प्रयोग जैविक नमूनों, मांसपेशी पुनर्जनन, और भारतीय भोजन (जैसे मूंग और मेथी अंकुरण) से संबंधित थे, जो गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण हैं। जैविक नमूनों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं थीं, लेकिन इसरो और नासा ने इन्हें सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए।
शुभांशु का देश को संदेश !
कक्षा में पहुंचने के 10 मिनट बाद, शुभांशु ने हिंदी में संदेश दिया: “नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सवारी है! 41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में हैं। हम 7.5 किमी/सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधे पर तिरंगा मुझे बता रहा है कि मैं अकेला नहीं हूं, आप सभी मेरे साथ हैं।” उन्होंने इसे भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत बताया और देशवासियों से इस यात्रा का हिस्सा बनने की अपील की।
Axiom-4 मिशन के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से भेजा अपना पहला संदेश!
"नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सफ़र है! हम 41 साल बाद वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं, यह एक अद्भुत सफ़र है, हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं,… pic.twitter.com/bGeMs3Pagk
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) June 25, 2025
भारत ने इस मिशन के लिए एक सीट की लागत लगभग 60 मिलियन डॉलर (₹500 करोड़) दी। यह मिशन नासा, स्पेसएक्स, और इसरो के बीच सहयोग का परिणाम था, जो निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित था।
शुभांशु शुक्ला का परिचय
शुभांशु का जन्म 10 अक्टूबर 1985, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ। इनकी शिक्षा नेशनल डिफेंस एकेडमी (B.Sc. कंप्यूटर साइंस, 2005), IISc बैंगलोर (M.Tech. एयरोस्पेस इंजीनियरिंग)। भारतीय वायुसेना में 2006 में फाइटर पायलट के रूप में कमीशन। 2,000 घंटे से अधिक उड़ान अनुभव (Su-30 MKI, MiG-21, Jaguar आदि)। मार्च 2024 में ग्रुप कैप्टन बने। 2019 में इसरो द्वारा चुने गए, 2020-21 में रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण, फिर बैंगलोर में इसरो की सुविधा में। परिवार पत्नी डॉ. कामना मिश्रा (दंत चिकित्सक), एक बेटा।
मिशन का प्रभाव
शुभांशु की यात्रा ने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति उत्साह जगाया और अगली पीढ़ी को प्रेरित किया।यह मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, जैसे 2035 तक स्पेस स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन, को मजबूती देता है। भारतीय वायुसेना ने इसे “आकाश से सितारों तक” की यात्रा करार दिया।
शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर है। 7,500 किमी/सेकंड की गति से वायुमंडल पार करने वाला यह यान न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के सपनों का प्रतीक भी है। उनके प्रयोग और अनुभव गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण होंगे, जो भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान में आत्मनिर्भर बनाएगा।