प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष यान 26 जून 2025 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक पहुंच गया। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि शुभांशु ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने हैं और 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। उनके इस मिशन ने पूरे देश में उत्साह और गर्व की लहर पैदा कर दी है।
मिशन कब-कहां हुआ लॉन्च ?
मिशन एक्सिओम-4 (Ax-4) 25 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे, अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से स्पेसएक्स फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल के जरिए।लगभग 26 घंटे में अंतरिक्ष यान ने ISS तक की यात्रा पूरी की। 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे ISS के हार्मनी मॉड्यूल के साथ डॉकिंग पूरी हुई, जो तय समय से 20-40 मिनट पहले शुरू हो गई थी। डॉकिंग के बाद, पूर्ण प्रवेश में लगभग 1 घंटा और लगा। यान 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से 418 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था।
शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका में थे। उनके साथ शामिल अन्य अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन (अमेरिका) मिशन कमांडर, पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस की मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक। स्लावोश उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की (पोलैंड) मिशन विशेषज्ञ, यूरोपीय स्पेस एजेंसी। टिबोर कापु (हंगरी) मिशन विशेषज्ञ।
क्या है मिशन का उद्देश्य !
शुभांशु और उनकी टीम 14 दिनों तक ISS पर रहकर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से 7 भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं। इनमें भोजन, पोषण, माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव और जैविक नमूनों (जैसे बीज, माइक्रोएल्गी, टार्डिग्रेड्स) पर शोध शामिल हैं। यह मिशन भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की नींव को मजबूत करने में मदद करेगा। शुभांशु ने अंतरिक्ष में योग मुद्राएं करने और भारतीय खाद्य पदार्थ जैसे आमरस, गाजर और मूंग दाल का हलवा ले जाने की योजना बनाई है, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करेगा।
ड्रैगन कैप्सूल की डॉकिंग पूरी तरह स्वचालित थी, लेकिन शुभांशु और कमांडर पेगी व्हिटसन ने इसकी निगरानी की।
प्रक्रिया में चार चरण शामिल!
यान ने 90 सेकंड के इंजन फायरिंग के साथ अपनी गति और दिशा समायोजित की। ISS से 200-400 मीटर की दूरी पर लेजर सेंसर और कैमरों का उपयोग कर सटीक संरेखण। मैग्नेटिक ग्रिपर ने यान को डॉकिंग पोर्ट की ओर खींचा।मैकेनिकल लैच और हुक ने यान को सुरक्षित किया। आपात स्थिति में शुभांशु मैनुअल नियंत्रण लेने के लिए तैयार थे।
शुभांशु शुक्ला का संदेश
अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद, शुभांशु ने कहा, “कमाल की सवारी! मेरे कंधों पर तिरंगा मुझे याद दिलाता है कि मैं 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदें और सपने लेकर निकला हूं। यह मेरी यात्रा नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है।”
उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में तैरने और पृथ्वी की खूबसूरती का अनुभव साझा किया, साथ ही योग और क्रू के साथ हंसी-मजाक का जिक्र किया।
मिशन की चुनौतियां !
यह मिशन पहले 7 बार टल चुका था, जिसका कारण तकनीकी खामियां और ISS के ज़्वेज़्दा मॉड्यूल में दबाव की समस्या थी। बार-बार देरी से जैविक नमूनों (जैसे बीज) के खराब होने का खतरा था, लेकिन इसरो और नासा ने इन्हें सुरक्षित रखने के लिए उपाय किए।
यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया अध्याय है, जो नासा, एक्सिओम स्पेस और इसरो के सहयोग को दर्शाता है। शुभांशु की यह उपलब्धि गगनयान मिशन के लिए अनुभव और तकनीकी जानकारी प्रदान करेगी, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। यह निजी अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में भी एक कदम है, क्योंकि एक्सिओम स्पेस एक निजी कंपनी है।
कैसे करें लाइव ट्रैकिंग ?
स्पेसएक्स ने एक लिंक (spacex.com/follow-dragon) प्रदान किया था, जिसके जरिए लोग यान की रीयल-टाइम स्थिति, ऊंचाई, गति और दूरी देख सकते थे। यह मिशन न केवल शुभांशु शुक्ला के लिए, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़ती उपस्थिति के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।