प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : देश के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को मतदान होना है और इसके लिए सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद यह पद रिक्त हुआ है। एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के चयन और समर्थन जुटाने की कवायद शुरू कर दी है। चुनाव आयोग ने 7 अगस्त से नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 21 अगस्त तक चलेगी। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को होगी और उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपने नाम वापस ले सकते हैं।
एनडीए की रणनीति संख्याबल में बढ़त
एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसदों में से करीब 423 सांसदों का समर्थन है, जो जीत के लिए आवश्यक 392 वोटों से अधिक है। राज्यसभा में हाल ही में तीन नामित सदस्यों (उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला, और सी सदानंदन मास्टर) के बीजेपी में शामिल होने से एनडीए की ताकत और बढ़ी है।
बीजेपी एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश में है, जो न केवल एनडीए के सहयोगी दलों, बल्कि गैर-एनडीए दलों जैसे बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और बीआरएस का समर्थन भी जुटा सके। बीजेपी और संघ की विचारधारा से मेल खाने वाले चेहरे पर दांव लगाने की संभावना है। 2022 में जगदीप धनखड़ ने 528 वोटों के साथ विपक्ष की मार्गरेट अल्वा (182 वोट) को हराया था। इस बार भी बीजेपी ऐसी ही बड़ी जीत के लिए गैर-एनडीए दलों से समर्थन जुटाने की रणनीति बना रही है।
इंडिया ब्लॉक की रणनीति
इंडिया ब्लॉक ने संकेत दिए हैं कि वे सांकेतिक विरोध दर्ज करने के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार उतारेंगे, भले ही संख्याबल में वे कमजोर हों। उम्मीदवार की घोषणा 16 अगस्त के बाद संभावित है।
राहुल गांधी ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के जरिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। इंडिया ब्लॉक की कोशिश होगी कि उनका उम्मीदवार एनडीए के सहयोगी दलों जैसे जदयू और तेलगूदेशम को असहज करे। इंडिया ब्लॉक के पास 313 सांसदों का समर्थन है, जो एनडीए से कम है। फिर भी, वे गैर-गठबंधन दलों के समर्थन से मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश करेंगे।
क्या होगा जोरदार मुकाबला ?
एनडीए की संख्याबल में स्पष्ट बढ़त के कारण उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि, 2022 के मुकाबले 2025 में सियासी समीकरण बदल गए हैं। बीजेपी की लोकसभा सीटें 240 हैं, जो 2019 के 303 से कम हैं, जबकि कांग्रेस की सीटें 52 से बढ़कर 99 हो गई हैं।
बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और बीआरएस जैसे दल, जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन दलों का रुख मुकाबले को रोचक बना सकता है।
गुप्त मतदान का प्रभाव
उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है, जिसके कारण 2022 में धनखड़ को उनके गठबंधन के संख्याबल (422) से अधिक 528 वोट मिले थे। इस बार भी गुप्त मतदान के कारण कुछ अप्रत्याशित समर्थन मिल सकता है। इंडिया ब्लॉक का लक्ष्य जीत से ज्यादा एक मजबूत राजनीतिक संदेश देना है। इससे मुकाबला प्रतीकात्मक रूप से जोरदार हो सकता है, भले ही परिणाम एनडीए के पक्ष में जाए।
एनडीए का पलड़ा भारी !
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है, और 9 सितंबर को संसद भवन में मतदान होगा। एनडीए अपनी संख्याबल की ताकत और रणनीतिक गठजोड़ के दम पर जीत की स्थिति में है, लेकिन इंडिया ब्लॉक एक मजबूत उम्मीदवार उतारकर और गैर-गठबंधन दलों का समर्थन जुटाकर मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश करेगा। हालांकि, संख्याबल और गुप्त मतदान के इतिहास को देखते हुए एनडीए का पलड़ा भारी नजर आता है।
यह चुनाव न केवल उपराष्ट्रपति पद के लिए, बल्कि दोनों गठबंधनों की सियासी ताकत और एकता के प्रदर्शन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इंडिया ब्लॉक की रणनीति और गैर-गठबंधन दलों का रुख इस मुकाबले में कुछ हद तक रोमांच पैदा कर सकता है, लेकिन एनडीए की जीत की संभावना प्रबल है।