प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
पटना: बिहार में विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को सुनवाई के बाद इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग (ECI) से फिर पूछा कि आधार कार्ड, वोटर आईडी (EPIC) और राशन कार्ड को स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि वह बिना दोनों पक्षों को सुने कोई आदेश पारित नहीं कर सकता, इसलिए फिलहाल SIR पर रोक नहीं लगाई जाएगी। अगली सुनवाई जल्द होगी।
ECI का रुख
चुनाव आयोग ने 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में 789 पेज का हलफनामा दाखिल कर कहा कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं। ECI ने तर्क दिया कि आधार केवल पहचान पत्र है और जनवरी 2024 के बाद जारी आधार कार्डों पर स्पष्ट लिखा है कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। वोटर आईडी पुराने मतदाता सूची पर आधारित है, जो संशोधन के अधीन है और राशन कार्ड में फर्जीवाड़े की संभावना है, क्योंकि हाल ही में 5 करोड़ फर्जी राशन कार्ड निष्क्रिय किए गए। ECI ने कहा कि ये दस्तावेज पहचान के लिए पूरक के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं, लेकिन स्टैंडअलोन प्रूफ नहीं।
ADR और याचिकाकर्ताओं का तर्क
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और अन्य याचिकाकर्ताओं (जैसे मनोज झा, महुआ मोइत्रा, केसी वेणुगोपाल आदि) ने SIR को “मतदाताओं पर धोखा” और “नागरिकता जांच का छिपा प्रयास” करार दिया। ADR ने कहा कि ECI द्वारा स्वीकृत 11 दस्तावेज भी फर्जी हो सकते हैं, इसलिए आधार को खारिज करना “हास्यास्पद” है, क्योंकि यह पासपोर्ट, OBC/SC/ST सर्टिफिकेट और स्थायी निवास प्रमाणपत्र के लिए स्वीकार्य है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह प्रक्रिया बिहार में 4.74 करोड़ मतदाताओं, खासकर दलितों, मुस्लिमों और गरीब प्रवासियों को मताधिकार से वंचित कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
10 जुलाई को सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि ECI का 11 दस्तावेजों की सूची “पूर्ण” नहीं है और आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को शामिल करना चाहिए। कोर्ट ने नागरिकता जांच को गृह मंत्रालय का क्षेत्र बताया, न कि ECI का। कोर्ट ने SIR की टाइमिंग पर सवाल उठाया, क्योंकि बिहार में नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और इतने कम समय में प्रक्रिया से लाखों मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। कोर्ट ने तीन मुख्य मुद्दों पर जवाब मांगा: ECI का SIR करने का अधिकार, प्रक्रिया की वैधता और इसका समय।
ECI ने कहा कि “SIR 2003 के बाद पहली बार हो रहा है, क्योंकि पिछले 20 वर्षों में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में जोड़-घटाव से डुप्लिकेट प्रविष्टियों की संभावना बढ़ी है। यह प्रक्रिया Article 326 के तहत केवल पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए है। ECI ने दावा किया कि 5.5 करोड़ फॉर्म जमा हो चुके हैं, और प्रक्रिया पारदर्शी है।
विपक्ष का विरोध
कांग्रेस, RJD और अन्य विपक्षी दलों ने SIR को “NRC का डर” और “वोटर दमन” का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि बिहार में 87% लोग आधार का उपयोग करते हैं, लेकिन पासपोर्ट या जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज कम लोगों के पास हैं, जिससे गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदाय प्रभावित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने SIR को रोकने से इनकार किया, लेकिन ECI से आधार, EPIC, और राशन कार्ड पर विचार करने को कहा। ECI ने इन दस्तावेजों को शामिल करने से मना कर दिया है, जिसके बाद विपक्ष “बहिष्कार” जैसे कदमों पर विचार कर रहा है। मामला अभी लंबित है, और अगली सुनवाई में कोर्ट ECI के जवाब और प्रक्रिया की वैधता पर विचार करेगा। यह मामला बिहार के आगामी चुनावों और मतदाता अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट और ECI के बीच तनाव और विपक्ष के आरोपों ने इसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना दिया है।