स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से लागू हुए “एंड-ऑफ-लाइफ” (EOL) वाहनों (10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों) पर ईंधन देने की रोक को फिलहाल स्थगित करने का फैसला किया है। यह निर्णय जनता के भारी विरोध और नियम की व्यावहारिक खामियों के बाद लिया गया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की। आइए इस मामले की पूरी रिपोर्ट और नियम की खामियों को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
बैन का कारण और प्रारंभिक लागू करना !
दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 1 जुलाई से 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन देने पर प्रतिबंध लगाया था। इस नियम को लागू करने के लिए ANPR कैमरे दिल्ली के 500 से अधिक पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए, जो वाहनों की उम्र की पहचान करते हैं।
नियम तोड़ने वाले चार पहिया वाहनों पर 10,000 रुपये और दोपहिया वाहनों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। पहले दिन 80 वाहनों को जब्त किया गया, जिनमें 67 दोपहिया वाहन, 12 कारें और 1 ऑटो रिक्शा शामिल थे। पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण, खासकर PM2.5 और NOx उत्सर्जन, को कम करना, जो दिल्ली के प्रदूषण में 47% तक योगदान करते हैं।
क्या हैं नए नियम की खामियां
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को लिखे पत्र में निम्नलिखित खामियों का उल्लेख किया ANPR सिस्टम की तकनीकी कमियां कई कैमरे खराब हैं या ठीक से काम नहीं कर रहे। उदाहरण के लिए, पूसा रोड पर एक पेट्रोल पंप के कैमरे ने एक वैध हुंडई i10 (2028 तक वैध) को गलत तरीके से पुराना वाहन पहचान लिया। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट्स (HSRP) में समस्याएं, जिसके कारण ANPR सही पहचान नहीं कर पा रहा। पड़ोसी राज्यों के डेटाबेस के साथ समन्वय की कमी, जिससे अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों की पहचान में दिक्कत हो रही है।
आज दिल्ली की सड़कों पर खड़ी END-of-Life Vehicles की समस्या, किसी और की नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की वर्षों की नाकामी और निकम्मेपन का नतीजा है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिसकी जिम्मेदारी थी समय रहते समाधान की योजना बनाने और अमल करने की, वही सरकार सोती रही। अब जब संकट सिर पर है, तो… pic.twitter.com/NBW5k7I5jA
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) July 2, 2025
एनसीआर में एकरूपता की कमी
यह नियम केवल दिल्ली में लागू किया गया, जबकि एनसीआर के अन्य शहरों (नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत) में इसे 1 नवंबर 2025 से लागू करने की योजना है। इससे दिल्ली के वाहन मालिकों के साथ भेदभाव हो रहा है। सिरसा ने मांग की कि पूरे एनसीआर में एकसमान नियम लागू हों।
सिरसा ने कहा कि “वाहनों को उनकी उम्र के बजाय प्रदूषण स्तर के आधार पर आंका जाना चाहिए। कई पुराने वाहन, जो फिटनेस टेस्ट पास करते हैं और वैध PUC (प्रदूषण नियंत्रण) प्रमाणपत्र रखते हैं, प्रदूषण नियंत्रण मानकों को पूरा करते हैं।
क्या हैं जनता की परेशानी !
दिल्ली में करीब 62 लाख EOL वाहन हैं (41 लाख दोपहिया और 18 लाख चारपहिया), जिनके मालिकों को अचानक इस नियम से परेशानी हुई। कई लक्जरी कार मालिकों को अपनी गाड़ियां कम कीमत पर बेचनी पड़ी या स्क्रैप करानी पड़ी।
3 जुलाई को, सिरसा ने CAQM को पत्र लिखकर आदेश संख्या 89 को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में लागू यह नियम जनता के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। दिल्ली सरकार और CAQM के बीच इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक प्रस्तावित है। कोर्ट ने CAQM को सितंबर 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
वाहन मालिकों के लिए विकल्प स्क्रैपिंग
वाहन मालिक अपने पुराने वाहनों को पंजीकृत स्क्रैपिंग सुविधाओं (RVSF) में स्क्रैप कर सकते हैं। इसके लिए https://vscrap.parivahan.gov.in पर बुकिंग की जा सकती है। स्क्रैपिंग पर रोड टैक्स में छूट जैसे प्रोत्साहन मिलते हैं। वाहनों को उन राज्यों में स्थानांतरित किया जा सकता है जहां उम्र आधारित प्रतिबंध नहीं हैं, जैसे बिहार, महाराष्ट्र के कुछ जिले, या मेघालय। इसके लिए इंटर-स्टेट ट्रांसफर और नया RTO पंजीकरण जरूरी है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ाव: सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है, जिसके लिए सब्सिडी और चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने की योजनाएं हैं, हालांकि लागत और बुनियादी ढांचा अभी भी चुनौती है।
पारदर्शिता और सख्ती की जरूरत
प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्ती की जरूरत है। पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की नीति को बढ़ावा देना और नए पर्यावरण-अनुकूल वाहनों को प्रोत्साहन देना ज्यादा प्रभावी हो सकता है। दिल्ली सरकार ने फिलहाल इस बैन को लागू न करने का फैसला किया है, और CAQM के साथ इस नीति की पुनः समीक्षा की जाएगी। सिरसा ने जोर देकर कहा कि “सरकार जनता को परेशान नहीं होने देगी और दिल्ली की मुख्यमंत्री जनता के साथ हैं। यह नियम एनसीआर के अन्य शहरों में भी लागू करने की योजना थी, लेकिन अब इसकी समीक्षा होगी ताकि एकरूपता और व्यावहारिकता सुनिश्चित हो।”
वैकल्पिक उपायों पर विचार
दिल्ली सरकार का पुराने वाहनों पर बैन हटाने का फैसला जनता की परेशानियों और तकनीकी खामियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। ANPR सिस्टम की कमियां, एनसीआर में एकरूपता की कमी, और उम्र आधारित नीति की अव्यवहारिकता इस फैसले की मुख्य वजहें हैं। सरकार अब प्रदूषण स्तर आधारित नीति और अन्य वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रही है। वाहन मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी गाड़ियों को स्क्रैप करें, अन्य राज्यों में ट्रांसफर करें, या इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ें।