नई दिल्ली। हम जिस देश में रहते हैं, वहां की सबसे बड़ी समस्या गरीबी और बेरोजगारी है. ये दोनों ही चीजें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और हम दशकों से इस बात के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि देश इससे बाहर आए. सोचिए इसी धरती पर एक ऐसा भी देश है, जहां कोई गरीब और बेघर ही नहीं है. सुनकर आपको अजीब लग सकता है लेकिन सपनों जैसा ये देश इसी पृथ्वी पर है. यहां जाने का ख्वाब हर कोई देखता है, लेकिन बसना सबके बस की बात नहीं.
यूरोप में मौजूद एक खूबसूरत सा देश है, जहां पर कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं है. कम से कम हम जिन्हें गरीब समझते हैं, उस हालत में कोई नहीं रहता. वहां की सरकार ही उन्हें गरीब नहीं रहने देती. हम बात कर रहे हैं बहुत से लोगों की बकेट लिस्ट में शामिल स्विट्जरलैंड की. इस देश की खूबसूरती के साथ-साथ खासियत ये भी है कि यहां आप कोशिश करके भी कोई गरीब नहीं ढूंढ पाएंगे क्योंकि इस देश में गरीबी है ही नहीं.
स्विट्जरलैंड से गायब हुई गरीबी
स्विट्जरलैंड की सड़कें बेहद साफ-सुथरी हैं और यहां पर आपको ढूंढने से भी कहीं कोई गरीब आदमी नहीं मिलेगा. सरकार यहां गरीबी को इस तरह नियंत्रित करती है, मानो गरीब होना कोई क्राइम हो. अगर इस देश में कोई बेघर है या उसका घर छूट गया है, तो सरकार खुद उसे घर देती है. फेडरल हाउसिंग पॉलिसी के तहत 60 फीसदी आबादी को सब्सिडी वाले अपार्टमेंट दिए जाते हैं. लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त में दी जाती हैं और अगर किसी के पास रोजगार नहीं है, तो उसे करियर ट्रेनिंग भी मिलती है, वो भी बिल्कुल फ्री.
मिनिमम सैलरी है 4 लाख रुपये
दुनिया की हैप्पीनेस इंडेक्स में टॉप 5 में जगह बना चुका स्विट्जलैंड वेतन के मामले में भी बहुत बढ़िया है. यहां पर रहने वाले लोगों को न्यूनतम वेतन 4,000 यूरो यानि करीब 4 लाख रुपये है. इसी हिसाब से यहां पर कॉस्ट ऑफ लिविंग भी है. अगर कोई अपनी नौकरी खो देता है, तो उसे अपनी आखिरी सैलरी का 80 फीसदी भत्ता दिया जाता है. यहां की सड़कों से लेकर हर एक जगह काफी साफ-सुथरी है. यहां सड़क पर कूड़ा फैलाने पर 10 हजार यूरो तक का जुर्माना लगता है और सिगरेट पीकर फेंकी तो 300 यूरो का चालान कट जाता है. ये सारी व्यवस्थाएं बनाने में 19वीं सदी से ही काम चल रहा है और अब जाकर इसे पूरी तरह प्रभावी किया जा सका है.







