स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और सीजफायर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों ने सुर्खियां बटोरी हैं। ट्रंप ने पहले दावा किया था कि “उनके प्रशासन ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन बाद में एक कार्यक्रम में अपने बयान से पलटते हुए कहा कि उन्होंने मध्यस्थता नहीं की, बल्कि इस समस्या को हल करने में मदद की। इस रिपोर्ट में हम इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं, बयानों, और इसके प्रभावों का विशेष विश्लेषण एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा के साथ करेंगे।
भारत-पाकिस्तान तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का हालिया दौर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले से शुरू हुआ। इस हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसके तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को बाइपास करते हुए 100 किलोमीटर अंदर तक हमले किए और आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।
दोनों देशों के बीच युद्धविराम !
पाकिस्तान ने इस दौरान चीन और तुर्की निर्मित ड्रोन्स और मिसाइलों का इस्तेमाल किया, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों, जैसे S-400, आकाश मिसाइल सिस्टम, और नए “भार्गवास्त्र” काउंटर ड्रोन सिस्टम ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। 8-10 मई 2025 को पाकिस्तान ने भारत के कई सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इन सभी हमलों को निष्प्रभावी कर दिया। इसके बाद 10 मई 2025 को दोनों देशों के बीच युद्धविराम (सीजफायर) लागू हुआ, जिसे अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों की मध्यस्थता से संभव बताया गया। हालांकि, सीजफायर के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया, जिससे तनाव फिर बढ़ गया।
युद्धविराम पर डोनाल्ड ट्रंप का बयान
12 मई 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल और स्थायी युद्धविराम कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “मेरे अधिकारियों ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में मदद की, वरना दोनों देश युद्ध के मुहाने पर खड़े थे। हमने दोनों देशों के साथ व्यापार रोकने की धमकी दी, जिसके बाद सीजफायर हुआ।” ट्रंप ने यह भी कहा कि यह युद्धविराम परमाणु युद्ध को रोकने में मददगार साबित हुआ, जिसमें लाखों लोग मारे जा सकते थे।
इस बयान के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। भारत ने कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 13 मई 2025 को कहा, “कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है। किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है। अब मुद्दा केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को खाली करने का है।”
ट्रंप का बयान से पलटना !
15 मई 2025 को एक कार्यक्रम में डोनाल्ड ट्रंप अपने पिछले बयान से पलट गए। उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने उस समस्या को हल करने में मदद की, जो भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले सप्ताह और भी ज्यादा खतरनाक हो रही थी।” इस बयान ने कई सवाल खड़े किए, क्योंकि ट्रंप ने पहले स्पष्ट रूप से मध्यस्थता का दावा किया था।
ट्रंप के इस यू-टर्न को कई विश्लेषकों ने भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और कश्मीर पर उसकी स्पष्ट नीति से जोड़ा। भारत ने बार-बार कहा है कि कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। ट्रंप के बयान को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिका ने भारत के रुख को स्वीकार करते हुए अपनी स्थिति को नरम किया।
भारत ने दी प्रतिक्रिया ?
भारत ने ट्रंप के प्रारंभिक बयान पर कड़ा ऐतराज जताया था। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सीजफायर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत और सैन्य स्तर पर संपर्क के माध्यम से लागू हुआ। भारत ने यह भी कहा कि उसने “नो फर्स्ट एग्जेगरेशन” नीति का पालन किया, यानी पहले हमला नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान के उकसावे का मुंहतोड़ जवाब दिया। भारतीय सेना और सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर जोर दिया, जिसमें स्वदेशी हथियारों और रक्षा प्रणालियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने बताया कि भारतीय डिफेंस सिस्टम्स, जैसे पेचोरा, OSA-AK, और आकाश मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान के हथियारों को नष्ट किया, जो चीन और तुर्की से प्राप्त हुए थे।
क्या रहा पाकिस्तान का रुख ?
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ने सीजफायर का उल्लंघन किया और पेशावर एयरपोर्ट के पास भारतीय ड्रोन को मार गिराया। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की, यह तर्क देते हुए कि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और युद्ध के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी इस तनाव के दौरान चर्चा में रही। मूडीज जैसे संस्थानों ने चेतावनी दी कि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह तबाह हो सकती है, जबकि भारत को कोई खास नुकसान नहीं होगा।
क्या रही अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं ?
यूएन महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने पहलगाम हमले की निंदा की और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि सैन्य समाधान कोई हल नहीं है। चीन ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया और भारत-पाकिस्तान संघर्ष को अपने हथियारों की परीक्षा के रूप में देखा। तुर्की के ड्रोन्स के नाकाम होने के बाद भारत ने तुर्की से सेब आयात पर रोक लगा दी, जिससे तुर्की के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा। अमेरिका और यूएई दोनों देशों ने पर्दे के पीछे मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसे द्विपक्षीय मामला बताकर तीसरे पक्ष की भूमिका को सीमित किया।
ट्रंप के बयान का क्या प्रभाव पड़ा ?
ट्रंप के प्रारंभिक बयान ने भारत में राजनीतिक बहस छेड़ दी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि सीजफायर की पहली घोषणा ट्रंप ने क्यों की। वहीं, ट्रंप के पलटने से भारत की कूटनीतिक स्थिति मजबूत हुई, क्योंकि यह भारत के रुख की पुष्टि करता है कि कश्मीर पर कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
पाकिस्तान में ट्रंप के बयान को शुरू में अपनी जीत के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन उनके पलटने के बाद पाकिस्तान की स्थिति कमजोर दिखी। पाकिस्तान की जनता और राजनीतिक दल युद्ध की स्थिति में एकजुट होने की बात कर रहे हैं, लेकिन आर्थिक कमजोरी और सैन्य असफलताओं ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया।
विदेश नीति की अप्रत्याशित शैली !
ट्रंप का बयान और उससे पलटना उनकी विदेश नीति की अप्रत्याशित शैली को दर्शाता है। भारत ने इस मामले में अपनी कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया, जिससे अमेरिका को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने लाया, बल्कि स्वदेशी हथियारों, जैसे भार्गवास्त्र, की सफलता ने भारत की तकनीकी प्रगति को भी रेखांकित किया। पाकिस्तान के लिए यह तनाव उसकी सैन्य और आर्थिक कमजोरियों को उजागर करता है। चीन और तुर्की के हथियारों की नाकामी ने पाकिस्तान की रणनीति पर सवाल उठाए हैं।
भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर बयान
डोनाल्ड ट्रंप का भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर बयान और उससे पलटना इस क्षेत्र में चल रहे जटिल भू-राजनीतिक समीकरणों का हिस्सा है। भारत ने अपनी स्थिति को मजबूती से रखा और कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखा। पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक असफलताओं ने उसकी स्थिति को कमजोर किया, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस तनाव को परमाणु युद्ध के खतरे के रूप में देखा। भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का रुख दोनों देशों की कूटनीति और सैन्य रणनीति पर निर्भर करेगा।