प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच हाल के तनाव ने मध्य पूर्व में एक नए युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। 13-14 जून 2025 को इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हवाई हमलों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है। इस हमले में ईरान के दो शीर्ष सैन्य अधिकारी, जनरल घोलमरेजा मेहराबी (आर्म्ड फोर्सेज जनरल स्टाफ के डिप्टी हेड ऑफ इंटेलिजेंस) और जनरल मेहदी रब्बानी (डिप्टी हेड ऑफ ऑपरेशन), मारे गए। इसके अलावा, ईरान के छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों की भी मौत हुई है, जिनमें डॉ. फेरेयदून अब्बासी और डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरांची जैसे नाम शामिल हैं।
फोर्डो न्यूक्लियर साइट को नुकसान
इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान की प्रमुख परमाणु सुविधाओं, विशेष रूप से नतांज और फोर्डो, को निशाना बनाया। ईरानी सरकारी मीडिया ने पुष्टि की है कि फोर्डो परमाणु संयंत्र को सीमित नुकसान हुआ, हालांकि ईरान ने इसे कम करके दिखाने की कोशिश की है। नतांज यूरेनियम संवर्धन सुविधा को भारी क्षति पहुंची, जिसे इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने भी पुष्टि की है। इसके अलावा, इस्फहान और परचिन जैसे अन्य परमाणु ठिकानों पर भी हमले की खबरें हैं।
क्या है इजरायल का मकसद
इजरायल का दावा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके अस्तित्व के लिए खतरा है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के पास 60% शुद्धता वाला यूरेनियम है, जिससे छह परमाणु बम बनाए जा सकते हैं। इस खतरे को खत्म करने के लिए इजरायल ने न केवल परमाणु सुविधाओं, बल्कि ईरानी सैन्य और परमाणु नेतृत्व को निशाना बनाया।
इजरायल ने 200 से अधिक फाइटर जेट्स, ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग कर तेहरान, इस्फहान और फोर्डो जैसे क्षेत्रों में हमले किए। इन हमलों में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) के प्रमुख कमांडर हुसैन सलामी, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और अन्य सैन्य अधिकारी भी मारे गए। कुल 78 लोगों की मौत और 320 से अधिक घायल होने की खबर है, जिनमें कई आम नागरिक भी शामिल हैं।
ईरान ने इजरायल पर जवाबी हमले किए, जिसमें 100 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे गए। इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने दावा किया कि उन्होंने अधिकांश ड्रोनों को नष्ट कर दिया। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र से इजरायली हमलों की निंदा करने और सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इसे “युद्ध की घोषणा” करार दिया।
अब क्या हैं हालात !
इजरायल ने दुनिया भर में अपने दूतावास बंद करने और नागरिकों को यहूदी प्रतीकों का प्रदर्शन न करने की सलाह दी है, जिससे युद्ध की आशंका बढ़ गई है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, और क्षेत्रीय तनाव चरम पर है। पड़ोसी देशों जैसे इराक, सीरिया और जॉर्डन ने भी अपने हवाई क्षेत्र बंद कर दिए हैं। यह हमला न केवल सैन्य और परमाणु सुविधाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए था, बल्कि ईरान की रणनीतिक और बौद्धिक क्षमता (परमाणु वैज्ञानिकों) को कमजोर करने का भी प्रयास था।
इजरायल का यह हमला ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है, जिसे वह अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। हालांकि, ईरान के जवाबी हमलों और क्षेत्रीय अस्थिरता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। यह मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध की शुरुआत हो सकती है, जिसका असर वैश्विक स्तर पर, विशेष रूप से तेल की कीमतों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता है।