प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: दिल्ली में कांवड़ यात्रा (11 से 23 जुलाई) के दौरान उत्तर प्रदेश (यूपी) मॉडल की तर्ज पर मीट की दुकानों और बूचड़खानों को बंद करने की मांग तेज हो गई है। हिंदू सेना और दिल्ली बीजेपी के कुछ नेताओं ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया है कि यात्रा मार्ग पर मांसाहारी भोजन की बिक्री पर रोक लगाई जाए और ढाबों व रेस्टोरेंट्स की जांच हो ताकि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान हो।
क्या है हिंदू सेना की मांग !
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर कांवड़ यात्रा मार्ग पर मीट की दुकानें और बूचड़खाने बंद करने की मांग की है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि ढाबों और रेस्टोरेंट्स की जांच हो ताकि कोई व्यक्ति अपनी पहचान छुपाकर कांवड़ियों को गैर-शाकाहारी भोजन न परोस सके। पिछले साल कुछ संदिग्ध लोगों द्वारा गलत भोजन परोसने की घटनाओं का हवाला देते हुए यह मांग उठाई गई है।
दिल्ली बीजेपी के विधायक तर्विंदर सिंह मरवाह ने भी मुख्यमंत्री और राज्यपाल विनय सक्सेना को पत्र लिखकर यात्रा मार्ग पर मीट और शराब की दुकानें बंद करने की मांग की है। दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने भी यूपी मॉडल की तर्ज पर मीट की दुकानें बंद करने की बात कही है।
दिल्ली सरकार की कांवड़ यात्रा पर तैयारी
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कांवड़ यात्रा के लिए दो बड़े फैसले लिए गए। पहला, कांवड़ समितियों को 50 हजार से 10 लाख रुपये तक की सहायता राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए दी जाएगी। दूसरा, कांवड़ शिविरों में 1200 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जाएगी।
कांवड़ समितियों को विभिन्न अनुमतियों के लिए दौड़ने की जरूरत नहीं होगी। सभी एनओसी 72 घंटे के भीतर एक ही जगह से मिलेंगी। दिल्ली सरकार के मंत्री कांवड़ शिविरों की निगरानी करेंगे ताकि व्यवस्थाएं सुचारू रहें। दिल्ली के मेयर इकबाल सिंह ने कांवड़ मार्ग पर मीट की दुकानें बंद करने की अपील की है।
कांवड़ यात्रा में यूपी मॉडल का आधार
यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की दुकानें बंद करने और दुकानदारों की पहचान के लिए क्यूआर कोड अनिवार्य करने जैसे सख्त नियम लागू हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2024 और 2025 में कांवड़ मार्ग पर मांसाहारी भोजन की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध और दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश दिए थे। दिल्ली में भी इसी मॉडल को लागू करने की मांग उठ रही है।
विवाद और व्यापारियों की चिंता
मीट की दुकानें बंद करने की मांग से स्थानीय व्यापारियों में असमंजस और नाराजगी है। कुछ का मानना है कि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी। साथ ही, पिछले साल यूपी में दुकानदारों की पहचान के लिए नेम प्लेट और क्यूआर कोड अनिवार्य करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई थी, जिसे AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भेदभावपूर्ण बताया था।
दिल्ली सरकार ने अभी मीट की दुकानें बंद करने की मांग पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन कैबिनेट के फैसलों और मंत्रियों की सक्रियता से संकेत मिलता है कि सरकार कांवड़ यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक तैयारियां कर रही है। कांवड़ समितियों को पारदर्शी तरीके से सहायता, मुफ्त बिजली, और सिंगल विंडो सिस्टम जैसे कदमों से यात्रा की व्यवस्थाओं को मजबूत करने की कोशिश हो रही है।
दिल्ली में कांवड़ यात्रा के लिए यूपी मॉडल
दिल्ली में कांवड़ यात्रा के लिए यूपी मॉडल को अपनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें मीट की दुकानें बंद करना और खाद्य प्रतिष्ठानों की जांच शामिल है। हालांकि, व्यापारियों के विरोध और संभावित कानूनी चुनौतियों के कारण इस मुद्दे पर विवाद हो सकता है। दिल्ली सरकार की प्राथमिकता कांवड़ियों की सुविधा और धार्मिक भावनाओं का सम्मान सुनिश्चित करना है, लेकिन इसका स्थानीय व्यापार पर प्रभाव भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।