प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन अचानक इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए।
इस्तीफे की वजह और अटकलें
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों को प्रमुख बताया। सूत्रों के अनुसार, मार्च 2025 में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी, और हाल ही में नैनीताल में भी उनकी तबीयत बिगड़ी थी। परिवार और डॉक्टरों ने उन्हें स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी थी।
विपक्ष के सवाल
विपक्षी नेताओं, जैसे कांग्रेस के जयराम रमेश और पप्पू यादव, ने इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि इस्तीफे के पीछे सियासी दबाव या अन्य कारण हो सकते हैं। कुछ ने इसे बीजेपी के आंतरिक खेल से जोड़ा, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव और नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की अटकलों के साथ।
न्यायपालिका से विवाद
धनखड़ ने हाल के समय में न्यायपालिका, खासकर कॉलेजियम सिस्टम और आर्टिकल 142 के इस्तेमाल पर तीखी टिप्पणियां की थीं। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने में उनकी तत्परता ने भी सियासी तनाव बढ़ाया था। कुछ का मानना है कि यह उनके इस्तीफे का एक कारण हो सकता है।
उपराष्ट्रपति का नाम फाइनल?
अभी तक नये उपराष्ट्रपति के नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को यथाशीघ्र भरना होगा, और इसके लिए 60 दिनों के भीतर चुनाव आवश्यक है। अटकलों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य बड़े नेताओं जैसे राजनाथ सिंह या मनोज सिन्हा के नाम सामने आ रहे हैं।
बीजेपी को ऐसे उम्मीदवार की तलाश है जो संवैधानिक जिम्मेदारियों को संभाल सके और 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘एक देश, एक चुनाव’ जैसे बड़े विधेयकों के लिए राज्यसभा में मजबूत भूमिका निभा सके।
बीजेपी में बड़ा परिवर्तन राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश
धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही बीजेपी को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी नया चेहरा चुनना है, क्योंकि जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया गया था, लेकिन अब नया नाम तय करने की प्रक्रिया चल रही है।
धनखड़ के इस्तीफे ने बीजेपी और एनडीए के सामने दोहरी चुनौती पेश की है—उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय अध्यक्ष, दोनों पदों के लिए सही उम्मीदवार चुनना। इसके साथ ही, मंत्रिमंडल में विस्तार और नए चेहरों को शामिल करने की चर्चाएं भी तेज हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की 75 वर्ष की उम्र संबंधी टिप्पणी को कुछ लोग धनखड़ (74 वर्ष) के इस्तीफे से जोड़कर देख रहे हैं।
वर्तमान स्थिति धनखड़ का इस्तीफा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई को मंजूर कर लिया। हरिवंश नारायण सिंह को राज्यसभा का कार्यवाहक सभापति नियुक्त किया गया है। विपक्ष ने इस्तीफे की टाइमिंग और कारणों पर सवाल उठाते हुए इसे सियासी साजिश करार दिया है, जबकि बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा न केवल एक अप्रत्याशित घटना है, बल्कि यह बीजेपी और एनडीए के लिए एक बड़े सियासी परिवर्तन का संकेत हो सकता है। नये उपराष्ट्रपति और बीजेपी अध्यक्ष के चयन में पार्टी को संवैधानिक और राजनीतिक संतुलन बनाना होगा। हालांकि, अभी तक कोई ठोस नाम फाइनल नहीं हुआ है, और आने वाले हफ्तों में इस पर स्पष्टता की उम्मीद है।