सतीश मुखिया
मथुरा : केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण अंचल तक पेय जल पहुंचाने हेतु पाइपलाइन बिछाने की कोशिश कर रही है और सरकार हर घर नल, हर घर जल जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के जरिए ग्रामीण अंचलों में स्वच्छ पेयजल पहुँचाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर मथुरा जिले के ग्रामीण आज भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। इस जिले में अधिकतर गांव में खारा पानी है जो कि पीने योग्य नहीं है आम दिनों में तो लोग भाग अपना गुजारा कर लेते हैं लेकिन गर्मी के दिनों में इन लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वर्षों से चली आ रही पेयजल समस्या का अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। पिछले कुछ वर्षों में पेयजल योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। नलकूप, हैंडपंप, टंकी और पाइपलाइन बिछाने जैसे तमाम कार्य हुए लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं आया। अधिकतर हैंडपंप या तो खराब हैं या सूख चुके हैं और जिन टंकियों से जल आपूर्ति होनी चाहिए थी, उनमें या तो पानी नहीं आता या फिर सप्लाई अनियमित रहती है। गर्मी के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। महिलाओं और बच्चों को दूर-दराज के इलाकों से पानी भरकर लाना पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो जिम्मेदार अधिकारी सुनवाई करते हैं और न ही कोई कारगर कदम उठाया जाता है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस समस्या का जल्द से जल्द स्थायी समाधान किया जाए। केवल कागज़ी योजनाओं और बजट खर्च से गांव की प्यास नहीं बुझाई जा सकती। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे। आपको पंचायत में जल निगम द्वारा बनाई गई टंकियां खड़ी मिलेगी लेकिन की यह संख्या केवल शोपीस बंद कर रह गई है और आज युवा पढ़ाई लिखाई छोड़कर साइकिलों और मोटरसाइकिलों से पानी की कैनन को भरकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हुए आपको रोड पर दिखाई दे जाएंगे।