नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने शुक्रवार (5 सितंबर) को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि राज्य मंत्रिमंडल की मौजूदा संख्या संवैधानिक सीमा से अधिक है.
पार्टी का दावा है कि संविधान के अनुसार 90 सदस्यीय विधानसभा वाले राज्य में मंत्रियों की संख्या (मुख्यमंत्री सहित) 13 से अधिक नहीं हो सकती, जबकि वर्तमान में यह 14 है. इस याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होने की संभावना है।
क्या है संवैधानिक प्रावधान?
संविधान के अनुच्छेद 164 (1A) के तहत किसी भी राज्य में विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते. ये अनुच्छेद 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के द्वारा जोड़ा गया था. किसी राज्य में मंत्रिपरिषद का आकार उस राज्य की विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकता, लेकिन यदि विधानसभा छोटी है तो भी मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी. वहीं पीटीआई के अनुसार, कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने बिना किसी संवैधानिक अनुमति के 14 मंत्रियों को शामिल कर लिया है.
बीजेपी सरकार का पक्ष
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाल ही में तीन बीजेपी विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया, जिससे मंत्रियों की संख्या 14 हो गई. इस पर सवाल उठने पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि सरकार ने हरियाणा का उदाहरण अपनाया है. हरियाणा में भी 90 सदस्यीय विधानसभा और 14 सदस्यीय मंत्रिमंडल है, और यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है.
विपक्ष का रुख और आगे की राह
नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने पहले ही राज्यपाल रमेन डेका को पत्र लिखकर मांग की थी कि एक मंत्री को हटाया जाए, क्योंकि यह सीमा का उल्लंघन है. अब कांग्रेस ने औपचारिक रूप से अदालत का दरवाजा खटखटाया है. यदि कोर्ट कांग्रेस की दलीलों से सहमत होता है तो राज्य सरकार को मंत्रिमंडल से एक सदस्य को बाहर करना पड़ सकता है, जिससे राजनीतिक समीकरणों पर बड़ा असर पड़ेगा.