Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

भारत के मरीज अस्पतालों से क्या चाहते हैं? रिपोर्ट में खुलासा

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
October 12, 2025
in राष्ट्रीय, लाइफस्टाइल
A A
clinic
16
SHARES
533
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

नई दिल्ली। अब ज्यादातर भारतीय मरीज इलाज के मामले में खुली और भरोसेमंद जानकारी चाहते हैं. एफआईसीसीआई (FICCI) और ईवाई-पार्थेनॉन (EY-Parthenon) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 83% मरीज चाहते हैं कि उन्हें अस्पतालों और इलाज की सही और साफ जानकारी आसानी से मिले, जबकि लगभग 90% मरीज बेहतर क्वालिटी की गारंटी मिलने पर थोड़ा ज्यादा खर्च करने को भी तैयार हैं.

ट्रू अकाउंटेबल केयर: मैक्सिमाइजिंग हेल्थकेयर डिलीवरी इम्पैक्ट, एफिशियंटली रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत की हेल्थकेयर व्यवस्था को बेहतर, सस्ती और भरोसेमंद बनाया जा सकता है.

इन्हें भी पढ़े

RSS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और घोष : घोष केवल संगीत और वादन नहीं, यह साधना है!

October 12, 2025

भारत की 47% आबादी अब भी इंटरनेट से दूर, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

October 12, 2025
stomach cancer

बहुत साधारण लगते हैं पेट के कैंसर के ये लक्षण, अनदेखा करना पढ़ सकता भारी

October 10, 2025
Sushil Gaikwad

सुशील गायकवाड़ ने महाराष्ट्र सदन के रेजिडेंट कमिश्नर का संभाला कार्यभार

October 10, 2025
Load More

भारत में इलाज अब भी महंगा

रिपोर्ट कहती है कि भारत की हेल्थ सेवाएं दूसरे देशों के मुकाबले सस्ती हैं, लेकिन आम लोगों के लिए इलाज की लागत अब भी बोझ बनी हुई है.

बड़े निजी अस्पतालों में एक मरीज पर रोजाना 30,000 से 40,000 रुपए तक खर्च आता है. मेट्रो शहरों के बड़े सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में ये खर्च 70,000 रुपए तक पहुंच जाता है. फिर भी, इस सेक्टर में निवेश पर रिटर्न सिर्फ 13% फीसदी है, जबकि बाकी सेक्टरों जैसे एफएमसीजी या रिटेल में ये 25% से ज्यादा है.

रिपोर्ट के अनुसार एक निजी अस्पताल में औसत इलाज का खर्च करीब 58,000 रुपए है, जो देश के आधे परिवारों के सालभर के खर्च से भी ज्यादा है. ग्रामीण इलाकों में तो हाल और भी मुश्किल है. करीब 2530% लोग ऐसे हैं जिनके पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है, यानी उन्हें इलाज के लिए अपनी जेब से पैसे देने पड़ते हैं.

मरीजों को चाहिए पारदर्शिता, डॉक्टर भी तैयार

ईवाई-पार्थेनॉन के हेल्थकेयर लीडर कैवान मूवडावाला ने कहा, भारत की हेल्थकेयर व्यवस्था ने काफी तरक्की की है, लेकिन आने वाले सालों में बुजुर्ग आबादी और बढ़ती बीमारियों की वजह से नए दबाव आएंगे. अच्छी बात ये है कि अब मरीज पारदर्शिता चाहते हैं और डॉक्टर भी इलाज के नतीजे साझा करने के लिए तैयार हैं.

ईवाई-पार्थेनॉन के दूसरे पार्टनर अक्षय रवि ने कहा कि अब सरकार और प्राइवेट अस्पताल दोनों ही गुणवत्ता और मरीजों के अनुभव को लेकर गंभीर हैं. उनका कहना है कि अब वक्त है कि हम संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान दें.

एफआईसीसीआई हेल्थ सर्विस कमेटी के सह-अध्यक्ष वरुण खन्ना ने कहा, यह रिपोर्ट दिखाती है कि हम कहां तक पहुंचे हैं और आगे किस दिशा में जाना चाहिए. अच्छी बात ये है कि 90% डॉक्टर मानते हैं कि इलाज के लिए एक समान मानक और नतीजे तय करना जरूरी है.

एफआईसीसीआई के चेयरमैन डॉ हर्ष महाजन ने कहा, अगर हम जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण इलाज को बढ़ावा दें, तो भारत एक ऐसा हेल्थकेयर सिस्टम बना सकता है जो भरोसेमंद भी हो और सस्ता भी.

जानें रिपोर्ट क्या-क्या है खास

  • साल 2000 से अब तक भारत में अस्पतालों की बेड क्षमता लगभग दोगुनी हुई है.
  • मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें पांच गुना बढ़ी हैं.
  • एडवांस इलाज जैसे कैथ लैब और कैंसर मशीनों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
  • अगर मौजूदा स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो 2047 तक अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या तीन गुना हो सकती है, जिसके लिए 2030 लाख नए बेड की जरूरत होगी.
  • अगर इलाज का तरीका नतीजा-आधारित (Outcome-based) बना, तो अस्पताल में भर्ती 2030% तक घटाई जा सकती है.
  • सिर्फ एक-तिहाई मरीजों को ही अस्पतालों की गुणवत्ता से जुड़ी असली जानकारी मिल पाती है. ज्यादातर लोग डॉक्टर की सिफारिश या पहचान पर भरोसा करते हैं.
  • 10% से भी कम निजी अस्पतालों को NABH की मान्यता है और सिर्फ 2% लैब्स NABL प्रमाणित हैं.
  • रिपोर्ट कहती है कि अब भारत को डिजिटल और डेटा-आधारित हेल्थ सिस्टम की ओर बढ़ना चाहिए. इसके लिए VALUE Framework नाम की योजना दी गई है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड, एआई टेक्नोलॉजी और रियल-टाइम डाटा शेयरिंग जैसी चीजों पर जोर है.
  • इसके साथ ही, रिपोर्ट ने 7C Framework भी सुझाया है — यानी क्वालिटी, लागत पर नियंत्रण, इलाज में तालमेल, मरीज को सशक्त बनाना और *डिजिटल जुड़ाव जैसे कदम उठाने की जरूरत है.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
बढ़ता कर्ज

बड़ी चुनौती बन रही बढ़ता कर्ज!

May 13, 2023
pm modi

आतंकवाद के खिलाफ भारत की हुंकार, ऑपरेशन सिंदूर से दुश्मन देश हुए बेकार!

May 27, 2025
UAE Pakistan?

क्या पाकिस्तान को बचा पाएगी यूएई की खैरात?

January 13, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • JDU और बीजेपी कितने सीटों पर लड़ेगी, आ गई डिटेल
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और घोष : घोष केवल संगीत और वादन नहीं, यह साधना है!
  • भारत के मरीज अस्पतालों से क्या चाहते हैं? रिपोर्ट में खुलासा

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.