स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ। इसके बाद अब एग्जिट पोल सामने आने लगे हैं. एग्जिट पोल में दिल्ली में बड़ा बदलाव होते दिख रहा है. MATRIZE के सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन इसमें बीजेपी को मामूली बढ़त देखने को मिल रही है. इन आंकड़ों के मुताबिक, आप को 32-37 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि बीजेपी 35-40 सीटों के साथ दिल्ली में सरकार बनाती दिख रही है। वहीं कांग्रेस को भी एक सीट मिलती दिख रही है।
AAP के लिए चुनाव काफ़ी मायने रखता है!
एग्ज़िट पोल्स का विश्लेषण करने के बाद एक पॉडकास्ट में चुनावी विशेषज्ञ प्रकाश मेहरा कहते हैं “AAP के लिए यह चुनाव काफी मायने रखता है। जबकि बीजेपी और कांग्रेस भी मैदान में हैं और वापसी के लिए जोर लगा रहे हैं. बीजेपी ने दिल्ली में 1993 में जीत हासिल की थी, उसके बाद कभी जीत नसीब नहीं हुई. वहीं, कांग्रेस ने 1998, 2003, 2008 में लगातार जीत हासिल की और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। इस बार चुनाव में AAP को BJP-कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। दिल्ली में लगभग 1.56 करोड़ वोटर्स हैं।”
दिल्ली की किन सीटों पर सबकी नजर?
दिल्ली चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजे पर हर किसी की नजर है. अरविंद केजरीवाल, आतिशी, प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और कैलाश गहलोत जैसे प्रमुख नेता दौड़ में हैं. नई दिल्ली सीट सबसे हाई प्रोफाइल है. यहां AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल, बीजेपी के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित के बीच मुकाबला है।
पटपड़गंज सीट पर AAP से अवध ओझा, बीजेपी से रविंदर सिंह नेगी और कांग्रेस से अनिल चौधरी के बीच टक्कर है. उत्तर पश्चिमी इलाके की रोहिणी सीट पर AAP से प्रदीप और बीजेपी से विजेंद्र गुप्ता के बीच मुकाबला हो रहा है। कालकाजी सीट पर दिल्ली की वर्तमान सीएम आतिशी, बीजेपी से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अलका लांबा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है। जंगपुरा सीट से AAP से मनीष सिसोदिया, बीजेपी से सरदार तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस से फरहाद सूरी मैदान में हैं।
क्या होते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल से चुनावी नतीजों की एक तस्वीर पता चलती है. दरअसल, एग्जिट पोल में एक सर्वे किया जाता है, जिसमें वोटरों से कई सवाल किए जाते हैं। उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया. ये सर्वे वोटिंग वाले दिन ही होता है. सर्वे करने वाली एजेंसियों की टीम पोलिंग बूथ के बाहर वोटरों से सवाल करती है। इसका एनालिसिस किया जाता है और इसके आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। भारत में कई सारी एजेंसियां एग्जिट पोल करवाती है।
एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस?
एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं। रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं। कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।