स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास लंबा और जटिल रहा है। 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद से दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद, सीमा संघर्ष और आतंकवाद जैसे मुद्दों ने रिश्तों को तनावपूर्ण बनाए रखा है। हाल के दिनों में, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोगों की मौत हुई) ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इस हमले के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जवाबी कार्रवाई, सिंधु जल संधि को निलंबित करना और बागलिहार बांध से चिनाब नदी का पानी रोकना शामिल है। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने इन कार्रवाइयों को आक्रामक बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश की है। इस विशेष रिपोर्ट में हम भारत-पाकिस्तान तनाव के नवीनतम घटनाक्रम और पड़ोसी देशों की स्थिति का विशेष विश्लेषण एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा के साथ करेंगे।
तनाव के हालिया कारण !
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों सहित 26 लोगों की मौत हुई। भारत ने इस हमले का आरोप पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों पर लगाया। इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में लक्षित हवाई हमले किए, जिसमें पाकिस्तानी सेना के ठिकानों और आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया।
भारत ने लिए कड़े फैसले !
भारत ने पहलगाम हमले के बाद 25 को सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की। यह संधि दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रही है, और इसके निलंबन से पाकिस्तान में पानी की कमी की आशंका बढ़ गई है। 26-27 अप्रैल की रात को पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर तूतमारी गली और रामपुर सेक्टर में अकारण गोलीबारी शुरू की, जिसका भारतीय सेना ने जवाब दिया। दोनों देशों के सैन्य अभियानों के डायरेक्टर जनरल ने हॉटलाइन पर बातचीत की, लेकिन तनाव कम नहीं हुआ। भारत ने पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ग्रे सूची में डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाया और दवाओं की आपूर्ति रोक दी, जिससे पाकिस्तान में दवाओं की कमी की खबरें आईं।
पड़ोसी देशों की स्थिति कौन किसके साथ ?
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए मजबूर किया है। पड़ोसी देशों और प्रमुख वैश्विक शक्तियों की प्रतिक्रियाएं निम्नलिखित हैं।
चीन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया है। चीनी राजदूत जियांग जैदोंग ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात कर पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा चिंताओं का समर्थन किया। चीन ने पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग का भी समर्थन किया। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और भारत के साथ सीमा विवाद चीन को पाकिस्तान का करीबी सहयोगी बनाते हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पाकिस्तान को हर तरह की मदद का भरोसा दिया। तुर्की के सैन्य और खुफिया अधिकारियों ने इस्लामाबाद का दौरा किया और खबर है कि तुर्की ने पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की। तुर्की का एक नौसैनिक जहाज कराची पहुंचा, जिसे पाकिस्तान के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। तुर्की की भारत विरोधी नीति और इस्लामी देशों में प्रभाव बढ़ाने की रणनीति इसे पाकिस्तान का समर्थक बनाती है। अजरबैजान ने भी पाकिस्तान का खुला समर्थन किया है। यह समर्थन तुर्की के साथ अजरबैजान के गहरे संबंधों और भारत के आर्मेनिया के साथ अच्छे रिश्तों के कारण है।
दोनों को संयम बरतने की सलाह !
वहीं ईरान ने भारत और पाकिस्तान दोनों को संयम बरतने की सलाह दी है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि दोनों देश ईरान के मित्र हैं, लेकिन पाकिस्तान के साथ पड़ोसी होने के कारण ईरान की प्राथमिकता क्षेत्रीय स्थिरता है। अराघची ने इस्लामाबाद और नई दिल्ली की यात्रा कर तनाव कम करने की कोशिश की। ईरान भारत के साथ चाबहार बंदरगाह और ऊर्जा सहयोग को महत्व देता है, लेकिन पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करने के कारण वह तटस्थ रुख अपनाए हुए है।
अफगानिस्तान ने भारत के साथ अपने ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों को देखते हुए तनाव में भारत का समर्थन करने का संकेत दिया है। भारत ने अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में भारी निवेश किया है, और संयुक्त राष्ट्र में भारत ने अफगान शांति के लिए क्षेत्रीय प्रयासों का समर्थन किया है।अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड रेखा विवाद और तालिबान को लेकर मतभेद इसे भारत के करीब लाते हैं।
बांग्लादेश ने किसी का पक्ष नहीं लिया !
तटस्थ, लेकिन भारत के प्रति नरम: बांग्लादेश ने आधिकारिक तौर पर तनाव में किसी का पक्ष नहीं लिया, लेकिन भारत के साथ मजबूत आर्थिक और रक्षा संबंध इसे भारत के प्रति झुकाव वाला बनाते हैं। हाल के कुछ बयानों में बांग्लादेश में पाकिस्तान के साथ परमाणु सहयोग की चर्चा हुई, लेकिन यह अल्पमत में है।बांग्लादेश भारत के साथ व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग पर निर्भर है, जिससे वह तनाव में तटस्थ रहने की कोशिश कर रहा है।
श्रीलंका और नेपाल ने भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की नीति अपनाई है। दोनों देशों ने शांति और संवाद की वकालत की है, लेकिन किसी भी पक्ष का खुला समर्थन नहीं किया।दोनों देश भारत के साथ आर्थिक और भौगोलिक रूप से जुड़े हैं, जिससे वे तनाव में तटस्थ रहने को प्राथमिकता देते हैं।
भारत को समर्थन…वैश्विक शक्तियों ने दी प्रतिक्रिया !
अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के योगदान की सराहना की, लेकिन तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता की बात कही।अमेरिका भारत को इंडो-पैसिफिक रणनीति में महत्वपूर्ण सहयोगी मानता है, लेकिन पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग को भी बनाए रखना चाहता है।
रूस ने तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है। पाकिस्तानी राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने रूस से 1966 के ताशकंद समझौते जैसे हस्तक्षेप की मांग की। रूस ने भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए संतुलित रुख अपनाया है। रूस भारत का पुराना सहयोगी है, लेकिन पाकिस्तान के साथ भी संबंध सुधार रहा है।
इजरायल ने पहलगाम हमले की निंदा की !
इजरायल ने पहलगाम हमले की निंदा की और भारत को हर तरह की मदद का भरोसा दिया। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी से बात कर समर्थन जताया। भारत और इजरायल के बीच मजबूत रक्षा और तकनीकी सहयोग इसे भारत का मजबूत समर्थक बनाता है।
फ्रांस और इटली ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया। फ्रांस भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है और इटली के साथ भी भारत के अच्छे संबंध हैं।पाकिस्तान ने सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों से भारत पर दबाव डालने की मांग की, लेकिन इन देशों ने तटस्थ रुख अपनाया। सऊदी अरब और यूएई भारत के साथ मजबूत आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता देते हैं।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव का असर !
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। पूर्ण युद्ध की स्थिति दोनों देशों के लिए विनाशकारी होगी और दक्षिण एशिया की स्थिरता को खतरे में डालेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देश युद्ध से बचने की कोशिश करेंगे, लेकिन सीमित सैन्य कार्रवाइयां जारी रह सकती हैं। भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए FATF और बहुपक्षीय वित्तपोषण पर दबाव बढ़ाया है।पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है, और भारत की कार्रवाइयां इसे और गहरा सकती हैं।
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में आंशिक रूप से सफल रहा है, लेकिन भारत की वैश्विक साख और कूटनीतिक प्रभाव इसे मजबूत स्थिति में रखता है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के PoK पर अवैध कब्जे को बार-बार उठाया है। भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए वैश्विक मंचों पर घेरने की रणनीति अपनाई है। पहलगाम हमले ने भारत को इस मुद्दे पर और आक्रामक रुख अपनाने का मौका दिया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने दक्षिण एशिया को एक बार फिर अस्थिरता के कगार पर ला खड़ा किया है। पड़ोसी देशों में चीन, तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जबकि अफगानिस्तान, इजरायल, फ्रांस और इटली भारत के साथ हैं। ईरान, श्रीलंका, नेपाल और खाड़ी देश तटस्थ बने हुए हैं। वैश्विक शक्तियां जैसे अमेरिका और रूस संयम और मध्यस्थता की वकालत कर रहे हैं।