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Home दिल्ली

बेचारी यमुना को क्यों कोस रहे? इस दर्द की हर वजह हम खुद हैं!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
July 13, 2023
in दिल्ली, विशेष
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yamuna water level
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नई दिल्ली : दिल्ली में यमुना ने ऐसा रौद्र रूप धरा है जैसे पूरे शहर को डूबोने पर आमादा हैं। दशकों का रेकॉर्ड टूट गया है। जलस्तर 208 मीटर के भी पार पहुंच चुका है। राजधानी में बाढ़ जैसे हालात नहीं, बल्कि भीषण बाढ़ का कहर टूट रहा है। हजारों लोगों को सुरक्षित इलाकों से निकाला जा रहा है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में घर, दुकान पानी में डूब चुके हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। दिल्ली में जो यमुना प्रदूषण और लगातार अतिक्रमण से किसी नाले जैसी हो गई थीं, अब वह इतना विकराल रूप ले चुकी हैं कि त्राहिमाम मचा है। इंसानी अतिक्रमण पर जैसे कुदरत अपना बुलडोजर चला रही है। दिल्ली के डूबने के जिम्मेदार हम और आप भी कम नहीं हैं।

जहां निर्माण प्रतिबंधित, वहां धड़ल्ले से बस रहीं नई कॉलोनियां

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ऐसा लग रहा है कि हमने दिल्ली में यमुना की जो दुर्गति की है, उसका बदला लेने पर उतारू है नदी। ‘O जोन’ यानी नदी का वो इलाका जहां किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है, उसमें धड़ल्ले से अवैध निर्माण होते रहे। यमुना के पेट तक के निर्माण। बात चाहे पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार और आस-पास के इलाकों की हो या फिर दक्षिण दिल्ली के मदनपुर खादर की या फिर नॉर्थवेस्ट दिल्ली में वजीराबाद और आसपास के इलाकों की हो, हर जगह यमुना में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ। डीएनडी से लेकर गीता कॉलोनी, ओखला, वजीराबाद और पल्ला बेल्ट तक अतिक्रमण ही अतिक्रमण। यमुना के एकदम किनारे नई-नई कॉलोनियां उगती जा रही हैं। जैतपुर एक्सटेंशन, सोनिया विहार, राजीव नगर जैसी कॉलोनियां इसके उदाहरण हैं।

यमुना के डूब क्षेत्र में धड़ल्ले से अतिक्रमण

यमुना किनारे धड़ाधड़ अवैध निर्माण से नई-नई कॉलोनियां आकार लेती रही हैं। एनजीटी ने कभी यमुना किनारे खेती तक पर प्रतिबंध लगाया हुआ था वहां अब खेती तो छोड़िए अवैध पक्के निर्माण तक धड़ल्ले से होते रहे हैं। दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने 2020 में एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसके मुताबिक यमुना के फ्लडप्लेन में करीब 960 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण हो रखी थी। यहां तक कि सरकार भी यमुना के आंचल में निर्माण से नहीं हिचकी। यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन, कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज, मिलेनियम पार्क बस डिपो इसके जीते-जागते सबूत हैं। इन सबका निर्माण ‘O’ जोन में ही हुआ है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ होगी तो उसका बुलडोजर एक न एक दिन चलेगा ही।

यमुना में जमा होती सिल्ट बन रही आफत

यमुना के विकराल रूप लेने की एक बड़ी वजह उसमें सिल्ट का बढ़ना भी है। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स, पीपल (SANDRP) के असोसिएट को-ऑर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि सिल्ट जमा होने से यमुना का रिवरवेड ऊंचा हो गया है। उन्होंने बताया, ‘वजीराबाद से ओखला तक 22 किलोमीटर के दायरे में ही 20 से ज्यादा पुल बने हैं। इससे नदी में सिल्ट जमा होता जा रहा है।’

यमुना सफाई के नाम पर करोड़ों स्वाहा, नतीजा सिफर

दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए हजारों करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुका है लेकिन उसकी तस्वीर नहीं बदली। सुप्रीम कोर्ट 1994 से यमुना में प्रदूषण को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी कर रहा है। तब से शुरुआती 21 सालों में ही यमुना की सफाई के नाम पर यूपी ने 2052 करोड़ रुपये, दिल्ली ने 2,387 करोड़ रुपये और हरियाणा ने 549 करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन यमुना साफ नहीं हुई।

दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए 2017 से 2021 के दौरान 5 वर्षों में ही 8,856.91 करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन यमुना का पानी आचमन करने तो छोड़िए, नहाने के लायक भी नहीं बना। प्रदूषण घटने के बजाय बढ़ गया। इस साल जनवरी में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 8 साल में यमुना में प्रदूषण का स्तर दोगुना हो गया। 35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से सिर्फ 9 ही मानक के तहत काम कर रहे थे।

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