Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home दिल्ली

मोदी विरोधी मोर्चा के लिए केजरीवाल इतने ज़रूरी क्यों?

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
May 25, 2023
in दिल्ली, राष्ट्रीय, विशेष
A A
cm kejriwal
26
SHARES
868
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में 10 महीने से भी कम समय बचा हुआ है. यही कारण है कि अब सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिसाब से रणनीति बनाने में जुट गई है. एक तरफ जहां बीजेपी अलग-अलग राज्यों में सियासी समीकरणों को साधने में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ अन्य विपक्षी दल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तोड़ निकालने के लिए रणनीति बनाने में लग गई है.

बिहार के मुखिया नीतीश कुमार मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. वह लगातार विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं.

इन्हें भी पढ़े

nisar satellite launch

NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

July 30, 2025
भारत का व्यापार

ट्रंप का 20-25% टैरिफ: भारत के कपड़ा, जूता, ज्वेलरी उद्योग पर असर, निर्यात घटने का खतरा!

July 30, 2025
parliament

ऑपरेशन सिंदूर: संसद में तीखी बहस, सरकार की जीत या विपक्ष के सवाल? 7 प्रमुख हाई पॉइंट्स

July 30, 2025
UNSC

पहलगाम हमला : UNSC ने खोली पाकिस्तान की पोल, लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता उजागर, भारत की कूटनीतिक जीत !

July 30, 2025
Load More

कर्नाटक में कांग्रेस की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  कल यानी 21 मई को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पहुंचे थे. इस दौरान आरजेडी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी नीतीश के साथ थे.

इस मुलाकात के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार की तारीफ की और कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को साथ लाने की उनकी ये कोशिश सराहनीय है. वह इस काम में अपना ‘पूरा समर्थन’ देंगे. हालांकि पिछले एक महीने के अंदर दोनों नेताओं की ये दूसरी मुलाकात थी. इससे पहले नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक साथ लाने के अपने प्रयासों के तहत 12 अप्रैल को सीएम केजरीवाल से मिले थे.

कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को क्यों नहीं दे रही तवज्जो

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद 20 मई को बेंगलुरु में सिद्धारमैया का शपथ ग्रहण समारोह हुआ था. उस समारोह में विपक्षी दलों के कई बड़े नेता शामिल हुए थे जबकि आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित नहीं किया था.

इसके पीछे एक कारण ये भी माना जा रहा है कि जिस तरह से केजरीवाल की पार्टी का कुनबा दिल्ली और पंजाब के साथ धीरे-धीरे बाकी राज्यों में बढ़ रहा है, उसका आधार ही कांग्रेस के कमजोर होने पर टिका है. ऐसे में कांग्रेस ऐसा कभी नहीं चाहेंगी कि वह केजरीवाल की मदद ले.

नीतीश केजरीवाल के पीछे भाग रहे है

अरविंद केजरीवाल ने अब तक साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर खुलकर विपक्षी मोर्चा बनाने की बात नहीं की है और न ही इस पार्टी ने अब तक विपक्षी एकजुटता का हिस्सा बनने की बात की है, लेकिन फिर भी केजरीवाल विपक्षी एकता के लिए जरूरी हो क्यों हो गए हैं कि नीतीश कुमार को डेढ़ महीने के भीतर दूसरी बार उनसे मुलाकात करनी पड़ी. इससे पहले 12 अप्रैल को नीतीश ने दिल्ली में केजरीवाल से मुलाकात की थी.

मोदी विरोधी मोर्चा के लिए केजरीवाल इतने ज़रूरी क्यों?

दरअसल बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कई बार सार्वजनिक मंच पर कह चुके हैं कि वह इस आम चुनाव में विपक्षों को एकजुट कर भारतीय जनता पार्टी की ताकत को कम होते देखना चाहते हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से वे उन विपक्षी नेताओं से भी मिल रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर नरम रुख अपनाते रहे हैं. जैसे बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक.

ऐसे में केजरीवाल की पार्टी की पार्टी का कुनबा दिल्ली और पंजाब के साथ ही जिस तरह से धीरे-धीरे बाकी राज्यों में बढ़ रहा है, नीतीश बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि अरविंद केजरीवाल विपक्षी एकजुटता के लिए बनने वाले गठबंधन से बाहर रहें.

दरअसल वर्तमान में आम आदमी पार्टी की पकड़ राजधानी दिल्ली और पंजाब में बेहद मजबूत हैं. इन दोनों राज्यों के लोकसभा सीटों को मिला दें तो केजरीवाल की पकड़ कुल 20 लोकसभा सीटों पर है. अब अगर 20 लोकसभा सीटों पर विपक्षी एकजुट होती है तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा वोट की बदौलत ज्यादातर सीटों पर विपक्ष जीत सकता है.

हालांकि साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो उस वक्त सभी 7 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. लेकिन अब यहां आम आदमी पार्टी मजबूत स्थिति में है. इस पार्टी ने लगातार दो बार यानी साल 2015 और साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. 2015 में जहां केजरीवाल को 70 में से 67 सीटें मिली थी. तो वहीं साल 2020 में इसी पार्टी ने 70 में 62 सीटों पर जीत दर्ज की.

पंजाब की 13 सीटों पर विपक्षी पार्टियों की नजर

दिल्ली की तरह ही पंजाब में भी वर्तमान में आम आदमी पार्टी की सरकार है. इस राज्य में यह पार्टी फिलहाल काफी मजबूत स्थिति में है. दरअसल साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पंजाब में 4 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही थी.

जबकि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी यहां 13 में से सिर्फ़ एक ही सीट जीत सकी. हालांकि इसी लोकसभा चुनाव के 2 साल बाद यानी फरवरी 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कमाल ही कर दिखाया. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी पंजाब की 117 सीटों में से 92 सीटें अपने नाम करने में कामयाब रही और वहां कई दशकों से जारी कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के वर्चस्व को झटके से खत्म कर दिया.

पंजाब में आम आदमी पार्टी की स्थिति की मजबूती का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को बड़े अंतर से हरा दिया था.

जालंधर वही सीट है जिसपर साल 1999 से कांग्रेस का कब्जा था. ऐसे में ये कहा जाना गलत नहीं है कि पंजाब में केजरीवाल की पार्टी उस स्थिति में हैं कि अगर विपक्षी गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ चुनाव हो तो वहां की सभी 13 लोकसभा सीटों पर विपक्ष कब्जा करने के बारे में सोच सकता है.

कर्नाटक में कांग्रेस की जीते के बाद कांग्रेस का दावा मजबूत

विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत के बाद अब विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने का कांग्रेस का दावा और भी मजबूत होगा. बीबीसी की एक रिपोर्ट में राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता कहती हैं, “अब तक कांग्रेस बैकफुट पर ही रही थी लेकिन कांग्रेस का विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने का दावा इस जीत से मजबूत होगा क्योंकि ये जीत एक बड़े राज्य में और बड़े अंतर से हुई है.

इसके अलावा लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी बनाम कांग्रेस का मुकाबला होता है. अगर इन राज्यों में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो उनका प्रदर्शन पार्टी को और भी मजबूत करेगा.

बीजेपी की प्रतिक्रिया

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी एकता के इस कवायद पर बीजेपी के नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है. सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने विपक्षी दलों की कोशिशों पर निशाना साधते हुए कहा “विपक्षी एकता नहीं भ्रष्टाचार में डूबी पार्टियों का ठगबंधन”

अनुराग ठाकुर आगे कहते हैं “इस तरह के प्रयोग साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनावों के वक्त भी किए गए थे, लेकिन कारगर नहीं हो पाया. लोग जानते हैं कि इन दलों की कोई सामान्य नीति या विचारधारा नहीं है और चुनाव जीतने के लिए झूठे वादे करते हैं.”

ठाकुर ने आगे कहा कि कांग्रेस और अन्य पार्टियां चुनाव जीतने के लिए झूठे वादे करती हैं, लेकिन बाद में वादे पूरा नहीं करतीं और भ्रष्टाचार में लिप्त रहती हैं.

सौदेबाजी कर बना रहे गठबंधन

बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले तो विपक्षी एकता वाले शपथ ग्रहण में उन्हें बुलाया ही नहीं गया और अब केजरीवाल कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों से सौदा कर करने में लग गई है.

दरअसल राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया है उससे नाराज अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर समूचे विपक्ष को उनका साथ दें. मनोज शर्मा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों से जो अपील कर रहे हैं वह पूरी तरह से असंवैधानिक होगा.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
ODF Swachh Bharat

ओडीएफ से आगे-संपूर्ण स्वच्छ भारत की ओर

October 5, 2022

विकसित भारत संकल्प यात्रा कैंप में प्रतिभाग करते मंत्री गणेश जोशी

December 11, 2023
सनातन संस्कृति के संस्कारों

भारत में आर्थिक प्रगति हेतु सनातन संस्कृति के संस्कारों को जीवित रखना ही होगा

August 14, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • कलियुग में कब और कहां जन्म लेंगे भगवान कल्कि? जानिए पूरा रहस्य
  • NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!
  • देश पहले खेल बाद में, EaseMyTrip ने WCL भारत-पाकिस्तान मैच से प्रायोजन हटाया, आतंक के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया।

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.