देहरादून। यूं तो उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है पर वहां के विकास में कहां कमी रह गई और वहां रहने वाले लोग आख़िर 5 वीं अनुसूची की मांग क्यों कर रहे हैं क्यों भू कानून के लिए संघर्ष कर रहे हैं आख़िर लोगों को क्यों नहीं मिल पाती हैं मूलभूत सुविधाएं ये समझने के लिए देखिए एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की खास रिपोर्ट।।
उत्तराखंड की राजनीति लगातार गरमाते जा रही है क्योंकि एक तरफ़ लोग भू कानून को लेकर कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं तो दूसरी ओर 5 वीं अनुसूची को लेकर सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध देखने को मिल रहा है। यही नहीं बल्कि जिस देवभूमि की बात आए दिन होती है पर वहां शिक्षा, स्वास्थ जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इसी को लेकर जब पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व गढ़वाल सांसद तीरथ रावत से इन समस्याओं के बारे में चर्चा हुई तो उन्होंने जनता को आश्वासन दिया था कि वे इसके समाधान के लिए हर एक कदम उठाएंगे और इन समस्याओं से मुक्त करेंगे। हालांकि उन्हें गढ़वाल लोकसभा सीट से टिकट न मिलने के बाद जनता में निराशा देखने को मिल रही है। क्योंकि जनता का मानना है कि उनकी समस्याओं का समाधान सिर्फ तीरथ रावत से ही संभव था।
जनता का प्रेम सर्वोपरि: तीरथ रावत
लोकसभा चुनाव से पहले तीरथ रावत ने एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से खास बातचीत में बताया था कि “जन समस्याएं हमारे लिए सबसे पहले हैं और जहां तक शिक्षा,स्वास्थ और 5 वीं अनुसूची की बात है हम इसको आगामी लोकसभा चुनाव के बाद सत्र में उठाएंगे साथ ही इन मांगों को पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे। हम हमेशा से कहते आए हैं सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के साथ प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में चलते रहेंगे। इसलिए जनता का ये प्रेम और विश्वास हमारे लिए सर्वोपरि हैं।”
5 वीं अनुसूची को लेकर क्या बोले रावत!
5वीं अनुसूची को लेकर रावत ने बताया कि ” हमने उत्तराखंड के विकास के लिए हर एक कदम उठाए हैं और आगे भी उठाएंगे। पीएम मोदी के नेतृत्व में तमाम मोटर मार्गो और फ्लाईओवरों का निर्माण हुआ है शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा मिली है जहां तक 5 वीं अनुसूची की बात है रावत कहते हैं कि इच्छाशक्ति होनी चाहिए लागू अवश्य होगा।”
अपनी माटी की हिफ़ाज़त के लिए सड़कों पर!
बीते 10 नवंबर को हरिद्वार में लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ हल्ला बोल किया उन्होंने कहा “हम सब एकजुट होकर अपनी माटी की हिफ़ाज़त के लिए, अपने हक़ और अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरे। मूल निवास और भू कानून की मांग हमारे अस्तित्व से जुड़ी है, हमारे पुरखों की विरासत से जुड़ी है। यह लड़ाई सिर्फ़ कागज़ों पर नहीं, हमारी जड़ों की गहराइयों में बसी हुई है। हर कदम, हर नारा इस संकल्प को मजबूत कर रहा है कि हम अपने हक़ की एक-एक इंच भूमि के लिए डटे रहेंगे। आओ, इस संघर्ष में एकजुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद करें। हमारे हक़, हमारे भविष्य, और हमारी पहचान के लिए!”
हालांकि उत्तराखंड में पिछले कई महीनों से भू कानून,मूल निवास 1950 को लेकर तो कहीं 5 वीं अनुसूची को लेकर जगह-जगह विशाल धरना प्रदर्शन, महारैली हो रहे हैं जिससे सरकार जनता की मांगों को माने। अब देखना होगा कि आख़िर कब तक सरकार मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून पर एक्शन लेती है सवाल ये भी है कि कब तक उत्तराखंड की जनता को न्याय मिलेगा ? क्या सरकार उत्तराखंड में सशक्त भू कानून लागू करेगी ?।
देखिए एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा के साथ पूरी रिपोर्ट