प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साल 15-17 जून 2025 को कनाडा में आयोजित होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने की संभावना कम है। यह 2019 के बाद पहली बार होगा जब वह G7 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे, जिससे छह साल पुरानी परंपरा टूटने की संभावना है। यह स्थिति भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक तनाव के कारण उत्पन्न हुई है, खासकर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले को लेकर।
कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन
कनाडा इस साल G7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जो 15-17 जून 2025 को अल्बर्टा के कनानास्किस में होगा। G7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। यूरोपीय आयोग का अध्यक्ष भी इसमें भाग लेता है। भारत 2019 से लगातार G7 शिखर सम्मेलनों में अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है और यह मोदी की 11वीं भागीदारी होती, अगर वह शामिल होते।
मोदी के भाग न लेने का कारण?
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव 2023 में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार के एजेंटों पर संलिप्तता का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने “निराधार” और “राजनीति से प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया था। इस घटना ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
कनाडा में सिख संगठनों, जैसे टोरंटो स्थित सिख फेडरेशन और वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन ने कनाडा सरकार से मांग की है कि जब तक भारत कनाडा में आपराधिक जांच में सहयोग नहीं करता, तब तक मोदी को G7 में आमंत्रित न किया जाए। कनाडा ने अभी तक अतिथि देशों की आधिकारिक सूची जारी नहीं की है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के नेताओं को आमंत्रित किए जाने की खबरें हैं। कनाडा के G7 प्रवक्ता ने कहा है कि अतिथि नेताओं के नाम “उचित समय” पर जारी किए जाएंगे।
क्या कहते हैं सूत्र?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा से अभी तक कोई आधिकारिक आमंत्रण नहीं मिला है, और अगर अब आमंत्रण मिलता भी है, तो लॉजिस्टिक बाधाओं और खालिस्तानी संगठनों द्वारा संभावित विरोध प्रदर्शनों के कारण भारत इसे स्वीकार करने की संभावना कम है।
भारत और कनाडा के बीच संबंधों को सुधारने की प्रतिबद्धता दोनों देशों के नेताओं, पीएम मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, ने जताई है। हालांकि, खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताएं अभी भी बरकरार हैं।
पिछले G7 शिखर सम्मेलनों में मोदी की भागीदारी
मोदी ने 2019 से लगातार G7 शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लिया है। 2019 में फ्रांस, 2022 में जर्मनी, 2023 में जापान और 2024 में इटली में उनकी उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 2024 के G7 शिखर सम्मेलन में, जो इटली में हुआ, मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्यसागरीय क्षेत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा की थी। उन्होंने वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को उठाने और G20 के परिणामों को G7 के साथ जोड़ने पर जोर दिया था। उनकी अनुपस्थिति G7 में भारत की सक्रिय भूमिका को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब भारत वैश्विक मंचों पर अपनी बढ़ती आर्थिक और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
कनाडा का क्या रुख
कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने चुनाव प्रचार के दौरान भारत के साथ व्यापार को बढ़ावा देने की इच्छा जताई थी, लेकिन उन्होंने “पारस्परिक सम्मान” की शर्त रखी। कनाडा के विदेश मंत्रालय ने अभी तक अतिथि नेताओं की सूची की पुष्टि नहीं की है। मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबाम ने कहा कि उन्हें दो सप्ताह पहले निमंत्रण मिला था, लेकिन उन्होंने भाग लेने का फैसला नहीं किया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। कनाडा के विदेश मंत्री अनिता आनंद ने हाल ही में अपने भारतीय समकक्ष के साथ “उत्पादक चर्चा” की थी, जिसमें आर्थिक सहयोग और साझा प्राथमिकताओं पर जोर दिया गया। फिर भी, सिख संगठनों का दबाव कनाडा सरकार पर बना हुआ है।
इसका प्रभाव और भविष्य
मोदी की अनुपस्थिति भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। दोनों देशों ने हाल के महीनों में संबंधों को बेहतर बनाने की बात कही है, लेकिन खालिस्तानी मुद्दे पर मतभेद अभी भी गहरे हैं। सिख संगठनों का कहना है कि कनाडा को भारत के साथ आर्थिक हितों को मानवाधिकारों से ऊपर नहीं रखना चाहिए। यह अनुपस्थिति भारत के वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधित्व और G7 में उसकी रणनीतिक भूमिका पर भी सवाल उठा सकती है, क्योंकि मोदी ने पहले G7 मंचों पर वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया था।
भारत-कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की G7 शिखर सम्मेलन में संभावित अनुपस्थिति भारत-कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंधों का परिणाम है, जो खालिस्तानी मुद्दे और निज्जर हत्याकांड के आरोपों से उपजा है। कनाडा द्वारा अभी तक कोई आधिकारिक आमंत्रण नहीं भेजा गया है, और सिख संगठनों का दबाव भी इस फैसले को प्रभावित कर रहा है। यह छह साल में पहली बार होगा जब मोदी G7 में शामिल नहीं होंगे, जिससे भारत की वैश्विक मंच पर सक्रियता और कनाडा के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ सकता है।