स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध, जो फरवरी 2022 से शुरू हुआ, अब अपने तीसरे वर्ष में है। इस दौरान यूक्रेन ने रूसी क्षेत्रों पर ड्रोन हमलों की तीव्रता बढ़ाई है, जिससे रूस को रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल के महीनों में, खासकर मई 2025 में, यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क, मॉस्को और अन्य क्षेत्रों में ड्रोन हमले तेज किए हैं।
इन हमलों में उन्नत हथियारों जैसे अमेरिकी ATACMS मिसाइलों और फाइबर ऑप्टिक ड्रोनों का इस्तेमाल हुआ है। दूसरी ओर, रूस के पास अवनगार्ड, जिरकॉन, बुरेवेस्तनिक, पोसाइडन और सरमत जैसे तथाकथित “सुपर हथियार” हैं, जिन्हें पुतिन ने अक्सर धमकी के रूप में पेश किया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पुतिन इन हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन के ड्रोन हमलों के जवाब में करेंगे? आइए इस मामले को विशेष विश्लेषण में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से विस्तार से समझते हैं।
यूक्रेन ने रूस के खिलाफ किए ड्रोन हमले
यूक्रेन ने रूस के खिलाफ ड्रोन हमलों को अपनी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। मई 2025 में कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं कुर्स्क में पुतिन पर हमले का दावा है कि 20 मई 2025 को रूस ने दावा किया कि यूक्रेन ने कुर्स्क क्षेत्र में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हेलीकॉप्टर को निशाना बनाने की कोशिश की। रूसी एयर डिफेंस कमांडर यूरी डैशकिन के अनुसार, 46 यूक्रेनी ड्रोनों ने हमला किया, जिन्हें रूसी वायु रक्षा ने नष्ट कर दिया। यह हमला पुतिन की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाता है।
रूस ने फाइबर ऑप्टिक ड्रोन से हमला
रूस ने यूक्रेन के रोडिन्स्के शहर पर 250 किलो के बम के साथ फाइबर ऑप्टिक ड्रोन से हमला किया, जिससे भारी तबाही हुई। ये ड्रोन जैमिंग तकनीक से सुरक्षित हैं और 12 मील की दूरी से सटीक निशाना लगा सकते हैं। यूक्रेन की सेना इन्हें रोकने में नाकाम रही है। मई 2025 में यूक्रेन ने मॉस्को के पास मिसाइल फैक्ट्री और अन्य रणनीतिक ठिकानों पर ड्रोन हमले किए।
रूस ने दावा किया कि उसने 26 मई से 27 मई तक 99 यूक्रेनी ड्रोनों को नष्ट किया। इन हमलों ने रूसी हवाई अड्डों पर उड़ानें प्रभावित कीं।यूक्रेन ने अमेरिका से प्राप्त ATACMS मिसाइलों (1,000 किमी रेंज) और नेप्च्यून मिसाइलों का इस्तेमाल रूसी ठिकानों पर किया, जिससे रूस को नुकसान हुआ। यह अमेरिकी समर्थन रूस के लिए चिंता का विषय है।
यूक्रेन की यह रणनीति रूस को उसके ही क्षेत्र में दबाव डालने और युद्ध को लंबा खींचने की है, ताकि रूस आर्थिक और सैन्य रूप से कमजोर हो।
रूस के ‘सुपर हथियार’…क्या हैं ये ?
रूस ने कई उन्नत हथियार विकसित किए हैं, जिन्हें वह “सुपर वेपन” के रूप में प्रचारित करता है। इनमें से कुछ प्रमुख हथियार हैं
पोसाइडन: यह एक परमाणु-संचालित ड्रोन है, जो समुद्र में तटीय शहरों को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह 10,000 किमी की दूरी तय कर सकता है और परमाणु विस्फोट से सुनामी पैदा कर सकता है।
आरएस-28 सरमत (Satan-2): यह एक भारी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो 18,000 किमी तक मार कर सकती है। यह 10-15 परमाणु हथियार ले जा सकती है और इसे रोकना लगभग असंभव माना जाता है।
अवनगार्ड: हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल, जो 20 मैक की गति से लक्ष्य को भेद सकता है। इसे पारंपरिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों से बचने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
जिरकॉन: हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो समुद्र और जमीन दोनों पर लक्ष्य भेद सकती है। इसकी गति और सटीकता इसे घातक बनाती है।
बुरेवेस्तनिक: परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल, जो लंबी दूरी तक उड़ान भर सकती है। इसे “उड़ता हुआ चेर्नोबिल” भी कहा जाता है।
पेरेसवेट लेजर हथियार: यह लेजर हथियार ड्रोनों और उपग्रहों को नष्ट करने में सक्षम है। 2022 में रूस ने दावा किया था कि इसका इस्तेमाल यूक्रेन में किया गया।
हालांकि, किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल को छोड़कर, इनमें से अधिकांश हथियारों का युद्ध में उपयोग नहीं हुआ है। रूस इनका इस्तेमाल धमकी के रूप में करता है।
पुतिन ने सुपर हथियारों का उपयोग क्यों नहीं किया?
रूस ने इन शक्तिशाली हथियारों का उपयोग यूक्रेन में नहीं किया, इसके कई कारण हैं। पुतिन की रणनीति इन हथियारों को साइलो में रखकर डर पैदा करने की है। इनकी धमकी ही नाटो और पश्चिमी देशों को सीधे हस्तक्षेप से रोक रही है। उपयोग करने से यह डर कम हो सकता है और रूस अपनी विश्वसनीयता खो सकता है। रूस का लक्ष्य डोनबास, खार्किव जैसे क्षेत्रों पर कब्जा करना है, न कि पूरे यूक्रेन को नष्ट करना। कीव जैसे शहरों पर सुपर हथियारों का उपयोग नाटो को युद्ध में खींच सकता है, जो रूस के लिए जोखिम भरा होगा।
मिसाइल हमलों का जवाब परमाणु हथियारों से
नवंबर 2024 में पुतिन ने नई परमाणु नीति को मंजूरी दी, जिसमें ड्रोन या मिसाइल हमलों का जवाब परमाणु हथियारों से देने की बात कही गई। लेकिन रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस परमाणु युद्ध शुरू करने से बचेगा। परमाणु हथियारों का उपयोग तीसरे विश्व युद्ध को ट्रिगर कर सकता है।रूस के सहयोगी देश, जैसे चीन और भारत, परमाणु या सुपर हथियारों के उपयोग का समर्थन नहीं करेंगे। इससे रूस की वैश्विक स्थिति कमजोर हो सकती है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि “इन सुपर हथियारों की तकनीकी विश्वसनीयता पूरी तरह सिद्ध नहीं हुई है। इनका उत्पादन और रखरखाव भी महंगा है, और रूस की अर्थव्यवस्था पहले ही युद्ध के कारण दबाव में है।”
पुतिन की वर्तमान रणनीति
पुतिन की रणनीति युद्ध को लंबा खींचने और यूक्रेन व उसके पश्चिमी सहयोगियों को थकाने की है। इसके लिए रूस ने हाल ही में कुछ कदम उठाए हैं।
रूस ने यूक्रेन के रोडिन्स्के में फाइबर ऑप्टिक ड्रोनों का इस्तेमाल शुरू किया, जो जैमिंग से सुरक्षित हैं और सटीक हमले कर सकते हैं। ये ड्रोन रूस की नई रणनीति का हिस्सा हैं। मई 2025 में रूस ने 355 ड्रोनों और 9 मिसाइलों से यूक्रेन पर हमला किया। 26 मई को रूस ने 900 से अधिक ड्रोनों का उपयोग किया, जिसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने युद्ध का सबसे बड़ा हमला बताया। पुतिन ने बार-बार परमाणु हथियारों की धमकी दी है, खासकर जब यूक्रेन ने अमेरिकी मिसाइलों का उपयोग शुरू किया। लेकिन यह धमकी ज्यादातर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए है।
क्या पुतिन सुपर हथियारों का उपयोग करेंगे?
वर्तमान परिस्थितियों में पुतिन के सुपर हथियारों का उपयोग करने की संभावना कम है, क्योंकि नाटो का डर..सुपर हथियारों, खासकर परमाणु हथियारों का उपयोग, नाटो को सीधे युद्ध में शामिल कर सकता है। इससे रूस को भारी नुकसान हो सकता है। यूक्रेन के ड्रोन हमले रूस के लिए चुनौती हैं, लेकिन रूस ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली और फाइबर ऑप्टिक ड्रोनों से जवाब देना शुरू किया है। ये पारंपरिक हथियार अभी रूस की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई 2025 में पुतिन को “पागल” कहकर नए प्रतिबंधों की धमकी दी। रूस पर पहले से ही आर्थिक प्रतिबंध हैं, और सुपर हथियारों का उपयोग इसे और गंभीर बना सकता है।पुतिन का लक्ष्य यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा करना और नाटो को कमजोर करना है। सुपर हथियारों का उपयोग इस लक्ष्य को जटिल बना सकता है।
रूस के पास सुपर हथियारों का जखीरा !
रूस के पास सुपर हथियारों का जखीरा है, लेकिन पुतिन ने इन्हें यूक्रेन युद्ध में उपयोग करने के बजाय धमकी के रूप में इस्तेमाल किया है। यूक्रेन के ड्रोन हमलों का जवाब रूस अपनी उन्नत वायु रक्षा प्रणाली, फाइबर ऑप्टिक ड्रोनों और पारंपरिक मिसाइलों से दे रहा है। सुपर हथियारों का उपयोग रूस के लिए रणनीतिक रूप से जोखिम भरा होगा, क्योंकि यह नाटो को युद्ध में खींच सकता है और रूस की वैश्विक स्थिति को कमजोर कर सकता है। पुतिन की रणनीति युद्ध को लंबा खींचने और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखने की है, जिसमें सुपर हथियारों की धमकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।