नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली बैठक से बहुत ज्यादा उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आ रही. ऐसा इसलिए क्योंकि बैठक में शांति की उम्मीद सिर्फ तभी है जब पुतिन की शर्तों को माना जाए. पुतिन की शर्त है यूक्रेन के इलाकों को रूस में शामिल करने की. ट्रंप इस पर तकरीबन सहमत हैं और खुले तौर कह चुके हैं कि यूक्रेन और रूस को अपना क्षेत्र छोड़ना, मगर ये कैसे होगा, इसका जवाब उनके पास नहीं, क्योंकि जेलेंस्की के पास तो रूस की कोई जमीन है ही नहीं. ऐसे में अगर यथास्थिति पर सहमति बनती है तो यूक्रेन एक बड़ा हिस्सा खो देगा, जबकि उसके बदले में कुछ नहीं मिलेगा.
रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा मैप के मुताबिक रूस अब तक यूक्रेन का तकरीबन 1 लाख 14 हजार 500 वर्ग किमी हिस्सा कब्जा चुका है. यूक्रेन के क्षेत्रफल के आधार पर देखें तो यह तकरीबन 19 प्रतिशत होता है. इसमें क्रीमिया भी शामिल है. इसके एवज में देखें तो यूक्रेन के पास रूस के किसी भी इलाके का कोई कब्जा नहीं है. रूस की मांग है कि युद्ध में जो यथास्थिति है वो रखी जाए ताकि वह यूक्रेन के एक बड़े हिस्से को कब्जा सके. रूस का ये भी दावा है कि क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरीज्जियां और खेरसॉन को यूक्रेन का हिस्सा मान लिया गया था, मगर ये रूस के हिस्से हैं.
यूक्रेन के इन क्षेत्रों पर रूस का कब्जा
क्रीमिया
2014 में ही रूसी सेना ने क्रीमिया पर नियंत्रण कर लिया, जो दक्षिणी यूक्रेन के काला सागर में फैला हुआ है, यूक्रेन इसे अपना होने का दावा करता है, जबकि रूस इसे सोवियत के जमाने से अपना बताता है. इसका इलाका 27 हजार वर्ग किमी है. यूक्रेन के अधिकारी मानते हैं कि 18वीं शताब्दी में कैथरीन द ग्रेट ने क्रीमिया को जबरदस्ती रूसी साम्राज्य में मिला लिया था और सेवस्तोपोल में एक नेवी शिप स्थापित किया था. 1921 में यह सोवियत संघ का हिस्सा बना.
डोनबास
पूर्वी यूक्रेन के डोनबास का तकरीबन 88% हिस्सा रूस के कंट्रोल में है. इसमें लुहांस्क क्षेत्र और डोनेट्स्क क्षेत्र का 75 प्रतिशत हिस्सा शामिल है.अब यूक्रेन के पास सिर्फ 6 हजार वर्ग किमी क्षेत्र बचा है. हालांकि रूस ने अपनी अधिकांश ऊर्जा अब डोनेट्स्क मोर्चे पर लगा दी है और शेष बचे मुख्य शहरों की तरफ बढ़ रहा है. डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्र में रूस समर्थित अलगाववादी बड़ी संख्या में जो पहले ही यूक्रेनी सरकार से अलग होकर खुद को स्वतंत्र घोषित कर चुके हैं. 2022 में युद्ध से पहले ही पुतिन ने इन दो राज्यों को स्वतंत्र तौर पर मान्यता दी थी.
जापोरिज्जिया और खेरसॉन
रूस की सेना दक्षिण पूर्वी यूकेन के जापोरिज्जिया और खेरसॉन में तकरीबन 74% इलाके पर कब्जा कर चुकी है जो इलाका तकरीबन 41,176 वर्ग किमी है. यूक्रेन के पास इन दोनों क्षेत्रों का महज 14500 वर्ग किमी हिस्सा ही बचा है. पुतिन ने हाल में कहा था कि यदि यूक्रेन उन शहरों से हट जाता है जो रूस के है और नाटो में शामिल होने की जिद छोड़ देता है तो वह शांति के लिए सहमत हैं.
इन इलाकों पर भी कब्जा
यूक्रेन के खारकीव, सुमी, माइकोलेव, द्रिपोपेत्रोव्स्क सेवास्तोपोल में भी रूस का कब्जा है, इनमें से कुछ इलाकों पर 400 वर्ग किमी तक रूस की सेना कब्जा कर चुकी है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के साथ यूक्रेन युद्धविराम समझौते के लिए पुतिन तैयार हैं, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह का बड़ा क्षेत्रीय समझौता करने से इंकार कर दिया है. पुतिन पीछे हटने को तैयार हैं मगर यूक्रेन के उन हिस्सों से जहां पुतिन का नाम मात्र ही कब्जा है.
सुमी में बफर जोन बना रहे पुतिन
रूस ने कहा है कि वह अपने कुर्स्क क्षेत्र को यूक्रेनी हमले से बचाने के लिए सुमी में एक बफर जोन बना रहा है. इसके अलावा रूस ये भी कहता रहा है कि क्रीमिया गणराज्य, सेवास्तोपोल, लुहान्स्क जनवादी गणराज्य, डोनेट्स्क जनवादी गणराज्य और ज़ापोरिज्जिया व खेरसॉन क्षेत्र रूसी संघ का हिस्सा हैं. हालांकि न तो यूक्रेन और न ही अन्य देश इसे रूस का हिस्सा मानते हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2014 में इस विलय को अवैध घोषित किया और क्रीमिया को यूक्रेन का हिस्सा माना.