प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 बेकसूर पर्यटकों की जान गई थी। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था, और भारतीय सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई के लिए एक लंबी और सुनियोजित रणनीति अपनाई। इस रणनीति का नाम था ऑपरेशन महादेव, जिसे भगवान शिव के नाम पर रखा गया, जो कश्मीर में अमरनाथ यात्रा और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाता है।
ऑपरेशन का कब और कहाँ हुआ ?
96 दिन बाद, 28 जुलाई को श्रीनगर के हरवान इलाके में दाछीगाम राष्ट्रीय उद्यान के पास माउंट महादेव पर यह ऑपरेशन संपन्न हुआ।ऑपरेशन में भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीमों ने हिस्सा लिया। खुफिया सूचनाओं और स्थानीय लोगों के इनपुट के आधार पर आतंकियों की लोकेशन का पता लगाया गया। सेना ने ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल किया। रात में आतंकियों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए थर्मल इमेजिंग और IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) को निष्क्रिय करने के लिए रोबोटिक सिस्टम का उपयोग हुआ।
पहलगाम के तीनों आतंकी ढेर !
सोमवार सुबह 11:30 बजे के आसपास, सेना की 24 आरआर और 4 पैरा टुकड़ियों को लिडवास क्षेत्र में तीन आतंकियों का पता चला। तीव्र गोलीबारी के बाद तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया गया। आतंकियों को भागने का कोई मौका नहीं मिला। मारे गए तीन आतंकियों में से एक की पहचान मूसा के रूप में हुई, जो पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा पूर्व पाकिस्तानी पैरा कमांडो था। हालांकि, सेना ने अभी तक आधिकारिक तौर पर उनकी पहचान की पुष्टि नहीं की है। आतंकियों के पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद और कई दिनों का राशन बरामद हुआ।
ऑपरेशन की चुनौतियां
पहलगाम के पास बैसरन मेडो और दाछीगाम के घने जंगल, नदियां, और 8,104 से 14,393 फीट ऊंची पर्वतमालाएं आतंकियों का पीछा करने में बड़ी चुनौती थीं। इन दुर्गम इलाकों में वाहन नहीं जा सकते, जिसके कारण सघन तलाशी अभियान चलाना पड़ा। माना जाता है कि आतंकी, विशेष रूप से हाशिम मूसा, युद्ध प्रशिक्षित थे और कठिन भूभाग में ऑपरेशन के लिए तैयार थे। दाछीगाम क्षेत्र को ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का मुख्य ठिकाना माना जाता था, जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी।
पहलगाम हमले के आतंकियों का सफाया
तीन आतंकियों का मारा जाना, जिनमें पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड शामिल था, भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है। ऑपरेशन में स्वदेशी ड्रोन और तकनीक का उपयोग भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता को दर्शाता है। ऑपरेशन महादेव की सफलता ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर (पहलगाम हमले के बाद 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले) पर चल रही बहस से पहले सरकार का मनोबल बढ़ाया।
सुरक्षा बलों की सतर्कता
यह ऑपरेशन भारतीय सेना की त्वरित कार्रवाई और खुफिया जानकारी पर आधारित रणनीति की प्रभावशीलता को दर्शाता है। पहलगाम हमला एक सुनियोजित हमला था, जिसमें आतंकियों ने 26 पर्यटकों को धर्म पूछकर मारा था। हमले के बाद भारत ने Indus Waters Treaty को निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को निकाला। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, लेकिन ऑपरेशन महादेव ने स्थानीय स्तर पर आतंकियों की जड़ें खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया।
ऑपरेशन महादेव ने 96 दिन की लंबी और जटिल रणनीति के बाद पहलगाम हमले के संदिग्ध गुनहगारों का सफाया कर भारत की सुरक्षा नीति और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। यह ऑपरेशन न केवल एक सैन्य सफलता है, बल्कि कश्मीर में शांति और सुरक्षा स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।