Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

बढ़ रहा है पलायन!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
March 21, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
पलायन
21
SHARES
688
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

व्यापार और तीर्थाटन के लिए यात्राएं अनादिकाल से चल रही हैं लेकिन रोजी रोटी के लिए अपने जन्मस्थान को छोड़कर कहीं और चले जाना ये बीते सौ दो सौ सालों की देन है। जैसे जैसे नये तरह की पूंजी का चलन हुआ उसे पकड़ने के लिए गांवों से पलायन भी हुआ। लोग दूर देश इसलिए जाने लगे क्योंकि वहां वो नये तरह की पूंजी कमा सकते थे।

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (नेशनल सैंपल सर्वे) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण भारत में 44.6% और शहरी भारत के 56% पुरुष रोजगार और आमदनी के लिए घर छोड़ चुके हैं। महिलाओं के प्रवासन की तादाद ग्रामीण क्षेत्र में 88.8 और शहरी क्षेत्रों में 11% तक है। लेकिन पूरे देश के स्तर पर घर छोड़ने वाले 44% लोगों की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। हिमाचल प्रदेश के 64% लोग घर से दूर हो गए हैं, लेकिन कमाई नहीं बढ़ी। मणिपुर में तो 92% प्रवासी ऐसे हैं जिनकी आय में कोई वृद्धि नहीं हुई है, यहां तक कि विकसित राज्य केरल में भी जगह बदलने से आमदनी नहीं बढ़ी। यानी कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत बड़ी है जिन्हें माया मिली ना राम।

इन्हें भी पढ़े

सांसद रेणुका चौधरी

मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं

July 31, 2025
पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु

इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

July 31, 2025

‘एक पेड़ मां के नाम’: दिल्ली के सरस्वती कैंप में वृक्षारोपण कार्यक्रम, समाज को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश!

July 31, 2025
nisar satellite launch

NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

July 30, 2025
Load More

मानव प्रवासन और गतिशीलता सदियों पुरानी परंपरा है जो दुनिया भर के लगभग हर वर्ग को प्रभावित करती रही है। प्रवास के परिणाम स्वरूप सामाजिक परिवर्तन घटित होता है। किसी भी समाज की जनसंख्या तीन आधारों पर परिवर्तित होती है जन्म, मृत्यु और प्रवास। लेकिन प्रवास एक ऐसा कारक है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक आधारों पर प्रभावित होता है। भारत से लोग ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में मुख्यतया गरीबी, बेरोजगारी, कृषि भूमि पर जनसंख्या के भरण-पोषण का अधिक दबाव, और रचनात्मक सुविधाएं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, परिवहन, मनोरंजन आदि के अभाव के कारण प्रवास करते हैं। इसके अलावा पर्यावरणीय कारक बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप तथा राजनैतिक अस्थिरता, स्थानीय संघर्ष भी प्रवास के लिए परिस्थितियां उत्पन्न करते हैं। अब तो खेती योग्य जमीनों पर भी विकास कार्य होने के कारण विस्थापन की दर बढ़ने लगी है। अपना अपना गांव छोड़कर लोग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे महानगरों में रोजगार के बेहतर अवसर, नियमित काम का मिलना, ऊंचा वेतन जैसी सुविधाओं के उपलब्ध होने के कारण सहज ही अपना पता ठिकाना बदल देते हैं।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में हरियाणा प्रदेश में सबसे अधिक 37.3% बेरोजगारी दर है। इसके बाद दूसरा स्थान जम्मू और कश्मीर का है जहां 32.8% बेरोजगारी दर है। राजस्थान में यह दर 30.4 प्रतिशत और झारखंड में 17.3% बेरोजगारी दर है। इस सूची में छत्तीसगढ़ सबसे नीचे आता है। छत्तीसगढ़ में 0.4% के साथ सबसे कम बेरोजगारी दर है, जबकि मेघालय और महाराष्ट्र में क्रमशः 2% और 2.3% की बेरोजगारी दर है।

एक अन्य अध्ययन में देश के ऐसे 75 जिलों को चिन्हित किया गया है जहां सबसे अधिक पलायन होता है। उनमें सबसे ज्यादा जिलों वाला प्रदेश उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के 39 जिलों से लोग बेहतर जिंदगी की तलाश में पलायन कर रहे हैं। उत्तराखंड के 9 जिले और बिहार के मुख्य रूप से 8 ऐसे जिले हैं जहां के लोग दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों की तरफ आ रहे हैं। बिहार के अधिकांश लोग अभी भी पश्चिम बंगाल सहित पूर्व के प्रदेशों की ओर अधिक जाते हैं।

जिस तरह उत्तर प्रदेश के लोगों की पहली पसंद महाराष्ट्र है उसी तरह बिहार के लोगों की पसंद पश्चिम बंगाल और पूर्व के प्रदेश। सन 2000 के दशक में माइग्रेशन की दर 2.4% थी जो अगले 10 साल में लगभग 2 गुना बढ़कर 4.5% हो गई। जिन इलाकों में पलायन अधिक हो रहा है वहां का सामाजिक और आर्थिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की प्रवृत्ति में उद्यम और निवेश की मानसिकता कम है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के मूल समाज परंपरा में नौकरी का महत्व सर्वोपरि है। इन इलाकों की माताएं मंदिरों में भगवान से मन्नत भी किसी राज-पाट या ठाट-बाट के लिए नहीं मांगती। वह सपनों में भी अपने बच्चों के राजा महाराजा बन जाने, टाटा, बिरला, अडानी, अंबानी जैसा बड़ा बिजनेस टायकून हो जाने की ख्वाहिश नहीं करती। उनकी स्मृति में पीढ़ी दर पीढ़ी नौकरी ही रची बसी है। भगवान से भी वही विनती करती है कि उनके बच्चे की जल्दी से जल्दी नौकरी लग जाए। परिवार के अन्य लोगों का दबाव भी जवान बच्चे पर होता है कि इंटर बीए पास करने के बाद बाहर जाए, नौकरी करे। इसलिए ज्यादातर लोग आजीविका की तलाश में बाहर जाते रहे हैं।

इधर एक और ट्रेंड विकसित हुआ है कि शादी के बाद लड़कियां गांव में नहीं रहना चाहती हैं, इसलिए पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का भी पलायन बढ़ रहा है। हालांकि महिलाओं के पलायन का सबसे बड़ा कारण शादी है। रिपोर्ट भी इशारा करती है कि शादी के कारण महिलाओं की पलायन दर ज्यादा है। दिल्ली में बाहर से आए लोगों की संख्या सबसे अधिक 21.3% है, जबकि गुजरात में यह दर 3.9% है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर तीन शहरी भारतीयों में से एक प्रवासी है, पर ज्यादातर राज्य के अंदर से ही आए हैं। सिर्फ 7% शहरी दूसरे राज्यों से आते हैं। भारत में अपने स्थान पर रहने वाले लोगों का हिस्सा 71% है ।

गांव में आबादी पहले की अपेक्षा कम हो गई है। उसी के अनुपात में खेती भी सिकुड़ रही है। काम करने वाले हाथ जो पहले भारी संख्या में वहां मौजूद थे कतिपय सामाजिक लघुता बोध के कारण गांव छोड़कर बाहर आ गए हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि यह वही लोग हैं जो शहरों में आकर उससे भी निम्न स्तर का काम, कम मजदूरी पर शौकिया कर रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकांश गांव से निकले मजदूर पंजाब के खेतों में एक तरह से बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि शोषण कम होने के बाद भी कुछ क्षेत्रों में आर्थिक, सामाजिक असमानता अब भी कायम है। इसलिए भी नौकरी को बराबरी पर पहुंचने का आसान तरीका माना जाता है, लेकिन यह कोई समाधान नहीं है। समाधान के लिए स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर उद्योगों के प्रति लोगों को आकर्षित करना होगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की जरूरत है।

सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं शुरू की गई है, लेकिन वहां के लोगों में ऋण के प्रति जो भय है, उस भय को बाहर निकालना होगा। कौशल विकास संस्थानों की असली उपयोगिता गांव में ही है। सामाजिक सुरक्षा बढ़ाकर उत्पादन और उपभोग आधारित काम को गति देने की जरूरत है। अगर किसी के पास भूमि उपलब्ध है तो उसे बाहर जाकर नौकरी करने की बजाय भूमि का बहुउपयोग सिखाया जाना चाहिए। स्थानीय स्तर पर अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार को स्थानीय उद्यमशीलता का ढांचा खड़ा करना चाहिए। तभी पलायन भी रुकेगा और लोगों की आय भी बढ़ेगी।

 

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
NASA Voyager

धरती से 24 अरब किमी दूर पहुंचकर खामोश हुआ ये यान, बढ़ी टेंशन

December 14, 2023
सरकारी कर्मचारी

समय पर वित्तीय लाभ नहीं देने पर अधिकारियों के खिलाफ करें विभागीय कार्रवाई

July 6, 2023
goa in SCO

शंघाई सहयोग संगठन में भारत का दमदार उभार

May 6, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं
  • डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में किन उद्योगों के लिए बजाई खतरे की घंटी!
  • इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.