Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

इस शीतकालीन सत्र से क्या हासिल हुआ?

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
December 23, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
mp suspended new parliament
22
SHARES
736
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

प्रकाश मेहरा


नई दिल्ली। सतरहवीं लोकसभा, बल्कि संसद का शीतकालीन सत्र जिस तरह से संपन्न हुआ, वह सत्ता पक्ष और विपक्ष, किसी के लिए बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। वैसे तो हरेक सत्र से देश को एक सकारात्मक दिशा मिलने की अपेक्षा रहती है, मगर इस सत्र से खास उम्मीद थी, क्योंकि यह न सिर्फ नए संसद भवन का पहला पूर्णकालिक सत्र था, बल्कि यह लोकसभा अपने आखिरी पड़ाव पर है। इसका अगला सत्र बजट का होगा और उसके बाद तमाम सांसद आम चुनाव में चले जाएंगे।

इन्हें भी पढ़े

RSS

हिंदू धर्म के लिए RSS से बेहतर कोई नहीं!

August 31, 2025

विज्ञापन क्षेत्र का ‘अ से ज्ञ’ सिखाती है- विज्ञापन का जादू

August 31, 2025
india-us trade deal

ट्रंप की भारत से टक्कर, द इकोनॉमिस्ट ने खोली पोल, टैरिफ से अमेरिका की ‘गंभीर भूल’!

August 30, 2025
Jagdeep Dhankhar

फिर चर्चा में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, विधायक पेंशन के लिए आवेदन किया!

August 30, 2025
Load More

सत्र में ऐतिहासिक विधेयक पारित

मगर दुर्योग से इसके हिस्से आजाद भारत के संसदीय इतिहास में सर्वाधिक सांसदों के निलंबन का नकारात्मक रिकॉर्ड तो दर्ज हुआ ही, यह संसद की सुरक्षा में सेंध की गंभीर चिंता भी छोड़ गया। निस्संदेह, सरकार इस सत्र में कई ऐतिहासिक विधेयकों को पारित कराने में सफल रही, खासकर आईपीसी, सीआरपीसी व साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय न्याय संहिता को पारित किए जाने के लिए इसे भावी पीढ़ियां याद करेंगी। मगर इनके साथ यह तथ्य भी नत्थी होगा कि जब यह विधेयक दोनों सदनों से पारित हो रहा था, तब विपक्षी बेचें लगभग खाली थीं। यह एक सुखद तस्वीर नहीं हो सकती।

सत्ता पक्ष और विपक्ष में तनातनी

संसद में गतिरोध या सत्ता पक्ष व विपक्ष में तनातनी कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह जीवंत लोकतंत्र का एक लाजिम पहलू है, मगर इसकी भी एक सीमा है और उसका ख्याल दोनों पक्षों को रखना पड़ता है। निस्संदेह, सदनों के संचालन में महती जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की होती है और प्रायः संसदीय कार्य मंत्री की काबिलियत ही बेहतर ‘फ्लोर मैनेजमेंट के आधार पर आकी जाती है। मगर विडंबना यह है कि हाल के वर्षों में केंद्रीय विधायिका की बात हो या फिर राज्य विधायिकाओं की, संसदीय गतिरोधों के दौरान अक्सर विभागीय मंत्रियों की सक्रियता उभरकर सामने नहीं आती। संसदीय कार्य मंत्रियों को चूंकि सभी दलों के शीर्ष नेतृत्व के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है, इसलिए वे अक्सर प्रतिपक्ष पर कटु राजनीतिक टिप्पणी करने से बचते हैं, मगर मौजूदा समय में ऐसी स्वस्थ परंपराएं अपना वजूद खो रही हैं, जिसका खामियाजा हमारे संसदीय लोकतंत्र को भुगतना पड़ सकता है।

निलंबन पर विपक्ष का धरना

विपक्षी सांसदों ने दोनों सदनों से अपने निलंबन के विरोध में शुक्रवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। मगर सवाल यह है कि इस सत्र को ऐतिहासिक बनाने के लिए क्या उन्होंने अपने श्रेष्ठ संसदीय आचरण का प्रदर्शन किया? विपक्ष की यह संसदीय जिम्मेदारी थी कि विभिन्न विधेयकों पर अपने विचारों से वह एक मुकम्मल कानून बनाने में संसद की मदद करता, मगर उसने मंत्री विशेष के बयान पर अड़कर रणनीतिक चूक की और सरकार के लिए रास्ता सुगम ही बनाया। फिर संसद के भीतर उसकी ओर से लगातार आसन को लक्षित किया जाता रहा और निलंबन के बाद संसद परिसर में जिस तरह से सभापति का निरादर किया गया, उसमें वह सत्ता पक्ष से किसी सौहार्द की अपेक्षा भी कैसे कर सकता था ?

आगामी 2024 चुनाव में असर

इस पूरे सत्र के दौरान दोनों पक्षों से चूक हुई है और दोनों ने एक सुनहरा मौका गंवा दिया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष आगामी आम चुनाव के मद्देनजर अपनी-अपनी पृष्ठभूमि तैयार करने में भूल गए कि दोनों को एक-दूसरे की आगे भी जरूरत पड़ेगी। उनको नहीं भूलना चाहिए कि उनके आचरण पर भारतीयों की ही नहीं, बल्कि तमाय मुल्कों में लोकतंत्र की चाह रखने वाले लोगों की भी पैनी नजर रहती है।

संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष में तनातनी नई बात नहीं है, यह जीवंत लोकतंत्र का एक लाजिम पहलू है, मगर इसकी भी एक सीमा है, जिसका ख्याल दोनों को रखना चाहिए- प्रकाश मेहरा

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
National flag

1906 में फहराया गया था पहला तिरंगा, ऐसे बदलता गया स्वरूप

January 26, 2022
Atishi and Saurabh

दिल्ली : आतिशी और सौरभ को ही क्यों मिली कैबिनेट में जगह?

March 9, 2023

झंडेवाला देवी मंदिर में वासंतिक नवरात्र आरंभ

March 22, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • भारी पड़ा Google से पंगा, प्ले स्टोर से हटाए 77 मैलवेयर ऐप्स
  • चीन लगाने जा रहा भारत पर ये प्रतिबंध!
  • हिंदू धर्म के लिए RSS से बेहतर कोई नहीं!

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.