Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

संदेशखाली पर सियासी संग्राम के साथ क्या संदेश!

भाजपा चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी और सरकार के कर्णधार जानते हैं कि वंशवाद और भ्रष्टाचार ने विपक्ष की जड़ें खोखली कर दी हैं। वे उन पर निर्ममता से चोट करने का कोई मौका नहीं चूकते। इस अविराम सियासी यात्रा का एक पड़ाव संदेशखाली भी है। देखते हैं, चुनाव के दौरान उसका संदेश कितना पुरअसर साबित होता है?

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
February 26, 2024
in राज्य, राष्ट्रीय, विशेष
A A
संदेशखाली का घटनाक्रम
19
SHARES
635
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

प्रकाश मेहरा


नई दिल्ली। कल तक गुमनामी के अंधेरे में गुम पश्चिम बंगाल का गांव संदेशखाली इस समय देश-दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है। वहां जो हुआ, बुरा हुआ, लेकिन यह सिर्फ अपराध और दंड का मामला नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने सफलतापूर्वक इसे देश के दो सबसे बड़े धर्मों के बीच का मामला बनाते हुए अपने चुनावी अभियान की आधारशिला रख दी है। भगवा दल हर चुनाव से पहले ऐसे कुछ मुद्दे रोशनी में लाने में कामयाब रहता है, जो उसके लिए लाभकारी साबित होते हैं। कभी कांग्रेस और ममता बनर्जी को इसमें महारत हासिल थी।

इन्हें भी पढ़े

ram temple ayodhya

राम मंदिर से 3 किलोमीटर दूर बनेगा भव्य पार्क, युवा पीढ़ी को सिखाएगा रामायण

December 15, 2025
goa india

भारत की वो पांच जगहें, जहां पहुंच नहीं पाती है ठंड!

December 15, 2025
CIA's secret mission on Nanda Devi

नंदा देवी पर क्या था सीआईए का सीक्रेट मिशन, जिसमें खो गया परमाणु डिवाइस

December 15, 2025
BJP

लालू के सहारे बंगाल फतह की तैयारी, बीजेपी ने चला बिहार वाला दांव

December 15, 2025
Load More

ममता बनर्जी की सियासत चर्चा में!

बात पश्चिम बंगाल की है, इसलिए पहले ममता बनर्जी की चर्चा। आपको याद होगा कि सन् 2007 में रतन टाटा नैनो कार की फैक्टरी वहां लगाना चाहते थे। उनका सपना था कि आज देश का आम आदमी भी कार में चले, इसीलिए उस कार की कीमत एक लाख रुपये रखी गई थी। कभी संजय गांधी ने भी इसी सपने के साथ मारुति की बुनियाद रखी थी। न संजय इसमें सफल रहे और न रतन टाटा। अगर कोई कामयाब हुआ, तो वह थीं ममता बनर्जी।

ममता ने उन दिनों ‘मां, माटी और मानुस’ के नारे के साथ आंदोलन छेड़ दिया था। वह आंदोलन शुरुआत से इतना उग्र रहा कि रतन टाटा के पैर उखड़ गए। नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन्होंने आनन-फानन में सभी सुविधाएं मुहैया करा नैनो की फैक्टरी साणंद में स्थानांतरित करवा वाहवाही लूट ली थी। तब कौन जानता था कि यही तेजी महज छह साल में उन्हें देश का प्रधानमंत्री बना देगी ?

हालांकि, इसका तात्कालिक लाभ तृणमूल कांग्रेस को मिला था। ममता बनर्जी वाम दलों की 34 साल पुरानी सरकार को उखाड़ने में कामयाब रही थीं। जिन वंचित, शोषित और सर्वहारा के नाम पर वाम दल वहां हुकूमत कर रहे थे, उन्हीं लोगों ने उन्हें उखाड़ फेंका। बुद्धदेव भट्टाचार्य को सोवियत संघ के मिखाइल गोर्बाचेव की तरह अपनी पार्टी के पतन का गुनहगार बनने पर मजबूर होना पड़ा। तब से अब तक ममता बनर्जी राइटर्स बिल्डिंग पर काबिज हैं।

भुखमरी और दरिद्रता का स्मारक!

मुद्दों को पहचानकर उन्हें जनप्रिय नारों में तब्दील करने की यह अदा मूलतः कांग्रेस की उपज थी। सन् 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने उड़ीसा (अब ओडिशा) के कालाहांडी से नारा दिया था- ‘वे कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ।’ कालाहांडी उन दिनों भुखमरी और दरिद्रता का स्मारक हुआ करता था। नतीजतन, यह प्रतीक और नारा, दोनों कामयाब रहे। इंदिरा गांधी को उस चुनाव में लोकसभा की 352 सीटें हासिल हुई थीं। याद रहे, उन दिनों का विपक्ष आज की तरह विश्वसनीयता के संकट से नहीं जूझ रहा था। कामराज, जेपी, राममनोहर लोहिया, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज इंदिरा जकल गांधी के मुकाबिल थे। वे लड़ना जानते थे, पर इंदिरा गांधी की शख्सियत, समय को पहचानने की क्षमता और उसके अनुरूप समर-नीति बनाने के सामर्थ्य के समक्ष वे बेबस साबित हुए।

जात पर न पात पर, इंदिरा जी की बात पर

यह बात अलग है कि इंदिरा गांधी बाद में रास्ता भटक गईं और उन्हें आपातकाल लागू करना पड़ा। उनके विरुद्ध जयप्रकाश नारायण ने जब संपूर्ण-क्रांति का आह्वान किया, तो एक और नारा उठा, ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’। जनता पहले से गम और गुस्से में थी। इन शब्दों में उसे अपनी भावना की झलक मिली और इंदिरा गांधी सत्ता-बदर हो गईं। सत्ता पाने के बाद संपूर्ण-क्रांति के कर्णधार आपस में लड़ पड़े और उनका शीराजा भी दो साल में बिखर गया। भारतीय विपक्ष का मौजूदा संकट उन्हीं दिनों की देन है। अगले चुनाव 1980 में हुए। इस दौरान इंदिरा गांधी ने अपने को पूरी तरह दांव पर लगा दिया था। कांग्रेस इस जाप के साथ चुनाव में उतरी- ‘जात पर न पांत पर, इंदिरा जी की बात पर,मोहर लगेगी हाथ पर’। जराग्रस्त राजनीतिज्ञों के सत्ता मोह से ऊबे हुए लोग सहज ही इंदिरा गांधी की ओर बढ़ गए। इसके बाद वह अपनी अंतिम सांस तक प्रधानमंत्री रहीं।

‘फील गुड’ और ‘इंडिया शाइनिंग’ के नारे

कांग्रेस की यह क्षमता लगभग चौदह साल बाद पुनः जगजाहिर हुई। सन् 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी ‘फील गुड’ और ‘इंडिया शाइनिंग’ के नारे के साथ मैदान में उतरे थे। उस समय तक भारतीय जनता पार्टी का सांगठनिक ढांचा इतना मजबूत नहीं था। न ही अटल और आडवाणी नरेंद्र मोदी व अमित शाह की तरह एकाग्रचित्त थे। उनकी आपसी खटपट भी जगजाहिर थी। यही वजह है कि बिना कोई चेहरा सामने रखे कांग्रेस ने सिर्फ एक सवाल पूछा कि ‘आम आदमी को क्या मिला’ और वह सत्ता में आ गई। यहां जानना जरूरी है। कि मनमोहन सिंह अगले दस साल के लिए भले सत्ता में आ गए हों, मगर कांग्रेस पर बुढ़ापा छाने लगा था।

जनता की अदालत में नरेंद्र मोदी

यही वजह है कि 2013 में जब गोवा अधिवेशन में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम आगे किया गया, तब तक तय हो चला था कि कांग्रेस के अच्छे दिन जा रहे हैं। उस समय मशहूर था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो ईमानदार हैं, पर उनके साथी परम बेईमान। हर तरफ सत्तानायकों के भ्रष्टाचार की खबरें आम थीं और ऐसे-ऐसे घोटाले सुर्खियां बन रहे थे, जिनमें कुछ को अदालत में साबित भी नहीं किया जा सका, पर जनता की अदालत में नरेंद्र मोदी जीते।

नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी, पदाधिकारियों और प्रतिपक्ष ने अतीत में जो भूलें की थीं, उन्हें नजदीक से परखा था। वह आते ही नई रहगुजर गढ़ने लगे। उन्होंने देश के वंचितों को सीधे लाभ देने की योजनाएं बनाईं। मतदाताओं का यह नया वर्ग जाति, क्षेत्र और लिंग से परे जाकर उनके लिए मतदान करता है। पिछले दिनों ‘सेंटर फॉर दि स्टडी इन डेवलपिंग सोसायटीज’ (सीएसडीएस) और लोकनीति के सर्वे में पाया गया कि भारतीय जनता पार्टी को वोट देने वाले तमाम लोग उसके सिद्धांतों से ज्यादा मोदी के चेहरे और मोदी की शख्सियत पर यकीन करते हैं। इंदिरा गांधी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब प्रधानमंत्री का चेहरा गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में जीत दिलाने में कामयाब साबित हुआ है। पिछले चुनावों तक ऐसा नहीं था। नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक भारत के पहले ऐसे नेता हैं, जिनकी लोकप्रियता समय के साथ बढ़ती गई है।

‘इंडिया गठबंधन’ का बिखरना और बीजेपी में जाना!

भाजपा इसके बावजूद चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी और सरकार के कर्णधार जानते हैं कि वंशवाद और भ्रष्टाचार ने विपक्ष की जड़ें खोखली कर दी हैं। वे उन पर निर्ममता से चोट करने का कोई मौका नहीं चूकते। ‘इंडिया ब्लॉक’ का बिखर जाना, झारखंड के मुख्यमंत्री का जेल जाना और कई विपक्षी नेताओं का भारतीय जनता पार्टी में आ जाना, अपने-आप नहीं हुआ है।

इस अविराम सियासी यात्रा का एक पड़ाव संदेशखाली भी है। देखते हैं, चुनाव के दौरान उसका संदेश कितना पुरअसर साबित होता है ?

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
कोलकाता कांड

दीदी की ‘ममता’… इसलिए गुंडों में क्षमता?, कैसे हो अपराधों का दमन!

August 28, 2024
CM Dhami

सीएम धामी ने फ्रैंकफर्ट (जर्मनी) के संसद सदस्य राहुल कुमार कंबोज ने भेंट की

December 29, 2024
pm modi

17वीं लोकसभा के कामों से खत्म हुआ पीढ़ियों का इंतजार, संसद में बोले पीएम मोदी

February 10, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • क्या रात में पपीता खा सकते हैं? जानें इसके फायदे-नुकसान
  • राम मंदिर से 3 किलोमीटर दूर बनेगा भव्य पार्क, युवा पीढ़ी को सिखाएगा रामायण
  • ऑस्ट्रेलिया के पीएम पर क्यों भड़के नेतन्याहू?

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.