नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर के जेल अधिकारियों को न्यायिक हिरासत की अवधि के दौरान उनके वकीलों से दो अतिरिक्त मुलाकातें करने देने का निर्देश दिए जाने की मांग की है। दिल्ली हाईकोर्ट अरविंद केजरीवाल की इस याचिका पर सोमवार 8 जुलाई को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ सोमवार को मामले की सुनवाई करेगी। हाल ही में ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनकी ओर से दावा किया गया था कि वह देश भर में लगभग 30 मुकदमों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामलों पर चर्चा करने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठकें करने की जरूरत है।
ट्रायल कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के वकील ने बहस के दौरान कहा था कि वकीलों के साथ अतिरिक्त बैठकों की मांग संबंधी आवेदन को दाखिल करने के बाद आवेदक को सीबीआई की ओर से दर्ज एक और मामले में गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल के वकील ने बहस के दौरान मामले में सह-आरोपी संजय सिंह को अतिरिक्त कानूनी मुलाकातों की अनुमति दिए जाने का भी हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि 22 फरवरी, 2024 के आदेश के अनुसार सह-आरोपी संजय सिंह को अतिरिक्त कानूनी मुलाकातों की अनुमति प्रदान की गई थी।
दलीलों पर गौर करने के बाद ट्रायल कोर्ट ने पारित अपने आदेश में कहा था कि विचाराधीन आवेदन में 10 अप्रैल के पिछले आदेश से अलग दृष्टिकोण अपनाने के लिए कोई नया/ताजा आधार नहीं है। सह-आरोपी संजय सिंह को दी गई राहत पर पहले ही 10 अप्रैल, 2024 के आदेश में चर्चा की जा चुकी है। यही नहीं दोनों ही आवेदनों में अंतर भी किया जा चुका है। अभी बीते शनिवार को ही दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड के साथ परामर्श के दौरान अरविंद केजरीवाल की पत्नी की उपस्थिति की मांग वाली याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
अदालत ने कहा था कि उसे जेल नियमों के खिलाफ जाकर आवेदक के लिए अलग से सहूलियत देकर अपवाद बनाने का कोई कारण नजर नहीं आता है। खासकर जेल अधिकारियों की दलीलों के मद्देनजर कि कई अन्य कैदी भी अरविंद केजरीवाल की तरह ही मधुमेह की बीमारी का इलाज करा रहे हैं। इन कैदियों को भी परिचारक रखने की अनुमति नहीं दी गई है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा कि जेल अधिकारियों की ओर से बताए गए जेल नियम कारागार अधीक्षक द्वारा प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के परामर्श से विचाराधीन कैदी के साथ एक परिचारक के रूप में परिवार के सदस्य की मौजूदगी की अनुमति केवल तभी प्रदान करते हैं जब कैदी जेल परिसर के बाहर किसी अस्पताल में भर्ती हो।