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Home राष्ट्रीय

1906 में फहराया गया था पहला तिरंगा, ऐसे बदलता गया स्वरूप

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 26, 2022
in राष्ट्रीय, विशेष
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National flag
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नई दिल्ली l देश आज 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और हमारा देश गणतंत्र देश के रूप में स्थापित हुआ। इस अवसर को तब से ही गणतंत्र दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई। इस दिन से जुड़ी कई ऐसी बातें है जो जानना बेहद जरूरी है।

भारतीय ध्वज का बदलता स्वरूप आजादी से पहले
भारत में पहली बार अनाधिकारिक रूप से झंडा लहराने से लेकर आधिकारिक तौर पर लहराने तक कई बार राष्ट्रीय ध्वज (Indian Flag) ने अपना स्वरूप बदला है। अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के संघर्ष में राष्ट्रभक्तों ने इसकी जरूरत महसूस की।

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कहा जाता है कि भारत में पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्कवायर (ग्रीन पार्क) में अनाधिकारिक रूप से फहराया गया था। आज की ही भांति इसमें तीन रंग की पट्टी थीं। लेकिन इनका रंग लाल, पीला और हरा था। सबसे ऊपर हरा था जिसमें आठ सफेद रंग के कमल के फूल अंकित थे। बीच में पीला था जिस पर वंदे मातरम् लिखा हुआ था और सबसे नीचे लाल रंग था जिसमें चांद और सूरज बने हुए थे।

दूसरी बार भारतीय ध्वज फ्रांस की राजधानी पेरिस में मैडम कामा ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर 1907 में लहराया था। सबसे ऊपरी पट्टी को छोड़कर यह पहले झंडे से काफी हद तक मिलता-जुलता था। इसमें सात स्टार सप्तऋषि के प्रतीक थें। यहीं झंडा जर्मनी की राजधानी बर्लिन में समाजवादी सम्मेलन के दौरान भी लहराया गया। मैडम कामा का पूरा नाम भिकाजी रुसतम कामा था।

वर्ष 1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान डॉ. ऐनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने तीसरी बार भारतीय झंडे को लहराया था। इस समय आजादी की लड़ाई ने एक नया मोड़ लिया था। इस झंडे में पांच लाल और चार हरे रंग की हॉरिजेंटल पट्टियां थीं। 7 स्टार सप्तऋषियों के प्रतीक थे। बाएं हाथे के शीर्ष कोने पर इसमें यूनियन जैक (बिटेन का ध्वज) भी बना हुआ था।

वर्ष 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में मिले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के युवाओं ने एक झंडा तैयार किया और उसे गांधीजी के पास ले गए। इसमें दो रंग थे लाल और हरा जो मुख्यः दो समुदायों हिंदू और मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था। इसमें चरखा भी था जो राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक था। भारत के अन्य समुदायों के प्रतिनिधित्व को दर्शाने के लिए गांधी जी ने इसमें सफेद रंग को जोड़ने का सुझाव दिया था।

कुछ लोग झंडे के साप्रदायिक प्रतिनिधित्व से खासे नाराज थे। इसी को ध्यान में रखते हुए नए झंडे को अपनाया गया। इसमें तीन रंग थे केसरी शीर्ष पर, सफेद बीच में और हरा नीचे था। सफेद के बीच में चरखा बना हुआ था। इसे पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था। इस ध्वज को आधिकारिक रूप से कांग्रेस समिति ने वर्ष 1931 में अपनाया था।

आजाद भारत की प्रक्रिया के दौरान राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जिस पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को सकारात्मक रुप से बदलाव के बाद चुनने के जिम्मेदारी दी गई। बाद में इस कमेटी ने चरखे को हटा कर अशोक चक्र को अपना लिया।

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