अर्जुन सिंह दिल्ली। देश के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर के 140वें जन्मदिवस पर, देश के 140 करोड़ नागरिकों की सर्वोच्च संस्थान, नए सांसद भवन का शुभारंभ के वक्त। लोकतंत्र का मंदिर संसद भवन और शहीदों का मंदिर रहा अंडोमान स्थित सेल्यूलर जेल (काला पानी) को एक साथ जोड़ने वाला दिन है।
वीर सावरकर और सेल्यूलर जेल का आपस में गहरा संबंध रहा है। सेल्यूलर जेल में हजारों क्रांतिकारियों को अंग्रेजो द्वारा (काला पानी) भेजा गया और यातनाएं दी गई और वह देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए बलिदान हो गए। उन्होंने रूलर जेल में अपनी जान की कुर्बानी दे दी। तब कही जाकर आज हम लोकतंत्र का अपना मंदिर देख रहे है। लेकिन आज भी शहीदों का मंदिर कहे जाने वाले काला पानी यानी सेल्युलर जेल, उन शहीदों की गाथा को सुनने के शो के लिए, तीन सौ रूपए का शुल्क लेता है।
शहीदों पर कार्य कर रहे शहीद सम्मान अभियान के संयोजक हरपाल राणा इसके विरोध में 12 से 23 मई तक अंडमान निकोबार सेल्युलर जेल उपवास के लिए पहुंचे, मुख्य सचिव से मिले, और वहां लगी शहीदों की प्रतिमाओं, जिसमे सावरकर की प्रतिमा सहित सभी को नमन किया। राणा इस बाबत दिल्ली से दूसरी बार सेल्युलर जेल पहुंचे थे।
इससे पहले शहीद परिवारों को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर भी उपवास कर चुके हैं। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री के नाम से 23 मई को अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल को ज्ञापन दिया। कहा आजादी के अमृत महोत्सव पर सेल्यूलर जेल के तीन सौ के शुल्क को हटाना एक ऐतिहासिक कदम होगा। इससे वहां पर जाने वाले हजारों पर्यटक, युवाओं को देश के लिए बलिदान हुए हजारों क्रांतिकारियों के इतिहास का समरण हो सकेगा और उन्हें सच्चे इतिहास की जानकारी निशुल्क मिल सकेगी। वह भी इससे प्रेरणा वह भी देश और समाज के लिए कार्य कर सकेंगे।