Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद को लेकर उठे सवाल पर ‘पहल’ विशेष विश्लेषण!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
April 26, 2025
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
Attack-in-Pahalgam
24
SHARES
787
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

स्पेशल डेस्क/पहलगाम : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 से 28 पर्यटकों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए। ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर बैसरन घाटी में हुए इस हमले ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ चल रही नीतियों और रणनीतियों पर भी गंभीर बहस छेड़ दी। इस हमले के बाद कई सवाल सामने आए हैं, जिनका जवाब सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और समाज को मिलकर तलाशना होगा। आइए एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा के विशेष विश्लेषण से जानते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था में चूक कहां हुई ?

इन्हें भी पढ़े

rajnath singh

रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं से कहा, नए तरह के खतरों के लिए तैयार रहें

September 16, 2025
india-pakistan

पाक ने खोली पोल, भारत ने नहीं माना था अमेरिकी मध्यस्थता का प्रस्ताव

September 16, 2025
वक्फ कानून

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर आंशिक रोक, वक्फ बाय यूजर सुरक्षित, कानून लागू।

September 16, 2025
Supreme Court

बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई, जानिए क्या की बड़ी टिप्पणी

September 15, 2025
Load More

पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल, जो आमतौर पर आतंकी गतिविधियों से अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते थे, वहां इतने बड़े हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। सूत्रों के अनुसार, हमले से पहले आतंकियों ने इलाके की रेकी की थी और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक भी थी। फिर भी, हमला रोकने में नाकामी क्यों रही ? क्या खुफिया तंत्र में कमी थी ? पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा बलों की तैनाती और निगरानी पर्याप्त थी या नहीं ? क्या अमरनाथ यात्रा से पहले बढ़ने वाली भीड़ के कारण सुरक्षा बलों का ध्यान बंटा हुआ था ?

आतंकियों की रणनीति में बदलाव ?

इस हमले में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जो पहले की तुलना में एक नई रणनीति का संकेत देता है। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने लोगों के नाम और धर्म पूछकर चुन-चुनकर हत्याएं कीं। कुछ पर्यटकों से ‘कलमा’ पढ़ने को कहा गया और उनकी पहचान पत्र जांचे गए। क्या आतंकी अब पर्यटन को निशाना बनाकर कश्मीर की अर्थव्यवस्था और छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं ? क्या यह हमला धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास था ?

पाकिस्तान की भूमिका और भारत की प्रतिक्रिया !

हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। कई सूत्रों ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के हालिया बयानों को हमले से जोड़ा, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणियां की थीं। क्या भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ ठोस सबूत हैं, जैसा कि कुछ पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि सबूतों का अभाव है ? भारत ने सिंधु जल समझौता रोकने, पाकिस्तानी दूतावास बंद करने और अटारी बॉर्डर सील करने जैसे कड़े कदम उठाए। क्या ये कदम आतंकवाद को रोकने में प्रभावी होंगे, या यह केवल कूटनीतिक तनाव बढ़ाएंगे ?

आतंकवाद के खिलाफ रणनीति कितनी प्रभावी ?

पहलगाम हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमलों में से एक है। इसके बावजूद कि सरकार ने कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे अनुच्छेद 370 हटाना और सैन्य उपस्थिति बढ़ाना, आतंकी हमले रुक नहीं रहे। क्या सरकार की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘हॉट परस्यूट’ जैसी नीतियां लंबे समय में आतंकवाद को खत्म कर पाएंगी ? स्थानीय स्तर पर युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए क्या पर्याप्त प्रयास हो रहे हैं ? क्या कश्मीर में रेडिकल इस्लामिक मूवमेंट को खत्म करने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है, जैसा कि कुछ विश्लेषकों ने सुझाया?

पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव !

पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हमले के बाद ट्रैवल बुकिंग्स में भारी रद्दीकरण और फ्लाइट कैंसिलेशन में सात गुना वृद्धि देखी गई। क्या यह हमला कश्मीर के पर्यटन उद्योग को लंबे समय तक प्रभावित करेगा ? स्थानीय लोग, जो पर्यटन पर निर्भर हैं, इस संकट से कैसे उबरेंगे? सरकार पर्यटकों का भरोसा दोबारा हासिल करने के लिए क्या कदम उठाएगी ?

हमले के बाद देशभर में गुस्सा और एकजुटता देखने को मिली। विभिन्न संगठनों ने बंद का आह्वान किया, और भोपाल में मुस्लिम समुदाय ने आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया। हालांकि, कुछ बयानों ने धार्मिक ध्रुवीकरण को हवा दी। क्या इस हमले का इस्तेमाल राजनीतिक दलों द्वारा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाएगा ? समाज में हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

हमले के पीछे की पूरी साजिश का खुलासा !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच शुरू कर दी है, और संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए गए हैं। क्या NIA की जांच से हमले के पीछे की पूरी साजिश का खुलासा हो पाएगा ? क्या सरकार को आतंकवाद के खिलाफ नई रणनीति अपनाने की जरूरत है, जिसमें स्थानीय लोगों को शामिल करना और खुफिया तंत्र को मजबूत करना शामिल हो ?

‘प्रकाश मेहरा की कविता ‘आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब’- देशप्रेम की हुंकार, आतंक की हार!’

“आतंकवाद का देंगे मुँह तोड़ जवाब,
हिम्मत से भरें, न झुकेगा ये ख्वाब।
खून से लिखी है आजादी की दास्ताँ,
हर साँस में बस्ती है भारत की शान।

अंधेरे की साजिश, डर का वो खेल,
टूटेगा अब, बिखरेगा हर मेल।
जाति-धर्म से ऊपर, एक है पहचान,
हिंदुस्तान की ताकत, एकता की जान।

शांति के पुजारी, पर तलवार भी तैयार,
दुश्मन की छाती पे चलेगा वार।
जवान खड़े हैं सीमा पर अडिग,
हर आतंक का करेंगे सफाया सख्त।

नन्हे सपनों को अब न कुचलने देंगे,
हर आँख के आँसू को अब थाम देंगे।
आतंकवाद का होगा अंत यहाँ,
भारत का सूरज चमकेगा जहाँ।

जय हिंद, जय भारत, ये नारा हमारा,
हौसला बुलंद, न डरेगा दिल हमारा।
आतंक को कुचल, बनाएँगे नया इतिहास,
हर दिल में जागेगा भारत विजय का विश्वास।”

आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई !

पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक गहरी चेतावनी है कि आतंकवाद अभी भी जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा खतरा बना हुआ है। यह हमला सुरक्षा, खुफिया, और सामाजिक एकता के मोर्चे पर कई कमियों को उजागर करता है। सरकार को न केवल आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी, बल्कि कश्मीर में शांति और विकास के लिए दीर्घकालिक नीतियां भी बनानी होंगी। साथ ही, समाज को धार्मिक आधार पर बंटने से रोकना होगा, ताकि आतंकियों का मकसद कभी पूरा न हो।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

वॉल पर केजरीवाल…देश में क्यों हो रहा बवाल!

April 5, 2024
मथुरा के घाटों

गंगा दशहरा पर्व की तैयारियां जोरों पर..!

June 4, 2025

राहुल गांधी की ‘पनौती’ टिपप्णी पर भड़की जनता

November 25, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • झंकार महिला मंडल ने की एंटी-ड्रग्स कैम्पेन
  • इन लोगों को हर महीने 6 हजार रुपये देगी दिल्ली सरकार?
  • मोबाइल इंटरनेट चालू, वाई-फाई पर प्रतिबंध; इस देश में लिया गया अनोखा फैसला

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.