स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का “मूर्ख कौन?, देश बेचने वाला कौन” बयान 3 जून 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया गया था, जिसमें उन्होंने कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा। यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों और ऐतिहासिक समझौतों को लेकर कांग्रेस पर उनके हमले का हिस्सा है।
दुबे ने दो बिंदुओं पर जोर दिया
दुबे ने दावा किया कि नेहरू ने लोकसभा में कहा था कि “उन्हें अक्साई चिन के बारे में जानकारी नहीं थी और इसे भारत का हिस्सा नहीं माना। यह 1962 के भारत-चीन युद्ध के संदर्भ में था, जब अक्साई चिन पर चीन ने कब्जा कर लिया था। दुबे ने इसे नेहरू की “मूर्खता” और राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने का उदाहरण बताया।
दुबे ने नेहरू और कांग्रेस पर 1950 के नेहरू-लियाकत समझौते, 1960 की सिंधु जल संधि, और 1975 के शिमला समझौते को लेकर देश के हितों को “बेचने” का आरोप लगाया। उनका कहना था कि ये समझौते भारत के लिए नुकसानदायक थे और कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इन्हें किया। खासकर सिंधु जल संधि पर उन्होंने कहा कि इससे भारत का पानी पाकिस्तान को दिया गया, जिससे “हिंदुस्तानियों का खून बहा।”
यह ब्रिटिश प्रधानमंत्री का ब्रिटेन के संसद में दिया वक्तव्य है ।1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार जो इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने किया था,वह ब्रिटिश सरकार की मदद से किया था ।दूसरे देश के सैनिक हमारे देश के नागरिकों तथा ख़ासकर गोल्डन टेंपल अमृतसर में मौजूद थे,इसके… pic.twitter.com/Xgk2WTHFcZ
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 3, 2025
क्या है बयान का उद्देश्य ?
दुबे का यह बयान हाल के एक आतंकी हमले (पहलगाम हमला) के बाद आया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस और गांधी परिवार पर “मुसलमानों को भड़काने” और देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने 1991 के भारत-पाकिस्तान समझौते को भी निशाने पर लिया, जिसमें सैन्य गतिविधियों की जानकारी साझा करने की बात थी, और इसे कांग्रेस की गलती बताया।
दुबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की सराहना की, खासकर सिंधु जल संधि को प्रभावी रूप से “रोकने” के लिए, दावा करते हुए कि इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी। उन्होंने इसे “56 इंच का सीना” और बीजेपी की सनातनी नीतियों का प्रतीक बताया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने दुबे के दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि 1991 का समझौता शांति काल के लिए था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य गतिविधियों को लेकर गलतफहमी से बचना था। उन्होंने दुबे पर “अज्ञानता” और “मनगढ़ंत कहानियां” गढ़ने का आरोप लगाया।
विपक्ष ने दुबे के बयानों को “जनता को मूर्ख बनाने” की कोशिश करार दिया और कहा कि बीजेपी ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ रही है।
निशिकांत दुबे का इतिहास
दुबे पहले भी अपने बयानों के लिए विवादों में रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कोर्ट पर “धार्मिक युद्ध भड़काने” का आरोप लगाया था। इस बयान के बाद उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई थी। दुबे के बयान बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं, जिसमें वह कांग्रेस और गांधी परिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंदुत्व के मुद्दों पर घेरने की कोशिश करती है।
विशेष सत्र ऑपरेशन ब्लू स्टार पर ही होना चाहिए ?
हाल ही में उन्होंने कहा कि “यह ब्रिटिश प्रधानमंत्री का ब्रिटेन के संसद में दिया वक्तव्य है ।1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार जो इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने किया था,वह ब्रिटिश सरकार की मदद से किया था ।दूसरे देश के सैनिक हमारे देश के नागरिकों तथा ख़ासकर गोल्डन टेंपल अमृतसर में मौजूद थे,इसके बाबजूद भी विपक्ष ने संसद के विशेष सत्र के लिए कभी उछल कूद नहीं मचाई ।विपक्षी पार्टियों को देश से कोई मतलब ही नहीं है? पहला विशेष सत्र ऑपरेशन ब्लू स्टार पर ही होना चाहिए?
मूर्ख कौन?, देश बेचने वाला कौन
1. 1963 में लोकसभा में प्रधानमंत्री नेहरु जी ने कहा उनको चीन के भारतीय भूभाग अक्साई चीन के क़ब्ज़े के पहले यह पता ही नहीं था कि इस नाम से भारत का कोई क्षेत्र है?
2. नेहरु जी ने लोकसभा में कहा कि अखंड भारत घटिया सोच है और पाकिस्तान के साथ बातचीत चल… pic.twitter.com/kgzaBObM9U— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 2, 2025
“मूर्ख कौन?, देश बेचने वाला कौन”
निशिकांत दुबे का “मूर्ख कौन?, देश बेचने वाला कौन” बयान उनके द्वारा कांग्रेस और नेहरू पर लगाए गए ऐतिहासिक और नीतिगत फैसलों की आलोचना का हिस्सा है। यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों, खासकर सिंधु जल संधि और 1991 के समझौते को लेकर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने और मौजूदा सरकार की नीतियों को श्रेष्ठ बताने की कोशिश है। हालांकि, विपक्ष ने इसे तथ्यों का गलत प्रस्तुतीकरण करार दिया है।