पहल डेस्क/नई दिल्ली: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-ज़रदारी ने हाल ही में अमेरिका की यात्रा के दौरान एक बयान में कहा कि “पाकिस्तान में आतंकवाद बढ़ने के लिए अमेरिका की नीतियां जिम्मेदार हैं। उन्होंने विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर निशाना साधा, जिसमें अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और तालिबान के साथ दोहा समझौता शामिल है। बिलावल का दावा है कि इन फैसलों ने क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाई, जिसका असर पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने के रूप में दिख रहा है।
क्या है पूरा मामला ?
बिलावल ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की, जहां वे पाकिस्तान की राजनीतिक और क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के दौरान 2020 में तालिबान के साथ हुए दोहा समझौते ने अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में लाने का रास्ता खोला, जिससे पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को बल मिला। पाकिस्तान में हाल के वर्षों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां बढ़ी हैं। बिलावल ने इसके लिए अमेरिका की “गलत नीतियों” को दोषी ठहराया, विशेष रूप से ट्रंप के उस फैसले को, जिसमें बिना शर्त तालिबान से समझौता किया गया।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
बिलावल के इस बयान पर अमेरिकी पक्ष से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कुछ अमेरिकी विश्लेषकों और मीडिया ने इसे पाकिस्तान की अपनी आंतरिक विफलताओं को छिपाने की कोशिश के रूप में देखा। उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान की अपनी नीतियां, जैसे आतंकवादी समूहों के प्रति नरम रवैया, भी इस समस्या का कारण हैं।
बिलावल ने यह भी कहा कि “अमेरिका को पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए ताकि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार है और उसे इस लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है।”
बिलावल का बयान विवादास्पद क्यों ?
बिलावल का यह बयान इसलिए विवादास्पद है क्योंकि यह अमेरिका जैसे शक्तिशाली सहयोगी देश पर सीधा आरोप लगाता है, जबकि पाकिस्तान स्वयं आतंकवादी संगठनों को पनाह देने के लिए अक्सर आलोचना का शिकार रहा है। कुछ आलोचकों का कहना है कि “बिलावल का यह बयान आगामी पाकिस्तानी चुनावों को ध्यान में रखकर दिया गया है, ताकि वह अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत कर सकें। दूसरी ओर, यह भी तर्क दिया जा रहा है कि बिलावल ने क्षेत्रीय भू-राजनीति के जटिल मुद्दों को उजागर करने की कोशिश की है, जिसमें विदेशी शक्तियों की नीतियों का प्रभाव शामिल है।
कूटनीतिक संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा
यह मामला क्षेत्रीय राजनीति और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जिम्मेदारी तय करने का एक जटिल मुद्दा है। बिलावल का बयान जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पाकिस्तान की चुनौतियों की ओर खींचता है, वहीं यह अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को भी उजागर करता है। इस बयान के दीर्घकालिक प्रभाव दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा पर निर्भर करेंगे।