प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। यह मिशन 11 जून 2025 को फ्लोरिडा के नासा कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च होगा। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए भी आधार तैयार करेगा।
मिशन का की समय और तारीख !
11 जून 2025, शाम 5:30 बजे (भारतीय समयानुसार)। पहले यह 10 जून को निर्धारित था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। 14 दिन का मिशन, जिसमें चालक दल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर रहेगा।
कमांडर पेगी व्हिटसन (अमेरिका, नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री) मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला (भारत)। मिशन विशेषज्ञ स्लावोस उज्नांस्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड)। मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू (हंगरी)। लॉन्च स्थान नासा का कैनेडी स्पेस सेंटर, लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए, फ्लोरिडा, अमेरिका। अंतरिक्ष यान स्पेसएक्स ड्रैगन (क्रू ड्रैगन C213)।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला ?
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज, लखनऊ से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से स्नातक की डिग्री हासिल की। 2006 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया। सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN-32 जैसे विमानों में 2000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव।
2024 में ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत। 2019 में रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण लिया। इसरो के गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में चुने गए। 1999 का कारगिल युद्ध और राकेश शर्मा की 1984 की अंतरिक्ष यात्रा ने उन्हें प्रेरित किया।
एक्सिओम-4 मिशन का महत्व
एक्सिओम-4 मिशन भारत और विश्व के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशनों और भारत के गगनयान मिशन के लिए भी आधार तैयार करता है।
भारत के लिए ऐतिहासिक कदम
पहला भारतीय आईएसएस यात्री: शुभांशु शुक्ला आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे। 1984 में राकेश शर्मा के बाद यह भारत की दूसरी मानव अंतरिक्ष उड़ान है। यह मिशन 2027 में प्रस्तावित भारत के पहले स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान, के लिए अनुभव और तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा। शुक्ला के अनुभव का उपयोग गगनयान के लिए किया जाएगा। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करेगा।
चालक दल 31 देशों (भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, नाइजीरिया, यूएई, आदि) की ओर से 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। यह अब तक का सबसे बड़ा अनुसंधान है जो एक्सिओम स्पेस मिशन पर आईएसएस में किया जाएगा। इसरो के सात प्रयोग मानव स्वास्थ्य, भौतिक/जीवन विज्ञान, सामग्री अनुसंधान, नवीन दवा विकास, और जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित माइक्रोग्रैविटी प्रयोग।
शुभांशु शुक्ला विशेष रूप से स्पाइरुलिना और साइनोबैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों पर आधारित प्रयोग करेंगे, जो अंतरिक्ष में “सुपरफूड” के रूप में काम कर सकते हैं। इनमें उच्च प्रोटीन और विटामिन होते हैं, जो अंतरिक्ष में मानव पोषण और बायो-रिसाइकिलिंग सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पर्यावरण और जलवायु अध्ययन
आईएसएस से पृथ्वी की निगरानी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन, वन्य जीवन, और प्राकृतिक आपदाओं की बेहतर समझ विकसित होगी। शुक्ला बीजों को माइक्रोग्रैविटी में रखेंगे और उन्हें पृथ्वी पर लौटने के बाद कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि अंतरिक्ष की परिस्थितियों में पौधों की वृद्धि का अध्ययन किया जा सके।
भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन की नींव*
एक्सिओम स्पेस एक निजी कंपनी है जो 2027 में अपना पहला मॉड्यूल (PPTM) लॉन्च करेगी, जो पावर, तापमान नियंत्रण, और स्टोरेज प्रदान करेगा। 2030 में आईएसएस के डीकमीशन होने के बाद, एक्सिओम स्टेशन एक स्वतंत्र फ्री-फ्लोटिंग लैब बनेगा। Ax-4 मिशन इसकी नींव रखेगा। यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी जैसे देशों के लिए 40 साल बाद अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक है। यह नासा, इसरो, यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA), और स्पेसएक्स के बीच सहयोग को मजबूत करता है।
शुक्ला ने कहा कि उनकी यात्रा से भारत में एक नई पीढ़ी में विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति जिज्ञासा जागेगी।चालक दल 14 दिनों के प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्कूली छात्रों, और अंतरिक्ष उद्योग के नेताओं से बातचीत करेगा। यह मिशन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, शिक्षा, और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
मिशन की तैयारियां
चालक दल ने व्यापक प्रशिक्षण लिया, जिसमें पानी के नीचे बचाव अभ्यास शामिल हैं। शुक्ला ने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र में 2020 में प्रशिक्षण लिया। 25 मई 2025 से चालक दल पृथक-वास (क्वारंटाइन) में है। 8 जून 2025 को शुक्ला ने स्पेसएक्स के फ्लाइट सूट में रिहर्सल किया, जिसमें रॉकेट तक जाने और उसमें बैठने की प्रक्रिया शामिल थी। इसरो ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
चुनौतियां और विवाद
खराब मौसम के कारण मिशन को 29 मई, 8 जून, और 10 जून से स्थगित कर 11 जून 2025 को तय किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और स्पेसएक्स के एलन मस्क के बीच विवाद के बावजूद, नासा ने स्पष्ट किया कि मिशन प्रभावित नहीं होगा। 2030 में आईएसएस को समुद्र में डीकमीशन किया जाएगा, जिसके बाद एक्सिओम स्टेशन जैसे नए स्टेशन महत्वपूर्ण होंगे।
मिशन की प्रक्रिया
11 जून 2025 को फाल्कन-9 रॉकेट ड्रैगन अंतरिक्ष यान को लॉन्च करेगा। लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद, चालक दल 11 जून की रात 10 बजे (IST) आईएसएस पर पहुंचेगा। 14 दिनों तक चालक दल प्रयोग, तकनीकी प्रदर्शन, और जन जागरूकता कार्यक्रम करेगा। मिशन पूरा होने के बाद चालक दल ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर लौटेगा।
भारत के लिए दीर्घकालिक प्रभाव
Ax-4 मिशन गगनयान के लिए तकनीकी और प्रशिक्षण अनुभव प्रदान करेगा, जो भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। अंतरिक्ष में जैव प्रौद्योगिकी और पोषण से जुड़े प्रयोग भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाएंगे। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निवेश से भारत में नवाचार और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह मिशन भारत को नासा, स्पेसएक्स, और यूरोपीय स्पेस एजेंसी जैसे संगठनों के साथ मजबूत साझेदारी प्रदान करेगा।
एक्सिओम-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर है। शुभांशु शुक्ला की अगुवाई में यह मिशन न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत के युवाओं को अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रेरित करेगा। यह गगनयान मिशन की नींव रखेगा और भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए भारत की भूमिका को मजबूत करेगा। यह मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमता, तकनीकी प्रगति, और वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक है।