प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements – REE) और उनसे बने मैग्नेट्स, जैसे नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB), आधुनिक तकनीक और उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), पारंपरिक वाहनों, स्मार्टफोन्स, पवन टर्बाइनों, सौर पैनलों, और रक्षा उपकरणों में होता है। वैश्विक स्तर पर इन तत्वों का 70% खनन और 90% रिफाइनिंग चीन द्वारा नियंत्रित की जाती है, जिससे वह इस क्षेत्र में अग्रणी है।
अमेरिका-चीन डील
12 जून 2025 को घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि “अमेरिका और चीन के बीच एक ट्रेड डील हुई है, जिसमें चीन अमेरिकी कंपनियों को रेयर अर्थ एलिमेंट्स की आपूर्ति करेगा। यह डील अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के बीच आई, जो 4 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ, जब ट्रंप ने चीनी आयात पर 104% टैरिफ लगाया था।
चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और अप्रसार के हवाले से अप्रैल 2025 से रेयर अर्थ तत्वों (जैसे समारियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, स्कैंडियम, और यट्रियम) पर सख्त निर्यात नियंत्रण लागू किए। इसके तहत निर्यातकों को लाइसेंस और एंड-यूजर सर्टिफिकेट (EUC) की आवश्यकता होती है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई। इस डील के तहत चीन ने अमेरिका को रेयर अर्थ की आपूर्ति बहाल की, लेकिन भारत जैसे अन्य देशों को आपूर्ति में देरी या प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है।
क्यों है भारत के लिए संकट
चीन ने भारत के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति रोकी या सीमित कर दी। अप्रैल 2025 में चीन से भारत के लिए रेयर अर्थ मैग्नेट्स का निर्यात 51% घटकर 2,626 टन रह गया। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 870 टन मैग्नेट्स (मूल्य 306 करोड़ रुपये) आयात किए थे, और इस वर्ष 700 टन आयात की योजना थी, जो अब खतरे में है।
ऑटो इंडस्ट्री पर प्रभाव
इलेक्ट्रिक वाहन (EV): रेयर अर्थ मैग्नेट्स EV मोटर, गियर सिस्टम, ड्राइव ट्रेन, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग होते हैं। आपूर्ति रुकने से EV उत्पादन ठप होने के कगार पर है। ICE (आंतरिक दहन इंजन) वाहनों में भी मोटर, पावर स्टीयरिंग, और विंडस्क्रीन वाइपर जैसे हिस्सों के लिए इन मैग्नेट्स की आवश्यकता होती है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने चेतावनी दी है कि मई 2025 के अंत तक स्टॉक खत्म हो सकता है, और जून की शुरुआत से वाहन उत्पादन रुक सकता है।
विशेषज्ञों का अनुमान है “कि रेयर अर्थ की कमी से इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमत 8,000-13,000 रुपये तक बढ़ सकती है। ICE वाहनों की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।” ऑटोमोबाइल के अलावा, एयरोस्पेस, क्लीन एनर्जी (पवन टर्बाइन, सौर पैनल), और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक सर्किट वाले उपकरणों में जरूरी हैं।
क्या है भारत की स्थिति
भारत रेयर अर्थ मैग्नेट्स के लिए लगभग पूरी तरह चीन पर निर्भर है, क्योंकि वैश्विक उत्पादन का 90% चीन नियंत्रित करता है। भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत और चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई, लेकिन अभी कोई ठोस डील नहीं हुई। 17 भारतीय कंपनियों ने निर्यात परमिट के लिए आवेदन किया, जिसमें से केवल 9 को EUC की मंजूरी मिली, लेकिन चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अंतिम स्वीकृति नहीं दी।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि “भारत रेयर अर्थ माइनिंग और रिफाइनिंग के लिए वैकल्पिक स्रोत तलाश रहा है।” भारत ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) शुरू किया है, जिसके तहत घरेलू खनन और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। रीसाइक्लिंग और वैकल्पिक तकनीकों (जैसे लिथियम-आयरन-फॉस्फेट बैटरी) पर काम हो रहा है, लेकिन यह लंबी अवधि की प्रक्रिया है।
क्या पड़ेगा वैश्विक प्रभाव
अमेरिका, जापान, और जर्मनी जैसे देश भी चीन के निर्यात नियंत्रण से प्रभावित हैं। जापान की हिताची जैसी कंपनियां रीसाइक्लिंग (97% मैग्नेट रिकवरी) और वैकल्पिक सामग्रियों पर काम कर रही हैं। चीन ने 2020 में लागू किए गए Export Control Law का उपयोग कर रेयर अर्थ को भू-राजनीतिक हथियार बनाया है। यह अमेरिकी टैरिफ के जवाब में और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण बनाए रखने की रणनीति है।
भारत के लिए चुनौतियां
जून 2025 तक रेयर अर्थ मैग्नेट्स का स्टॉक खत्म होने से ऑटोमोबाइल और अन्य उद्योगों में उत्पादन रुक सकता है। वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना भारत की महत्वाकांक्षी योजना, जैसे EV मैन्युफैक्चरिंग हब बनना, प्रभावित हो सकती है। वैकल्पिक स्रोतों (जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा) या घरेलू उत्पादन को बढ़ाने में समय और निवेश की जरूरत है।
भारत सरकार चीन के साथ बातचीत तेज कर रही है। वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा) के साथ समझौते की कोशिश हो रही है। भारत ने रेयर अर्थ खनन और रिफाइनिंग के लिए नियमों में बदलाव शुरू किए हैं। लैंथेनम और सेरियम जैसे कम दुर्लभ तत्वों का उपयोग या रीसाइक्लिंग बढ़ाने की दिशा में काम। अमेरिका और जापान जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर रेयर अर्थ आपूर्ति श्रृंखला को विविधतापूर्ण करना।
भारत की ऑटो इंडस्ट्री और EV योजनाएं
चीन-अमेरिका डील ने भारत की ऑटोमोबाइल और अन्य उद्योगों के लिए संकट पैदा कर दिया है, क्योंकि चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति रोकी है। यह न केवल आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक चुनौती भी है। भारत को दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता के लिए घरेलू खनन, रीसाइक्लिंग, और वैकल्पिक तकनीकों पर ध्यान देना होगा। अल्पकालिक समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयास और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश जरूरी है। यदि यह संकट जल्द हल नहीं हुआ, तो भारत की ऑटो इंडस्ट्री और EV योजनाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं।