स्पेशल डेस्क
तेहरान: ईरान और इजरायल के बीच 2025 में बढ़ता तनाव मध्य पूर्व में एक खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है। इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए उसके यूरेनियम संवर्धन केंद्रों (सेंट्रीफ्यूज प्लांट्स) और परमाणु सुविधाओं पर कई हवाई हमले किए हैं। यह संघर्ष न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक परमाणु अप्रसार नीतियों और शांति के लिए भी चुनौती बन रहा है। आइए इस विशेष विश्लेषण में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम
ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में शुरू हुआ, लेकिन 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद यह विवादों में आ गया। ईरान का दावा है कि उसका कार्यक्रम शांतिपूर्ण ऊर्जा उत्पादन के लिए है, लेकिन पश्चिमी देश और इजरायल इसे हथियार बनाने की कोशिश मानते हैं।
2015 का परमाणु समझौता (JCPOA) संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के तहत ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने का वादा किया था, लेकिन 2018 में अमेरिका के समझौते से हटने और प्रतिबंधों के बाद ईरान ने संवर्धन गतिविधियां तेज कर दीं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने 2025 में दावा किया कि ईरान के पास 60% तक शुद्धता वाला यूरेनियम है, जो हथियार-ग्रेड (90%+) के करीब है। इससे 6-9 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं।
इजरायल की रणनीति और हमले
इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। उसने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत 13 जून 2025 से ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू किए।
ईरान का सबसे बड़ा यूरेनियम संवर्धन केंद्र। 13 जून को इजरायली हवाई हमलों में यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। उपग्रह तस्वीरों ने भारी तबाही की पुष्टि की। पहाड़ों के अंदर बना यह अंडरग्राउंड केंद्र हवाई हमलों से सुरक्षित माना जाता था, लेकिन 13 जून को इजरायल ने इसे निशाना बनाया। ईरान ने स्वीकार किया कि कुछ हिस्सों को सीमित नुकसान हुआ, लेकिन बड़े उपकरण पहले ही हटा लिए गए थे।सेंट्रीफ्यूज पुर्जों का निर्माण केंद्र। इसे भी हमलों में नुकसान पहुंचा। हेवी वाटर रिएक्टर, जो प्लूटोनियम उत्पादन के लिए उपयोगी हो सकता है। 2015 के समझौते में इसका कोर निष्क्रिय किया गया था, लेकिन इजरायल इसे संदिग्ध मानता है।
क्या होगा हमलों का प्रभाव !
नतांज में सेंट्रीफ्यूज प्लांट तबाह होने से ईरान की संवर्धन क्षमता को गहरा झटका लगा। छह परमाणु वैज्ञानिक और कई सैन्य अधिकारी मारे गए, जिनमें IRGC प्रमुख हुसैन सलामी और आर्म्ड फोर्सेस चीफ मोहम्मद बघेरी शामिल हैं। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “लंबे समय के लिए पीछे धकेल दिया।” हालांकि, अमेरिकी खुफिया आकलन के अनुसार, यह देरी केवल कुछ महीनों की हो सकती है।
फोर्डो जैसे केंद्रों को नष्ट करना मुश्किल है, क्योंकि इजरायल के पास पर्याप्त बंकर-बस्टर हथियार नहीं हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के मेगा बंकर-बस्टर बम ही इसे नष्ट कर सकते हैं।
इजरायल की रणनीति
इजरायल ने दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के “11वें घंटे” में था, जिसके चलते उसने पहले हमला किया। इजरायल ने हमलों से पहले गुप्त रूप से ड्रोन और हथियार ईरान में तस्करी किए। 200 फाइटर जेट्स ने 100+ ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल ने पहले भी ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या और साइबर हमले (जैसे स्टक्सनेट वायरस) किए हैं। 2025 में भी यह रणनीति जारी रही।
ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3” के तहत 13-14 जून को इजरायल पर 100-150 बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले किए। तेल अवीव, हाइफा जैसे शहरों में नुकसान हुआ, जिसमें 10 इजरायली मारे गए।ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने की धमकी दी और नई गुप्त संवर्धन साइट शुरू करने की बात कही। छठी पीढ़ी के सेंट्रीफ्यूज फोर्डो में लगाए जा रहे हैं। ईरान का दावा है कि इजरायली हमलों में 224-406 लोग मारे गए, ज्यादातर नागरिक। तेहरान के आवासीय इलाकों में भी हमले हुए।
ईरानी जनरल मोहसिन रेजेई ने दावा किया कि “अगर इजरायल परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान इजरायल पर परमाणु हमला करेगा।” पाकिस्तान ने इस दावे का खंडन किया।
परमाणु हथियार ईरान के लिए काल ?
ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके लिए दोधारी तलवार बन रहा है परमाणु हथियार ईरान को क्षेत्रीय शक्ति बना सकते हैं और इजरायल-अमेरिका के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता दे सकते हैं। सऊदी अरब, तुर्की जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों के लिए संदेश।
इजरायल का स्पष्ट लक्ष्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है। बार-बार हमले ईरान की सैन्य और वैज्ञानिक क्षमता को कमजोर कर रहे हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान की अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया है। युद्ध और हमले इसे और बदतर बना सकते हैं। अगर ईरान परमाणु हथियार बनाता है, तो सऊदी अरब, तुर्की जैसे देश भी ऐसा कर सकते हैं, जिससे मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है।हमलों में वैज्ञानिकों और कमांडरों की मौत से ईरान का मनोबल टूट रहा है। साथ ही, जनता में असंतोष बढ़ सकता है।
कूटनीति और संयम ही इसका समाधान
इजरायली हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अस्थायी रूप से कमजोर किया है, लेकिन फोर्डो जैसे केंद्र अभी भी सक्रिय हैं। ईरान का NPT से हटना और नई साइट शुरू करना जोखिम भरा कदम होगा।इजरायल की रणनीति ईरान को परमाणु हथियारों से दूर रखने की है, लेकिन बार-बार हमले क्षेत्रीय युद्ध को भड़का सकते हैं। ईरानी जनरल की धमकी और क्षेत्रीय तनाव से परमाणु युद्ध की आशंका बढ़ी है, हालांकि अभी यह संभावना कम है। इराक के सद्दाम हुसैन की तरह, ईरान का जुनून उसे तबाही की ओर ले जा सकता है। कूटनीति और संयम ही इसका समाधान है।
मध्य पूर्व परमाणु तबाही की कगार पर
ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसकी शक्ति और कमजोरी दोनों है। इजरायल के हमले इसे कमजोर कर रहे हैं, लेकिन पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है। अगर ईरान NPT से हटता है या हथियार बनाता है, तो यह उसके लिए काल बन सकता है, क्योंकि इजरायल और अमेरिका इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। दूसरी ओर, इजरायल के आक्रामक हमले क्षेत्रीय युद्ध को भड़का सकते हैं। वैश्विक समुदाय को कूटनीति के जरिए तनाव कम करना होगा, वरना मध्य पूर्व परमाणु तबाही की कगार पर पहुंच सकता है।