प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
तेहरान : ईरान की राजधानी तेहरान के गिशा इलाके में हुए एक जोरदार धमाके में एक और ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट की मौत की खबर है। इजरायली मीडिया के अनुसार, एक इजरायली अधिकारी ने दावा किया कि “यह हमला इजरायल डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने किया था, जिसका मकसद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम से जुड़े एक प्रमुख वैज्ञानिक को निशाना बनाना था। हालांकि, ईरानी सरकार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
ईरान का बातचीत से साफ इनकार !
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक इजरायल के हमले जारी रहेंगे, अमेरिका या किसी अन्य देश के साथ इस मुद्दे पर कोई बातचीत संभव नहीं है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने भी चेतावनी दी कि अगर इजरायल की आक्रामकता जारी रही, तो ईरान और कड़ा जवाब देगा। ईरान ने इन हमलों को “आतंकवादी कृत्य” करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज की है और बदला लेने की धमकी दी है।
हमले का मकसद और प्रभाव
इजरायल का दावा है कि “उसने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को कमजोर करने के लिए यह हमला किया। हाल के हमलों में ईरान के नतांज, अराक, और फोर्डो जैसे न्यूक्लियर ठिकानों को नुकसान पहुंचा है, जिसमें नतांज यूरेनियम संवर्धन प्लांट और अराक न्यूक्लियर रिएक्टर बुरी तरह तबाह हुए हैं।
इस हमले से पहले 13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान के 6 प्रमुख न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स (अब्दुल हमीद मिनोउचहर, अहमदरज़ा ज़ोल्फ़ाघारी, सैयद अमीरहोसेन फेक्ही, मोत्लाबीज़ादेह, मोहम्मद मेहदी तहरेनची, और फेरेदून अब्बासी) और कई सैन्य कमांडरों, जिसमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी और जनरल मोहम्मद बाघेरी शामिल थे, को मार गिराया था। इन हत्याओं ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को 1-2 साल पीछे धकेल दिया है।
तेहरान में रिहायशी इलाकों, तेल डिपो, गैस रिफाइनरी और सैन्य ठिकानों पर हमलों में 78 से 329 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। एक रिहायशी इमारत के जमींदोज होने से 60 लोगों की मौत हुई, जिसमें 29 बच्चे शामिल थे।
ईरान का जवाबी हमला
ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III” के तहत इजरायल पर 100 से 400 बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं, जिससे तेल अवीव, यरुशलम, और हाइफा में भारी तबाही हुई। इन हमलों में 1 से 10 इजरायली मारे गए और 70 से 240 लोग घायल हुए। ईरान ने दावा किया कि उसने इजरायल के रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाया।
क्यों नहीं हो रही बातचीत ?
इजरायल का मानना है कि “ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम उसके वजूद के लिए खतरा है। 7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले और 1 अक्टूबर 2024 के ईरानी मिसाइल हमले ने इजरायल को आक्रामक कार्रवाई के लिए उकसाया।
ईरान का कहना है कि “वह दबाव में बातचीत नहीं करेगा। 2015 के परमाणु समझौते के बाद ट्रंप के पहले कार्यकाल में लगाए गए प्रतिबंधों ने ईरान को फिर से न्यूक्लियर प्रोग्राम तेज करने के लिए मजबूर किया।” वैज्ञानिकों और कमांडरों की हत्या, न्यूक्लियर साइट्स की तबाही, और नागरिकों की मौत ने ईरान को सख्त रुख अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
अब क्या है स्थिति !
इजरायल ने तेहरान पर हवाई हमले जारी रखे हैं, और ईरान ने जवाबी मिसाइल हमलों को तेज कर दिया है। सैटेलाइट तस्वीरों में ईरान के अराक न्यूक्लियर रिएक्टर और करमानशाह व तबरीज के मिसाइल बेसों को भारी नुकसान दिख रहा है। क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव बढ़ रहा है, जिसमें अमेरिका के सीधे हस्तक्षेप की आशंका जताई जा रही है।
इजरायली हमलों ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और सैन्य ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, जिसमें एक और न्यूक्लियर साइंटिस्ट की मौत ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। ईरान ने साफ कर दिया है कि वह मौजूदा आक्रामक माहौल में बातचीत नहीं करेगा, और बदले की कार्रवाई जारी रखेगा। यह युद्ध मध्य पूर्व में स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन गया है और वैश्विक शक्तियों की भूमिका इसे और जटिल बना रही है।