प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: ईरान और इसराइल के बीच 12 दिनों तक चले तीव्र सैन्य संघर्ष के बाद 24 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सीज़फ़ायर की घोषणा की, जिसमें कतर की मध्यस्थता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह युद्धविराम 24 घंटों के उतार-चढ़ाव भरे दौर से गुजरा, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन के आरोप लगाए।
दोनों देशों के बीच सीधा सैन्य टकराव
13 जून को इसराइल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू किया, जिसमें ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए गए। इसके जवाब में ईरान ने इसराइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू किए, जिससे दोनों देशों के बीच सीधा सैन्य टकराव शुरू हुआ।
21 जून को अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों (फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान) पर हवाई हमले किए, जिससे तनाव और बढ़ गया। 23-24 जून की रात को ईरान ने कतर में अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें दागीं, जिसे ट्रंप ने “कमज़ोर” प्रतिक्रिया बताया। 12 दिनों में दोनों देशों में भारी तबाही हुई। इसराइल में 950 से अधिक लोगों की मौत और हजारों घायल हुए, जबकि ईरान में परमाणु ठिकानों और सैन्य अड्डों को गंभीर क्षति पहुंची।
सीज़फ़ायर की प्रक्रिया
24 जून को सुबह ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि इसराइल और ईरान 6 घंटे बाद (लगभग 7:30 बजे स्थानीय समय) पूर्ण युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। पहले 12 घंटे ईरान और अगले 12 घंटे इसराइल हमले रोकेगा, और 24 घंटे बाद युद्ध समाप्त माना जाएगा।
कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने ट्रंप के अनुरोध पर तेहरान से बात की और ईरान को युद्धविराम के लिए राज़ी किया। रॉयटर्स के अनुसार, इसराइल पहले से ही समझौते के लिए तैयार था। शुरुआत में दोनों देशों ने सीज़फ़ायर को स्वीकार किया। ईरानी सरकारी टीवी ने सुबह 7:30 बजे युद्धविराम शुरू होने की पुष्टि की, जबकि इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप से बातचीत के बाद सहमति जताई।
24 घंटों के उतार-चढ़ाव !
सीज़फ़ायर लागू होने के ढाई घंटे बाद इसराइल ने दावा किया कि ईरान ने 6 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से एक बीरशेबा में एक इमारत पर गिरी, जिसमें 5 लोग मारे गए। ईरान ने इन आरोपों को खारिज किया और इसराइल पर पहले हमले का आरोप लगाया। इसराइल ने ईरान के एक रडार को निशाना बनाया, लेकिन नेतन्याहू ने ट्रंप के साथ बातचीत के बाद बड़े हमले टाल दिए। इसराइली मीडिया ने इसे “फ़र्ज़ी सीज़फ़ायर” करार दिया।
ट्रंप ने दोनों देशों पर सीज़फ़ायर तोड़ने का आरोप लगाया, खासकर इसराइल की आलोचना की कि उसने तुरंत बड़ा हमला किया। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर इसराइल को हमले रोकने की चेतावनी दी और पत्रकारों से बातचीत में अपशब्दों का उपयोग किया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ और इसराइल को पहले हमले रोकने होंगे। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि अगर इसराइल हमले बंद करता है, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई रोकेगा।
अमेरिकी दबाव और कतर की मध्यस्थता
25 जून तक सीज़फ़ायर नाज़ुक बना हुआ था। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन के आरोप लगाए, लेकिन बड़े पैमाने पर हमले रुक गए। सीज़फ़ायर की खबर से कच्चा तेल सस्ता हुआ और शेयर बाजार में तेजी आई।
ईरान और इसराइल के बीच सीज़फ़ायर अमेरिकी दबाव और कतर की मध्यस्थता का परिणाम था, लेकिन दोनों देशों के बीच अविश्वास और उल्लंघन के आरोपों ने इसे अस्थिर बनाए रखा। ट्रंप ने इसे मध्य पूर्व के लिए “रीसेट पल” करार दिया, लेकिन भविष्य में स्थायी शांति के लिए कूटनीतिक प्रयासों की ज़रूरत है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर 2015 के JCPOA समझौते की समयसीमा (अक्टूबर 2025) नज़दीक होने से तनाव बरकरार रह सकता है