प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक रैली में जुबान फिसलने का मामला सामने आया, जहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का नाम लेते हुए “मुरमा जी और कोविड” कहा। यह घटना बीजेपी के लिए एक मुद्दा बन गई, जिसने इसे दलित विरोधी करार दिया। बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि खड़गे का यह बयान राष्ट्रपति, जो एक आदिवासी और दलित समुदाय से हैं, का अपमान है।
खड़गे कर्नाटक में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। कोविड महामारी और सरकार की नीतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति का जिक्र किया, लेकिन उनका उच्चारण गलत हो गया। खड़गे ने कहा, “मुरमा जी और कोविड…” जिसे बीजेपी ने तुरंत पकड़ लिया और इसे राष्ट्रपति के नाम का गलत उच्चारण और अपमान बताया।
कांग्रेस की “दलित विरोधी मानसिकता”
बीजेपी प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस की “दलित विरोधी मानसिकता” का सबूत बताया।
आखिर दलित और आदिवासी से इतनी नफरत क्यों करते हैं खड़गे जी? 🤔 pic.twitter.com/M7bZzKpmGs
— BJP (@BJP4India) July 7, 2025
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर खड़गे की आलोचना की, दावा किया कि यह राष्ट्रपति के प्रति असम्मान है। बीजेपी ने इसे आदिवासी और दलित समुदाय के खिलाफ कांग्रेस की “संकीर्ण सोच” का प्रतीक बताया।
खड़गे का इरादा किसी का अपमान करना नहीं!
कांग्रेस ने इसे “मानवीय भूल” करार दिया और कहा कि खड़गे का इरादा किसी का अपमान करना नहीं था। खड़गे ने स्पष्ट किया कि उनका राष्ट्रपति के प्रति पूरा सम्मान है और यह केवल एक जुबानी चूक थी। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी पर “छोटी बात को तूल देने” का आरोप लगाया।
अब खरगे जी जैसे इतने बड़े दलित लीडर के क्लिप भी कांटने शुरू कर दिए?
एक मेहनती, मज़बूत दलित लीडर बर्दाश्त नहीं?
सच है रामनाथ कोविंद जी को संसद के शिलान्यास में नहीं बुलाया
द्रौपदी मुर्मू जी को उसके उद्घाटन में नहीं
यह इज़्ज़त है तुम लोगों के मन में दलितों,
आदिवासियों के लिए? https://t.co/fe3E5vEHMt pic.twitter.com/Mum7FQkJst— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) July 8, 2025
राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय
यह मामला बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान का हिस्सा माना जा रहा है, जहां दोनों पार्टियां एक-दूसरे की छवि खराब करने का मौका तलाशती हैं। राष्ट्रपति मुर्मू के आदिवासी और दलित पृष्ठभूमि के कारण यह मुद्दा संवेदनशील हो गया है, जिसे बीजेपी ने दलित वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की।
यह घटना एक छोटी-सी जुबानी चूक से शुरू हुई, लेकिन इसे बीजेपी ने बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया। कांग्रेस ने इसे मानवीय भूल बताकर पलटवार किया। फिलहाल, यह मामला सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।