प्रकाश मेहरा
अयोध्या: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां तेज हो गई है। 5 नवंबर को हल्दी से रंगे अक्षत को रामलला को समर्पित किया जाएगा। अक्षत का वितरण 45 प्रांतों में किया जाएगा। मौके पर ही सभी प्रांतों से बुलाए गए प्रतिनिधियों को अक्षत समर्पित कर दिया जाएगा। प्रतिनिधि पूजित अक्षत के कलशों को लेकर उसी दिन अपने केंद्रो के लिए रवाना हो जाएंगे, जहां से जिले की टीम से मंडलों और ब्लॉकों से होता हुआ अक्षत गांव के मंदिरों तक पहुंचाया जाएगा।
इस अभियान में संघ परिवार की वही टीमें लगाई गई है, जो निधि समर्पण अभियान में लगाई गई थी। VHP के केंद्रीय उपाध्यक्ष और राममंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल के मुताबिक प्रयास यह है कि एक सप्ताह के अंदर गांवों तक पूजित अक्षत पहुंच जाएं। उसके बाद 1 जनवरी से 15 जनवरी तक महाअभियान चलेगा, जिसमें करीव 10 करोड़ परिवारों तक सीधे संपर्क कर उन्हें निर्धारित दर्शन कार्यक्रम के मुताबिक अयोध्या में राम लला के दर्शन के आमंत्रित किया जाएगा।
रामलला के आसन की ऊंचाई तय होगी
डॉ मिश्र ने बताया कि राम लला के तीनों विग्रह जल्द तैयार हो जाएंगे। इनमें से सबसे लुभावने विग्रह का चयन कर उसे राम मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 51 इंच लंबे रामलला के ऊपर मुकुट और नीचे आसन का प्लेटफॉर्म बनेगा। इसकी लंबाई का आकलन रामलला का विग्रह बनने के बाद इंजिनियर आर्किटेक्ट और खगोलीय विज्ञानी की टीम पूरी तरह से नाप-जोख करने के बाद तय करेगी। उन्होंने बताया कि रामनवमी के शुभ मुहूर्त में जब राम लला का जन्म होगा तो सूर्य की किरणें उनके ललाट पर पड़े, इसकी व्यवस्था इंजिनियरिंग टीम और खगोलीय विज्ञानी कर रहे हैं।